अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

गुलाम मोहम्मद शेख (जन्म: 16 फरवरी 1937) में सौराष्ट्र गुजरात में हुआ था ये भारत के एक प्रमुख चित्रकार, कवि और कला समीक्षक हैं, जिन्होंने भारतीय कला जगत में अपनी विशिष्ट शैली और योगदान से महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उनका जन्म गुजरात के सुरेंद्रनगर में हुआ था। उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा से 1959 में ललित कला में स्नातक (बी.ए.) और 1961 में स्नातकोत्तर (एम.ए.) की डिग्री प्राप्त की। बाद में, 1966 में उन्होंने लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट से ए.आर.सी.ए. की उपाधि हासिल की।
गुलाम मोहम्मद शेख की कला यात्रा सुरेंद्रनगर से शुरू होकर बड़ौदा और लंदन तक विस्तृत हुई। बड़ौदा में अध्ययन के दौरान उन्होंने एन.एस. बेंद्रे और के.जी. सुब्रमण्यम जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों से शिक्षा प्राप्त की, जिन्होंने उनके कला दृष्टिकोण को समृद्ध किया। लंदन में अध्ययन के दौरान, पॉप आर्ट के प्रसिद्ध कलाकार पीटर ब्लेक के मार्गदर्शन में उन्होंने कोलाज कला में रुचि विकसित की।
1960 में, शेख ने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के ललित कला संकाय में कला इतिहास के प्रोफेसर के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने 1960-63 और 1967-81 के बीच कला इतिहास पढ़ाया और 1982 से 1993 तक पेंटिंग के प्रोफेसर रहे। इसके अलावा,उन्होंने शिकागो के आर्ट इंस्टीट्यूट में 1987 और 2002 में अतिथि कलाकार के रूप में कार्य किया और 2002 में यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया में लेखक/कलाकार-इन-रेज़िडेंस रहे।
शेख ने अपने कला करियर में कई महत्वपूर्ण प्रदर्शनियों में भाग लिया है। उनकी कृतियाँ नई दिल्ली के राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी, लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूज़ियम, और अमेरिका के सेलम में पीबॉडी एसेक्स म्यूज़ियम जैसी प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रदर्शित हैं।
गुलाम मोहम्मद शेख न केवल एक चित्रकार हैं, बल्कि वह गुजराती भाषा के एक कवि और लेखक ,इतिहासकार व कला समीक्षक भी हैं। उनका गुजराती कविता संग्रह 'अथवा' (1974) अपनी सूक्ष्म और अतियथार्थवादी शैली के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने 'घर जतन' नामक गद्य श्रृंखला भी लिखी है और 'क्षितिज', 'विश्वमानव' और 'सायुज्य' जैसी पत्रिकाओं के विशेष अंकों का संपादन किया है। इसके अलावा, उन्होंने 'अमेरिकन चित्रकला' (1964) का अनुवाद भी किया है।
1969- 1973 तक कला पत्रिका वृश्चिक का संपादन भी किया।
शेख की कला कथा और विश्व मानचित्रण के माध्यम से दुनिया को पुनः सृजित करने का प्रयास करती है। उन्होंने 'मप्पा मुंडी' श्रृंखला में व्यक्तिगत ब्रह्मांडों को चित्रित किया है, जो लघु मंदिरों से प्रेरित हैं और दर्शकों को अपने स्वयं के 'मप्पा मुंडी' बनाने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। वह अपने चित्रों में हिंदी वर्णमाला अक्षरों का भी प्रयोग कर लेते थे।
प्रमुख चित्र:बोलती सड़कें,शहर बिकाऊ है,दुनिया का नक्शा, द ट्री ऑफ लाइफ,त्रिफलक,अबाउट पेंटिंग एंड वेंडिंग
गुलाम मोहम्मद शेख वर्तमान में अपनी पत्नी, प्रसिद्ध कलाकार नीलिमा शेख के साथ वडोदरा, भारत में निवास करते हैं।
शेख को उनके कला और साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है:
राष्ट्रीय पुरस्कार, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, 1962।
पद्म श्री, भारत सरकार द्वारा, 1983।
कालिदास सम्मान, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा, 2002।
पद्म भूषण, भारत सरकार द्वारा, 2014।
साहित्य अकादमी पुरस्कार (गुजराती), 2022।प
शेख की कृतियाँ विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में प्रदर्शित हुई हैं, जिनमें शामिल हैं।
सोलो प्रदर्शनी, जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई, 1960।
राष्ट्रीय प्रदर्शनी, नई दिल्ली, 1962।
VII टोक्यो बिएनाले, टोक्यो, जापान, 1963।
सिन्क्विमे बिएनाले डी पेरिस, पेरिस, 1967।
25 वर्ष की भारतीय कला, ललित कला अकादमी, रवींद्र भवन, नई दिल्ली, 1972।
समकालीन भारतीय कला, रॉयल एकेडमी ऑफ आर्ट्स, लंदन, 1982।
रिटर्निंग होम, एकल प्रदर्शनी, सेंटर जॉर्ज पोम्पीडो, पेरिस, 1985।
गुलाम मोहम्मद शेख ने कला और साहित्य पर कई महत्वपूर्ण प्रकाशन किए हैं:
'निरखे ते नजर', दृश्य कला पर लेखों का गुजराती संग्रह, संवाद प्रकाशन, वडोदरा, 2017।
'अथवा', गुजराती कविताएँ, बुताला, वडोदरा, 1974।
'लक्ष्मा गौड़', कलाकार पर मोनोग्राफ, आंध्र प्रदेश ललित कला अकादमी, हैदराबाद, 1981।
'कॉन्टेम्पररी आर्ट ऑफ बड़ौदा', संपादित, तुलिका, नई दिल्ली, 1996।
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