CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण

  CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण भूमिका: क्यों जरूरी है BNSS 2023 की समझ? भारत की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), जो दशकों से देश की न्याय प्रणाली की रीढ़ थी, को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 से प्रतिस्थापित किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 ने IPC की जगह ली है। जूनियर डिवीजन कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ताओं के लिए यह बदलाव विशेष महत्व रखता है , क्योंकि यहाँ पुलिस कार्यवाही, गिरफ्तारी, जमानत, चार्जशीट, समन, और मुकदमे की सुनवाई जैसे मामलों से जुड़ी प्रक्रियाएं अधिक सक्रिय रूप से सामने आती हैं। 1. पुलिस कार्यवाही और गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधान पुरानी CrPC धारा BNSS 2023 धारा विषय मुख्य परिवर्तन 41 35 बिना वारंट गिरफ्तारी 7 वर्ष से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी के लिए सख्त शर्तें 41A 35(2) सूचना जारी करना गिरफ्तारी से पूर्व सूचना आवश्यक 41B 36 गिरफ्तारी की प्रक्रिया गिरफ्तारी में पारदर्शिता बढ़ाई गई 41D 39 वकील से मिलने का अधिकार अधिवक्ता की भूमिका क...

Sri rudrastkam। श्री रुद्राष्टकम

 इस ब्लॉग में हम आपको भगवान शिव के रुद्राष्टकम मंत्र का लिरिक्स देंगे ,जो भगवान शिव के गुणों का व्याख्यान करता है।

Sri rudrastkam। श्री रुद्राष्टकम

             ।। श्रीरुद्राष्टकम् ।।

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नमामीशमीशान     निर्वाण     रूपं,

विभुं    व्यापकं  ब्रह्म   वेद स्वरूपम्।

निजं    निर्गुणं   निर्विकल्पं    निरीहं,

चिदाकाशमाकाश   वासं   भजेऽहम्।।१। 


         निराकारं     ऊँकार      मूलं       तुरीयं,

         गिरा    ध्यान  गोतीतमीशं    गिरीशम्।

          करालं    महाकाल    कालं    कृपालं

        गुणागार    संसार   पारं   नतोऽहं।।२।।


तुषाराद्रि       संकाश     गौरं       गभीरं,

 मनोभूत    कोटि    प्रभा   श्री    शरीरं।

स्फुरन्मौलि    कल्लोलिनी    चारु   गङ्गा

लसद्भाल    बालेन्दु   कण्ठे   भुजङ्गा।।३।।


           चलत्कुण्डलं    भ्रू    सुनेत्रं    विशालं,

            प्रसन्नाननं     नीलकण्ठं      दयालं।

             मृगाधीश    चर्माम्बरं    मुण्ड   मालं,

          प्रियं     शंकरं  सर्वनाथं   भजामि।।४।।


प्रचण्डं       प्रकृष्टं     प्रगल्भं     परेशं,

 अखण्डं    अजं   भानु   कोटि   प्रकाशं।

त्रयः     शूल     निर्मूलनं      शूलपाणिं,

भजेऽहं    भवानी   पतिं   भाव गम्यं।।५।।


       कलातीत    कल्याण  कल्पान्त    कारी,

       सदा    सज्जनानन्द    दाता    पुरारी।

       चिदानन्द       सन्दोह       मोहापहारी,

        प्रसीद    प्रसीद   प्रभो  मन्मथारी।।६।।


न     यावद्    उमानाथ     पादारविन्दं,

भजन्तीह     लोके    परे   वा  नराणां।

न     तावत्सुखं   शान्ति  सन्ताप   नाशं,

प्रसीद   प्रभो   सर्व  भूताधि  वासं।।७।।


          न     जानामि    योगं   जपं   नैव पूजां,

         नतोऽहं   सदा   सर्वदा   शम्भु  तुभ्यम्।

         जरा     जन्म     दुःखौघ     तातप्यमानं,

        प्रभो  पाहि   आपन्नमामीश  शम्भो।।८।।


रुद्राष्टकमिदं     प्रोक्तं    विप्रेण    हरतोषये।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति।।


।। ॐ नमः शिवाय ।।

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