शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ

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  – शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ   प्रश्न : क्या ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा से किसी स्टॉक में इंट्राडे खरीदारी का सटीक संकेत उसी दिन सुबह या एक दिन पहले मिल सकता है? उत्तर है : हाँ, लेकिन कुछ शर्तों और विश्लेषण के साथ। 🔍 OI से इंट्राडे में संकेत कैसे मिलते हैं? ओपन इंटरेस्ट का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग में सपोर्ट-रेजिस्टेंस, ब्रेकआउट, और ट्रेडर सेंटिमेंट को पकड़ने के लिए किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 📈 1. OI और प्राइस मूवमेंट का संयोजन Price OI Interpretation भाव बढ़े बढ़े नया पैसा आ रहा है, ट्रेंड मजबूत Bullish संकेत घटे बढ़े शॉर्ट बिल्ड-अप हो रहा है Bearish संकेत बढ़े घटे शॉर्ट कवरिंग हो रही है Bullish लेकिन अल्पकालिक घटे घटे लॉन्ग अनवाइंडिंग हो रही है Bearish लेकिन अल्पकालिक उदाहरण: अगर किसी स्टॉक में प्री-मार्केट या पहले 15 मिनट में तेजी है और साथ में OI बढ़ रहा है , तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर नई लॉन्ग पोजिशन बना रहे हैं – इंट्राडे बाय का संकेत। ⏰ 2. OI का डे...

Sri rudrastkam। श्री रुद्राष्टकम

 इस ब्लॉग में हम आपको भगवान शिव के रुद्राष्टकम मंत्र का लिरिक्स देंगे ,जो भगवान शिव के गुणों का व्याख्यान करता है।

Sri rudrastkam। श्री रुद्राष्टकम

             ।। श्रीरुद्राष्टकम् ।।

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नमामीशमीशान     निर्वाण     रूपं,

विभुं    व्यापकं  ब्रह्म   वेद स्वरूपम्।

निजं    निर्गुणं   निर्विकल्पं    निरीहं,

चिदाकाशमाकाश   वासं   भजेऽहम्।।१। 


         निराकारं     ऊँकार      मूलं       तुरीयं,

         गिरा    ध्यान  गोतीतमीशं    गिरीशम्।

          करालं    महाकाल    कालं    कृपालं

        गुणागार    संसार   पारं   नतोऽहं।।२।।


तुषाराद्रि       संकाश     गौरं       गभीरं,

 मनोभूत    कोटि    प्रभा   श्री    शरीरं।

स्फुरन्मौलि    कल्लोलिनी    चारु   गङ्गा

लसद्भाल    बालेन्दु   कण्ठे   भुजङ्गा।।३।।


           चलत्कुण्डलं    भ्रू    सुनेत्रं    विशालं,

            प्रसन्नाननं     नीलकण्ठं      दयालं।

             मृगाधीश    चर्माम्बरं    मुण्ड   मालं,

          प्रियं     शंकरं  सर्वनाथं   भजामि।।४।।


प्रचण्डं       प्रकृष्टं     प्रगल्भं     परेशं,

 अखण्डं    अजं   भानु   कोटि   प्रकाशं।

त्रयः     शूल     निर्मूलनं      शूलपाणिं,

भजेऽहं    भवानी   पतिं   भाव गम्यं।।५।।


       कलातीत    कल्याण  कल्पान्त    कारी,

       सदा    सज्जनानन्द    दाता    पुरारी।

       चिदानन्द       सन्दोह       मोहापहारी,

        प्रसीद    प्रसीद   प्रभो  मन्मथारी।।६।।


न     यावद्    उमानाथ     पादारविन्दं,

भजन्तीह     लोके    परे   वा  नराणां।

न     तावत्सुखं   शान्ति  सन्ताप   नाशं,

प्रसीद   प्रभो   सर्व  भूताधि  वासं।।७।।


          न     जानामि    योगं   जपं   नैव पूजां,

         नतोऽहं   सदा   सर्वदा   शम्भु  तुभ्यम्।

         जरा     जन्म     दुःखौघ     तातप्यमानं,

        प्रभो  पाहि   आपन्नमामीश  शम्भो।।८।।


रुद्राष्टकमिदं     प्रोक्तं    विप्रेण    हरतोषये।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति।।


।। ॐ नमः शिवाय ।।

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