धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

Image
  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक...

जया अप्पा स्वामी आर्टिस्ट की जीवनी

जया अप्पा स्वामी आर्टिस्ट की जीवनी।
(ग्लास पेंटिंग)

जया अप्पा स्वामी आर्टिस्ट की जीवनी( Biography Of Jaya Appaswami Artist)

 
जया  अप्पास्वामी (1918-1984) एक कलाकार और कला समीक्षक थीं जिन्होंने आधुनिक भारतीय कला के गहन अध्ययन  और  विश्लेषण और लेखन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

जया अप्पास्वामी का प्रारंभिक जीवन-

 जया अप्पास्वामी का जन्म 1918 में मद्रास में हुआ था और इनके भाई  एक  सम्मानित  सार्वजनिक  सेवा के लिए जाना जाता था ।  उनके सबसे बड़े भाई भास्कर अप्पास्वामी  द हिन्दू अखबार  में एक पत्रकार थे और एक अन्य भाई मद्रास के यूनिवर्सिटी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे।  

         जया अप्पास्वामी ने कला में प्रारंभिक प्रशिक्षण शांतिनिकेतन में  प्राप्त किया, जहाँ नंदलाल बोस और बिनोद बिहारी मुखर्जी जैसे शिक्षकों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ , इन गुरु जनों के सानिध्य में रहने पर जया की कला विषय मे गहनतम जानकारी हुई ,इनके साथ जुड़े रहने के कारण जया को कला के महत्वपूर्ण विश्लेषण करने उसकी समालोचना करने में ,कला में विशेष  रुचि जगाने में काफी मदद मिली। 

 इसके बाद एक सरकारी छात्रवृत्ति पर वह देश की कला और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए चीन गई।

  1952 में वह मास्टर डिग्री के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के ओबेरलिन कॉलेज में प्रवेश लिया और कला पर महत्वपूर्ण लेखन में अपनी रुचि को  तीव्रता से आगे बढ़ाया।

         भारत लौटने पर वह दिल्ली विश्वविद्यालय में ललित कला विभाग में व्याख्याता के रूप में शामिल हुईं। दिल्ली में रहते हुए वह दिल्ली शिल्पी चक्र की संस्थापक सदस्य बनीं और सोलह सालों तक दिल्ली शिल्प चक्र की सदस्या रहीं।

       जया अप्पास्वामी ने एक कला समीक्षक के रूप में भी काम किया, हिंदुस्तान टाइम्स के लिए कला समालोचना   विषयों पर स्तम्भ (कालम) का लेखन  कार्य किया और फिर 1964 से ललित कला अकादमी ,नई दिल्ली में समकालीन कला  पत्रिका के संपादक के रूप में काम किया।  

        वर्ष 1977 में वह विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुईं।

     इन्होंने तीनों माध्यमों जल रंग ,टेम्परा और तैल माध्यम में काम किया।

       एक चित्रकार जो शुरू में वाटर कलर और टेम्परा  माध्यम में काम करतीं थीं  परंतु बाद में उन्होंने तैल चित्रण में काम किया।

       तैल मध्यम से चित्रण करने  से उन्हें एक विस्तृत क्षेत्र मिला तथा किसी भी प्रकार की पेंटिंग बनाने की पूर्ण आजादी दी।

             कला के इतिहास और आलोचना के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने अन्य विषयों के बीच देश के समकालीन कलाकारों, लोक परंपराओं पर लिखा।

विरासत-

वह कलात्मक चित्रों और पुराने शिल्प मूर्तियों ,बर्तनों  को एकत्र करने की  शौकीन थीं वह कला और शिल्प के सभी प्रकारों  में रुचि रखती थी,  इस प्रक्रिया में पट  चित्रों, कालीघाट और कंपनी शैली  के चित्र  , छोटे कांसे, पीतल के बर्तन आदि के संग्रह का निर्माण किया गया था। उसने इस संग्रह को 'रसजा फाउंडेशन ' में स्थापित किया था जिसे स्थापित किया गया था।  उसके।  बाद में, रसजा फाउंडेशन ने नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट को अपने 1273  वस्तु संग्रह  को  दान  कर दिया । 

 जया अप्पास्वामी , एक संग्रहकर्ता----

     यह आधार एक ऐसे मंच के रूप में था, जो छोटे  संग्रहकर्ता के मामूली संग्रहों का काम करेगा, भले ही पारंपरिक अर्थों में उत्कृष्ट कृतियाँ उनकी सौंदर्य योग्यता के लिए ध्यान देने योग्य नहीं थीं। इस   फाउंडेशन  की पहली प्रदर्शनी ' मंजूषा ' जया अप्पास्वामी के  द्वारा ही  क्यूरेट की गई थी, लेकिन दुर्भाग्य से उनके निधन के बाद  ही इसे खोला गया ।  आज फाउंडेशन के प्रतिनिधि प्रख्यात कला संग्राहक और परोपकारी किरण  नाडार हैं।

छात्रवृत्ति, अनुदान और सदस्यता

चीन की कला और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए सरकारी छात्रवृत्ति


 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी, शिमला से रिसर्च फेलोशिप।


 ओबेरलिन कॉलेज, यूएसए से यात्रा अनुदान


 इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च 1978-79 के फेलो


 जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप

Comments

Popular posts from this blog

नव पाषाण काल का इतिहास Neolithic age-nav pashan kaal

रसेल वाईपर की जानकारी हिंदी में russell wipers information in hindi

Gupt kaal ki samajik arthik vyavastha,, गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था