सर्दियों में हड्डियों की देखभाल sardiyon mein haddiyon ki dekhbhaal ।
सर्दियों में बड़ी संख्या में लोग हड्डियों व जोड़ों के दर्द की समस्या से ग्रस्त होते हैं । बुजुर्गों में सर्दियां आते ही हड्डियों में दर्द बढ़ जाता है ,इसका कारण यह है कि तापमान कम होने के कारण मांसपेशियां और नसें सिकुड़ने लगतीं हैं , हड्डियों में लचीलेपन की कमीं होती है इस कारण जोड़ो में अकड़न आ जाती है,इसलिए हर व्यक्ति को अपने हड्डियों और जोड़ों का विशेष ख्याल रखना पड़ता है ।सामान्यता सर्दियों में सामान्य व्यक्ति स्वेटर ,जैकेट से शरीर को ढक कर रखता है जिसके कारण व्यक्ति को सूर्य की धूप नहीं मिल पाती है और बिटामिन डी का स्रोत सूर्य की धूप सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है ।
बिटामिन डी के द्वारा ही शरीर में कैल्शियम को बांधा जाता है , वरना कैल्शियम युक्त भोज्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर ,अंडे आदि को ग्रहण करने पर बिना बिटामिन डी के शरीर द्वारा संग्रह नहीं किया जाता । बल्कि कैल्शियम वर्ज्य पदार्थ के रूप में बहार भी निकल जाता है इसलिए हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम युक्त भोज्य पदार्थ जरूरी है तो साथ में सूर्य की धूप की भी जरुरत भी पड़ती है।
सामान्यता पचास साल के ऊपर की महिलाओं में रजोनिवृति (मीनोपॉज)के कारण हार्मोन बनना बन्द हो जाते हैं जिसके कारण शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है , पचास साल के बाद महिलाओं को हड्डियों और जोड़ों में दर्द की समस्याओं को सामना करना पड़ता है ,बुजुर्ग महिलाओं में पैंसठ साल और पुरुषों में सत्तर साल होने पर हड्डियों में ऑस्टियोपोरिस रोग का सामना करना पड़ता है इस रोग के कारण बुजुर्गों की हड्डियां अत्यधिक कमजोर हो जातीं है इसमें हड्डियां इतनी कमजोर हो जातीं है की थोड़े से धक्के में ही टूट जातीं है और चटक जातीं है आप समझ सकते हो कि जैसे चाक को हाँथ से तोड़ सकते हो उसी तरह हड्डियां खोखली हो जातीं हैं इस स्थिति में डॉक्टर बी .एम .डी. टेस्ट या बोन डेंसिटी टेस्ट कराता हैं । जिससे हड्डियों के खोखले पन की जानकारी मिल पाती है।
साठ प्रतिशत बुजुर्गों में कूल्हे टूटने के चांस बढ़ जातें है ऑस्टिओपोरिसिस से।
बच्चों की बात करें तो बच्चों में शरीर बृद्धि के लिए कैल्शियम की जरुरत पड़ती है , बच्चों में नौ साल से उन्नीस साल तक हार्मोन उद्दीपन के कारण हड्डियों में तेजी से घनत्व बढ़ता है और युवावस्था में हड्डियां अत्यधिक मजबूत हो जाती हैं।
जोड़ों में दर्द--
जाड़े में जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है , सामान्यता जोड़ों में गद्देदार रचना होती है जो उपास्थि कहलाती है इस उपास्थि के कारण जोड़ में कुशन की गद्दी की तरह होते हैं वो आपस में रगड़ खाने के बाद दर्द नही पैदा करते ,जबकि बृद्धावस्था के कारण जैसे धीरे धीरे शरीर में बाल पक जाते है और शरीर के अन्य अंग भी ठीक से काम नहीं कर पाते वैसे ही जोड़ों में गद्देदार उपास्थि रचनायें भी घिस जातीं है ,इन उपास्थि रचना के घिसने के कारण हड्डियों में आपस में रगड़ होती हैं जिससे दर्द पैदा होता है और चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जाड़े में हड्डियों और जोड़ो की देखभाल कैसे करें?------ ------ ----- ----- जाड़े में हड्डियों की देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय करना जरुरी है
सुबह की धूप लें---
जब हमारी त्वचा को सूर्य की धूप मिलती है तो वो नेचुरल होती है ,और धूप से ही बिटामिन डी का निर्माण होता है , चूँकि जाड़े में शरीर ऊनी कपड़ों से ढका होता है तो सूर्य में बैठने के बाद भी सूर्य की किरणे शरीर के ज़्यादातर हिस्से में नही जा पातीं हैं ,थोड़ी देर ही सूर्य की धूप मिलने से जोड़ों के दर्द में काफी राहत मिलती है।
मालिश से राहत मिलती है----
बढ़ती उम्र में जाड़े के समय नसों में सिकुड़न बढ़ जाती है ,जिसके कारण हड्डियों में दर्द होने लगता है इससे बचने के लिए लोंगों को समय समय पर तेल की मालिश करवाना चाहिए। मालिश से हड्डियों में गर्माहट मिलती है और नसों में सिकुड़न कम हो जाती है। और दर्द में राहत मिलने लगती है ।
योगासन और व्यायाम ----
जो लोग सर्दियों में शारीरिक गतिविधि नही करते और धूप नही सेकते उनको उनके हड्डियों और जोड़ो में अत्यधिक समस्या आ जाती है ।
हड्डियों को मजबूती देने के लिए ऐसे व्यायाम करना चाहिए जिससे जोड़ों में लगे हुए लिगामेंट्स में खिंचाव पैदा हो , लिंगामेंटमें खिंचाव से हड्डियों में मजबूती होने लगती है ,जाड़े के समय हड्डियों में अकड़न भी हो जाती है व्यायाम से ये अकड़न कम हो जाती है ,सामान्यता व्यक्ति को रोज दो किलोमीटर पैदल चलना चाहिए , सूर्यनमस्कार , पद्मासन ,भुजंगासन, मयूरासन ,जैसे आसनों में हड्डियों में खिंचाव और तन्यता उत्पन्न होती है , जिससे हड्डियां मजबूत होती है । घर में रहकर दस दस मिनट का ब्रेक देकर बीस मिनट तक जॉगिंग करना चाहिए ।
सुबह की सैर फायदेमंद---
वैसे तो सुबह की सैर हर मौसम में फायदेमंद होती है ,
सुबह की सैर में न सिर्फ ताजा हवा मिल पाती है बल्कि मौसम संबंधी अन्य समस्याओं का भी सामना नही करना पड़ता, बल्कि मानसिक तनाव भी नहीं रहता, इसके अलावा वजन उठाना ,कसरत करना,दौड़ना ,सीढ़ी चढ़ना उतरना ,डांस करना जैसे कार्यों से शरीर में गर्मीं पैदा होती है ,रक्त संचार से भी हर अंग तक सीधे रक्त आपूर्ति होती है, बृद्ध और अस्थमा ,सी ओ पी डी जैसे मरीजों को सूर्य निकलने के बाद ही पुरे कपड़ों के साथ घर से बहार निकलना चाहिए ।
जाड़े में रक्त की धमनियाँ सिकुड़ जातीं हैं,उनमें खून का प्रवाह सामान्य ढंग से नही हो पाता शरीर के विभिन्न अंगो तक रक्त की आपूर्ति सही ढंग से नहीं हो पाती, ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से शरीर की तंत्रिका तंत्रिकाओं में में खिंचाव उत्पन्न होता है जिससे हड्डियों में दर्द उत्पन्न होता है ,ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए खुली जगह में प्रदूषण रहित जगह में जाएं ,और गहरी साँस लें।
कैल्शियम और बिटामिन----
जाड़े में हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम और बिटामिन से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए , दूध, पनीर , चीज़ , दही , ब्रोकली , हरी पत्तेदार सब्जियां ,तिल के बीज, सोयाबीन,अंजीर, बादाम अंडेका सेवन करना चाहिए , कैल्शियम के साथ बिटामिन डी का सेवन करना चाहिए ,बिटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य ही है परंतु बिटामिन डी की आपूर्ति के लिए डॉक्टर के परामर्श से बिटामिन डी-3 के कैप्सूल का भी सप्ताह में एक बार सेवन किया जा सकता है एक महीने के लिए या फिर मल्टी बिटामिन का भी सेवन भी डॉक्टर के परामर्श से कर सकते है।
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