धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक...

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                   Dental care:

   दांतों की देखभाल कैसे करें?

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       मुंह  में  स्वास्थ्य (ओरल हेल्थ) की जरूरत  क्यों  ध्यान   रखना आवश्यक  है , ओरल हेल्थ के लिए  क्या जरूरी है ,  दांतो की खूबसूरती से व्यक्ति की खूबसूरती बढ़ जाती है,मुंह की दुर्गन्ध से व्यक्तित्व में कमी आती है, दांत में रोग हो जाने से  ही पेट  की कमियां  बीमारियां  भी शुरु हो जाती हैं? अपच की समस्या ,कान्सटीपेसन (कब्ज) की  समस्याएं  दांतो से ही शुरू होती है जो दांत ख़राब होने से सही ढंग से चबाकर नही खाने से होती है।

  दांतों में कीड़ा लगना क्या है?

  दांतो में कीड़ा लगना एक बहुत बड़ी समस्या है , दांतों को कीड़े से कैसे बचाएं?  ये प्रश्न उठता है , इस कीड़े लगने का सबसे बड़ा कारण  है कि कुछ  भी खाने के बाद कुल्ला न करना ,  जब खाने के बाद कुल्ला नही करते तो  मुंह में उपस्थित  बैक्टिरिया  एक चिपचिपा पदार्थ (प्लाक) बनाते हैं , मुंह की लार के संपर्क में आने से यही चिपचिपा पदार्थ (प्लाक)  दांतों  को  नुकसान  पहुंचाता है ,दांतों को इस प्रकार सही से देखभाल नही करने पर धीरे धीरे सुराख़ बन जाता है  इससे  कैविटी बन जाती है  इसे कीड़ा लगना या कैरीज कहते हैं।

   पहचान-----यदि आपके दान्तों चमक नहीं है ,दांतों में भूरे काले धब्बे  है ,ठंडा,गरम लगता है तो ये सब कैविटी के लक्षण हैं आपको ऐसी स्थिति  में  तुरंत डेंटल डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

दांत में ठंढा गरम लगना- 

दांत टूटने, दांतों के घिसने के बाद  मसूढ़े खुल जाते है, दांतों के कीड़े जब दन्त के पल्प तक पहुंच जाते है तब सेंसिविटी के कारण ठंढा गरम का अहसास होता है।इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

 पायरिया--
 मुंह में बदबू आना,मसूढ़ों में सूजन और खून निकलने लगे और चबाते हूए दर्द हो तो पायरिया हो सकता है, पायरिया होने से दांतों के पीछे सफ़ेद/पीले रंग की परत  बन जाती है,पायरिया रोग होने का कारण साफ सफाई न होना ।
 ब्रशिंग--
ओरल हेल्थ के लिए जरूरी बात जिसे आपको फॉलो करना है वो है सुबह शाम नियमित ब्रशिंग ,दिन मेंआप कम से  कम एक बार  एक बार फ्लॉस या इंटर प्रोक्सिमल ब्रश का  उपयोग करें ऐसा इसलिए कि भोजन के कण या बैक्टिरिया दांतों के बीच जमा हो जाते हैं और बाद में इनसे मसूढ़ों में सूजन आ जाती है,  ब्रश के प्रयोग में भी सावधानी बरतें उसको धीरे धीरे दांतों में घुमाएं , यदि ब्रश के बाल मसूढ़ों को टच करेंगे तो मसूढ़ों से खून भी  निकल सकता है ,ब्रश के बाल खराब होने पर या उसके सॉफ्टनेस में कमी आने पर इसको शीघ्र बदल देना चाहिए । ब्रश  के साथ जो टूथ पेस्ट  लेते हो उस पर भी  ध्यान रखे की उसमे फ्लोराइड नामक तत्व कितना है , बच्चों को फ्लोराइड वाला पेस्ट नही कराना चाहिए ,सप्ताह में दो बार नमक पानी का गरारा करें या फिर थोड़ी सी फिटकरी लेकर पानी में  घोलकर गरारा (gorgel)कर सकते है यदि मुंह से दुर्गन्ध आती हो।

 नीम का दातून --

नीम का दातून  बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है ,यदि आप दातून अक्सर करते है तो पायरिया या दांत के सड़न से रोका जा सकता है ,दातून भी करना है तो उसे इस तरह करें की मसूढ़ों में चोट न आने पाये,पहले दातून के अगले हिस्से को धीरे धीरे चबाकर उसे नरम कर लें,तब धीरे धीरे दांतों में फिराएं , दांतों में दातून जोर जोर से नही रगड़ना चाहिए ,इससे दांत  का इनेमल (ऊपरी परत)घिस जाती है।

  मुंह से दुर्गन्ध --

 मसूढ़ों या दांतों की यदि सही प्रकार से सफाई न की जाय तो उसमे सड़न या बीमारी के कारण सांसों में बदबू आने लगती है ,कई बार ख़राब पेट या मुंह की लार का गाढ़ा होना भी दुर्गन्ध का कारण है ,प्याज  और लहसुन के अत्यधिक सेवन से भी मुंह में गंध आने लगती है।

 इससे बचने के लिए आप  लौंग ,इलायची का सेवन करें या फिर सुगर फ्री च्युंगम भी दांतों के मसूढ़े  मजबूत करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं

  डॉक्टर्स से मिलें--

ओरल  हेल्थ ,दांतों की सुरक्षा के लिए जरूरी है कम से कम साल में एक बार किसी डेंटिस्ट को दांतों को दिखाते रहें , क्योंकि यदि किसी दांत में कीड़े लगना सुरु हो गया हो तो डेंटिस्ट उनको सुरुआत में ही clean up  कर देंगे । कभी कभी दांतों में अधिक कीड़े लगने से  फिलिंग की जरूरत
भी पड़ती है ,फिलिंग में कीड़े लगे जगह को साफ


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करके उसमे कुछ केमिकल मसाला भर देते है , लेज़र द्वारा उसको दांतों में फिक्स कर देते है ,यदि कीड़े इतने अधिक होते हैं की वो दांत के ऊपरी भाग को ख़राब करते हुए पल्प को भी प्रभावित कर देतें है तो डेंटिस्ट को रुट कैनाल  ट्रीट मेंट करना पड़ता है जो दांतों के अंदर उपस्थित  वेन्स को बन्द करके दांतो की फिलिंग करने और फिर एक टूथ कैप लगाने तक की मंहगी प्रक्रिया है ।

 रुट कैनाल ट्रीटमेंट --

  दांतों में कीड़ा लगना(डीप कैविटी) चोट लगना ,दांत की सतह बहुत अधिक घिस जाने आदि के कारण पल्प(गूदा)  में अधिक सूज़न आ जाती है और  इसके  कारण  दांतों में असहनीय दर्द , ठंढा गर्म खाने में दर्द ,सोते समय दांतों में असहनीय दर्द, दांत के कारण कान या सिर में दर्द मसूढ़ों में सूजन एवं मवाद निकलना ,इस स्थिति में RCT (रुट कैनाल  ट्रीटमेंट) की जरूरत पड़ती है।
   RCT  में तीन बार  डेंटिस्ट बुलाता है एक बार में 30 से 40 मिनट का समय लगता है ,यदि संक्रमण ज्यादा है तो चार से पांच  सिटिंग लग सकते है।
       दांत में तीन भाग होते है ऊपरी भाग इनैमल ,मध्यभाग डेंटिन तीसरा गहरा भाग पल्प होता है,जब कीड़े केवल इनैमल में लगते है तो डॉक्टर सफाई करके मसाला भर देता है इसे फिलिंग कहते है इसको एक ही सिटिंग पर पूरा किया जाता है लगभग 30 minaute में फिलिंग हो जाती है,फिलिंग में खर्च कम आता है, ये लगभग एक दांत में 300 रुपये से 800 रुपये तक   में  हो जाता है ,पर जब कीड़े पल्प तक पहुंच जाते हैं तो दांत के पल्प तक फ़ैले संक्रमण को नसों के अंदर साफ किया जाता है फिर नसों के मार्ग को गहराई में जाकर ब्लाक किया जाता है उसके बाद फिलिंग दो  सिटिंग में पूरी होती है , चौथे सिटींग में दांतों में सुरक्षा के लिए कैप लगाये जाते है कैप भी 800  रुपये से लेकर 8000  रुपये हजार  तक आते है । ये कैप  मेटल और सेरेमिक के मिश्रण से बने होते हैं  , मेटल वाला कैप सस्ता होता है परंतु कम चलता है,क्योंकि  pure मेटल जल्द रगड़ खा कर घिस जाता है,वहीं  सेरेमिक का कैप दांत के रंग का ही सफ़ेद होता है, सामने के दांत में कीड़ा लगने और कैप लगने पर pure सिरेमिक का कैप ही ज्यादातर डेंटिस्ट लगाते है , 8 हजार के कैप की डॉक्टर्स आजीवन गारंटी लेते है।
   इस तरह रुट कैनाल में एक दांत में खर्च करीब न्यूनतम 3000 रूपए  से से अधिकतम 12 हजार रूपए,
तक आ सकता है।

 न करें  गुटखे का सेवन --

गुटखे का सेवन या  फिर  धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है , दांतो के हेल्थ के लिए गुटखा,खैनी  और बीड़ी ,  सिगरेट, से दूरी बना लें धूम्रपान से न सिर्फ दांतों की चमक  कम हो जाती है बल्कि  गुटखे के  पदार्थ भी धीरे धीरे मसूढ़ों से दांतों को  कमजोर कर देते  है  इस कारण  दांतों में  मसूढ़ों से संबधित रोग भी  हो जाते है ।

 मीठे पदार्थ कम ही लें  --

कुछ मीठे पदार्थ  आहार ,भोजन में लेने से वो दांतों में फंसे रह जाते है ,दांतों के ख़राब होने का एक कारण शुगर है,यही मिठाई या चॉकलेट के कण बाद को दांतों को इंफेक्ट कर देते है , यही कण बैक्टिरिया और अम्लता को बढ़ाते हैं। बच्चों को चकलेट खाने के बाद कुल्ला जरूर करवा दें,कोई भी मीठी चीज खाने के बाद कुल्ला ऐसे करें की उसके कण दांतों में फंसे न रह पाएं।

 हेल्थी फ़ूड --

 पोषक तत्वों से भरपूर फल व सब्जियां न सिर्फ आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं ,बल्कि इससे ओरल हेल्थ भी अच्छी हो जाती है। बिटामिन सी से भरपूर आवंला दांतों की सेहत के लिए अत्यधिक फायदेमंद है।अमरुद,चुकंदर ,अंकुरित अनाज ,दांतों की सेहत के लिए फायदेमंद है।
          
              निष्कर्ष रूप में ये कहा जा सकता है कि यदि दांतों को  स्वस्थ ,बनाना है,तो दांतो की साफ सफाई , कुछ भी खाने के बाद कुल्ला,नियमित टूथ ब्रश ,दांतों में ,मसूढ़ों में कोई  समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर्स से मिलना चाहिए , दांतों के दाढ़ में ज्यादातर कीड़ा पहले लगता है उस स्थिति में तुरंत फिलिंग कराना चाहिए ,दांत ज्यादा ख़राब होने पर रूट कैनाल ट्रीटमेंट कराना चाहिए जिससे अन्य दांत में इन्फेक्शन न पहुंचे।

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