(America की क्रांति)
|
अमेरिकी क्रांति । Amerika ki kranti |
अमेरिका की क्रांति अन्य क्रांतियों से भिन्न थी क्योंकि इस क्रांति में अमीरी ग़रीबी का संघर्ष नही था बल्कि यहां पर उपनिवेशवादी शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष और उससे मुक्ति प्राप्त करना था ये संघर्ष अपने ही पितृ देश से मुक्ति का संघर्ष था ,इस स्वतंत्रता संघर्ष ने अन्य देश में उपनिवेशों के चंगुल में फंसे देशों को दासता की बेड़ियां उतारने के लिए एक आंतरिक ऊर्जा पैदा कर दी ।
अमेरिका वास्तव में 13 बस्तियां थी जो समुद्र के किनारे पूर्वी छोर पर बसीं थीं ,इन 13 state के नाम उत्तर से दक्षिण इस प्रकार थीं न्यू हैम्पशायर ,मैसाचुसेट्स ,रोड आई लैंड कनेक्टिकट, न्यूयार्क ,पेंसिल्वेनिया, न्यू जर्सी ,डेलावेयर, मैरीलैंड ,नार्थ कैरोलिना ,साउथ कैरोलिना ,जॉर्जिया बस्तियाँ थी , आज के लुसियाना प्रान्त में स्पैन देश का अधिकार था , ये सभी स्पेन , फ़्रांस , इंग्लैंड के अधीन बस्तियां 1600 से आबाद होना शुरू हुईं थी , बस्तियों में वो लोग थे जो इंग्लैंड में कृषि के बड़े बड़े फॉर्म बनने से भूमि हीन कृषक हो गए थे , यहां पर वो रूढ़िवादी लोग भी थे जो प्रोटेस्टेंट आंदोलन के बाद एंग्लिकन चर्च के नियमों को नही मानते थे, यहां पर वो अपराधी भी थे जिनको इंग्लैंड में किन्ही अपराधों में लंबी सजा हुई थी , बहुत से साहसी व्यापारी भी कुछ नया पाने की चाहत में यहां आ बसे थे ,यहां पर यूरोप के देश स्पेन, और फ्रान्स आदि देशों से भी लोग आकर बस गए थे । फ्रान्स का क्षेत्र अमेरिकी 13 उपनिवेशों से पश्चिम दिशा में था ज्यादातर फ़्रांसिसी बस्तियां मिसीसिपी नदी के किनारे किनारे थी , इन बस्तियों के अलावा भी फ्रान्स का आधिपत्य था जो भू क्षेत्रफल में अमेरिकी 13 उपनिवेशों से ज़्यादा बड़ा था, इस क्षेत्र में मुख्यता अमेरिकी मूलनिवासी जिनको रेड इंडियन कहा जाता था , बहुतायत में रहते थे, रेड इंडियन वास्तव में अमेरिकी जनजातियां थी जो हजारो सालों से इस अलग थलग महाद्वीप में रहतीं आईं थीं ,अलग अलग कबीलों में सुदूर पश्चिम तक फ़ैले थे , जो सैकड़ों थीं और सभी क़बीले की अपनी अलग संस्कृति थी जिनको वर्तमान में नेटिव अमेरिकन कहा जाता है , इसी तरह स्पेन ने भी उत्तरी अमेरिकी क्षेत्र के दक्षिणी भाग में कब्ज़ा कर रखा था ये आज के मैक्सिको वाली जगह में फ़ैले थे , अमेरिका में सबसे पहले स्पेन के निवासी ही आकर बसे थे क्योंकि क्रिस्टोफर कोलंबस स्पेन देश का निवासी था उसने ही 1453 में नई दुनिया की खोज की और वहां के लोंगों को रेड इंडियन कहा तथा जिन द्वीप में वो पहुंचा था उसको वेस्टइंडीज कहा क्योंकि वह भारत को खोजने के लिए पूर्व दिशा की तऱफ निकला था परंतु वह भटककर पश्चिम दिशा की तऱफ अमेरिका की जमीन पर पहुँच गया था। अमेरिकी क्रांति। Amerika ki kranti
अमेरिकी पूर्वी छोर पर फ़ैले 13 उपनिवेश थे ये अमेरिकन state ब्रिटेन की कॉलोनी या उपनिवेश थे , यहां पर हर उपनिवेश की अपनी संसद थी और वो अपने कानून बनाते थे परंतु मुख्य रूप से आर्थिक व्यापारिक ब्रिटिश नीतियां लागू होती थी अन्य उपनिवेशों की तरह अमेरिका यहां पर एक गवर्नर के माध्यम से शासन चलाता था और गवर्नर की बहुत ज्यादा शक्ति रहती थी वह उस स्टेट के व्यवस्थापिका द्वारा बने कानून पर वीटो भी कर सकता था इस प्रकार ब्रिटिश सरकार गवर्नर के माध्यम से इन 13 उपनिवेश पर हस्तक्षेप करती थी , यहां पर ब्रिटिश द्वारा बने क़ानून भी लागू होते थे ,ब्रिटिश जनता की तरह अमेरिकी भी स्वतंत्रता,समानता के प्रबल पक्षधर थे वो ब्रिटेन की तरह रूढ़िवादी भी नहीं थे बल्कि ज्यादा साहसिक और कठोर निर्णय लेने वाले थे ,क्योंकि उन्होंने अमेरिका को स्वयं बनाया था और 16 वीं सदी से लगातार चल रहे प्रबोधन के कारण यहां के निवासी तार्किक थे , उन्होंने अमेरिका में शिक्षा ,स्वास्थ्य और सड़क क्षेत्र में प्रगति की थी ,परंतु लगातार ब्रिटेन की शोषणकारी नीतियों से ,अमेरिकियों में गुस्सा था ,वो अब अमेरिकी बस्तियों के चरित्र को बदलकर या औपनिवेशिक स्वरुप से बदलकर राष्ट्र की शक्ल ले रहीं थी ,परंतु ब्रिटेन उनके इस राष्ट्रीय भावना को नजरअंदाज कर देते था। इन बस्तियों के अंदर ये भावना पनप रही थी कि कहीं न कहीं हम सबके हित सामान है और सभी को एक साथ मिलना चाहिए।
अमेरिकी क्रांति मजदूरों और किसानों द्वारा नही शुरू हुई बल्कि ये मध्यमवर्ग द्वारा किया गया क्योंकि इस क्रांति में मुख्यता मध्यमवर्ग ही आगे रहा कुछ मजदूर ,कारीगर भी सम्मिलित हुए, इसमें कुलीन वर्ग ने भाग नही लिया बोस्टन हत्याकांड , के बाद ये पूर्णतया निम्न मध्यमवर्ग द्वारा नेतृत्व किया गया । अमेरिकी समाज के कुछ वर्गों के हित ब्रिटेन की नीतियों से टकराते थे जैसे तस्कर नीति के विरोधी थे , व्यापारी पूंजीवादी हितों के संरक्षण के पक्ष में थे क्योंकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा था और एक स्वतंत्र पूंजीपति वर्ग का उदय हो रहा था और ये वर्ग बाह्य प्रतिस्पर्धा से अमेरिकी अर्थव्यवस्था का संरक्षण चाहता था ,अगर अमेरिकी पूंजीवाद को प्रगति करनी थी तो ब्रिटेन के वाणिज्यवादी प्रसार से छुटकारा जरूरी था ,छात्र एवं बुद्धिजीवी प्रजातांत्रिक मूल्यों की स्थापना चाहते थे ,वहीं वर्जीनिया के तम्बाकू उत्पादक व्यवसायी पश्चिम की तरफ़ विस्तार चाहते थे परंतु ब्रिटेन ने पश्चिम की तरफ़ बढ़ने से रोक दिया क्योंकि ब्रिटेन एंग्लो इंडियन के संरक्षण के कदम उठा रही थी जो पश्चिम की तऱफ निवास करते थे।
अमेरिकी क्रांति में संवैधानिक मुद्दा भी था जहां ब्रिटेन में संसदीय सर्वोच्चता की भावना उफ़ान पर थी ,ब्रिटेंन के अनुसार अमेरिका के सारी संस्थाये ब्रिटिश संसद के अधीन हैं वहीं अमेरिकी लोग पृथक महाद्वीपीय भावना से जी रहे थे ,वहीं अमेरिकियों में निजी स्वतंत्रता और व्यक्तिवाद की भावना प्रबल थी ,अमेरिकियों के अनुसार निजी स्वतंत्रता और व्यक्तिवाद की भावना जैसे प्राकृतिक अधिकार किसी से भी छीने नही जा सकते है।
अमेरिकी क्रांति के कारण--------
अमेरिकी क्रांति के कारणों में हम तीन भागों में बाँटकर देख सकतें है।
१-सामाजिक सांस्कृतिक कारण
२- राजनीतिक कारण
३- आर्थिक कारण
१ )सामाजिक सांस्कृतिक कारण-----
सामाजिक सांस्कृतिक कारण में ये था कि इन अमेरिकी उपनिवेशों में आकर बसने वाले लोग अलग अलग देशों से स्पेन , फ़्रांस , ब्रिटेन आदि से आकर बसे थे जिनकी यूरोप में पृथक भाषा ,संस्कृति थी परंतु जब ये यहां आकर बसे तो सभी उदारवादी थे जो एक हो गए, इसी तरह स्पेन का राजा कैथोलिक चर्च को प्रश्रय देता था जिसके कारण प्रोटेस्टेंट अनुयाइयों पर जटिल टैक्स लगाये जाते थे उनका उत्पीड़न होता था इसलिए वहां के प्रोटेस्टेंट अमेरीकी बस्तियों में आ बसे , इसी तरह ब्रिटेन के कैथोलिक भी अमेरिका में आ बसे, , यूरोप के कई देशों के अपराधियों को सजा के कारण भी अमेरिका जैसे निर्जन जगह भेजा जाता रहा , वो ख़ुद के जीवनयापन के कारण अत्यधिक संघर्ष शील हो चुके थे , साहसी व्यापारी भी अमेरिका में कुछ नया करने की चाहत में हजारों किलोमीटर दूर यूरोप के मोह को छोड़कर अमेरिकी बस्तियों में बस चुके थे।
इस तरह ये सभी बसे लोंगों ने यूरोप के रूढ़िवादी समाज व्यवस्था के रीतियों को त्यागकर एक उदारवादी समाज का निर्माण किया ,और अपनी एक नई संस्कृति विकसित की।
२)राजनीतिक कारण----------
राजनीतिक कारणों में जब पहुंचते है तो पातें है कि अमेरिका की क्रांति तक पूरे यूरोप में कहीं भी गणतंत्र नही था ,, परन्तु प्रबोधन के उदय ( 16 वीं सदी से 18 वीं सदी ) के कारण स्वतंत्रता, समानता, मानववाद, व्यक्तिवाद, लोकतंत्र, शक्तियों के पृथक्करण , गणतंत्र जैसे नए विचार पूरे यूरोप में फ़ैल चुके थे , परंतु इस प्रबोधन (Enlightment)के प्रसार के बाद भी यूरोप में अभी तक ज्यादातर देशों में राजशाही ही थी ,साथ में समाज में भी रूढ़िवाद ज्यादा था, जान लाक जिन्होंने उदारवादी व्यवस्था के बारे में लिखा था , मॉन्टेस्क्यू ने शक्तियों के पृथक्करण के बारे में लिखा था,जो राजशाही शासन में सभी कार्यपालिका ,ब्यस्थापिका,न्यायपालिका की शक्तियां राजा के पास केंद्रित होतीं थी,थॉमस पेन जो अमेरिकी थे ,आदि लेखकों ने जनमानस को बताया
कि स्वतंत्रता ,भाईचारा, समानता मनुष्य के मुख्य गुण है , व्यक्तिवाद उसका मूल अधिकार है।
इन कॉलोनियों के वैसे तो अपने अलग अलग Legislature थे वो अपने कॉलोनी के लिए क़ानून बनाते थे परंतु वास्तव में इन l
Lagislature के ऊपर गवर्नर था जो इंग्लैंड में राजा द्वारा नियुक्त होता था और वह राजा के एजेंट की तरह था और शक्तिशाली भी था क्योंकि वह इन Legislature के द्वारा बने कानून में भी वीटो लगा सकता था , जूनियर ऑफिसर तो इन कॉलोनियों द्वारा स्वयं नियुक्त किये जाते थे परंतु सीनियर ऑफिसर और मिलिट्री ,जज के नियुक्ति करने का , ब्रिटेंन का अधिकार था, इतना सब होने के बाद इन कॉलोनियों का कोई भी प्रतिनिधि लन्दन की पार्लियामेंट में नही जाता था ,जनता का कहना था कि जब मेरा प्रतिनिधित्व नही तो मेरे ऊपर ये कानून कैसे ,ये टैक्स क्यों??
3)आर्थिक कारण------
आप अब देखेंगे की अमेरिकी क्रांति का मुख्य कारण आर्थिक ही था ,अमेरिकी उपनिवेशों में प्रारम्भ में कच्चा माल तैयार होता था जैसे कपास ,नील ,आयरन , आदि परन्तु धीरे धीरे जब इन उपनिवेशों में भी औद्योगीकरण हुआ तो , तो उत्तरी हिस्से के उपनिवेशों में उद्योग लगे परंतु दक्षिण देश कपास ,गन्ने आदि फसलें तैयार करते थे ,जिससे ये उपनिवेश जो अभी तक अपने कच्चे माल को इंग्लैण्ड भेजते थे अब सीधे उत्तर के उपनिवेशों को अपना कच्चा माल भेजते थे ,परंतु इंग्लैंड इन कॉलोनी के बीच आपसी व्यापार पर व्यवधान डाल रहा था , अमेरिका में उदारवादी विचारों में का फैलाव हो चुका था और अमेरिकी नागरिक इंग्लैण्ड के इस सिद्धान्त के विरुद्ध थे की अमेरिका सिर्फ इंग्लैण्ड के साथ ही व्यापार कर सकता है यूरोप के अन्य देशों के साथ व्यापार नही हो सकता था। दूसरी और ब्रिटेंन की सरकार ने कई व्यापारिक प्रतिबन्ध लगा रखे थे जिन्हें नेविगेशन एक्ट कहा जाता जाता था इनमे पहला
नेविगेशन एक्ट 1651 में लगाया गया इसके अनुसार इन 13 उपनिवेश का व्यापार सिर्फ ब्रिटिश जहाजों से ही हो सकता था ये अपने समान के ट्रांसपोर्ट लिए स्पेन फ़्रांस के जहाजों का प्रयोग नही कर सकते थे।
1660 में शुगर एक्ट ब्रिटेन की संसद में पास हुआ अब इस एक्ट से टोबैको ,काटन और नील वस्तुओं का निर्यात सिर्फ इंग्लैण्ड को ही हो सकता था।
1663-----में एक टैक्स पारित हुआ जिसके अनुसार जितना भी सामान अन्य देश ,भारत आदि से अमेरिकी कॉलोनी की तरफ़ जायेगा वह माल से लदे शिप पहले ब्रिटेन जायेगें , ब्रिटेन में उस सामान का निरीक्षण होगा वहां पर टैक्स लगेगा फ़िर उस जहाज को अमेरिका रवाना किया जायेगा , इस कानून से अमेरिका को आने वाले हर जहाज के सीधे अमेरिका नही आ पाने के कारण भाड़े में बढ़ोत्तरी हो जाती थी जिससे व्यापारी नाराज़ रहते थे
इस क़ानून के पारित होने के बाद चोरी छिपे तस्कर एक कालोनी से दूसरी कॉलोनी व्यापार करते थे , लगभग 100 साल तक व्यापार चलता रहा,यानी 100 साल तक व्यापार में कोई खास दबाव नही डाला गया इन कानूनों के पालन के लिए ,परंतु 1763 के बाद इन कानूनों में दबाव बढ़ा ,क्योंकि इंग्लैण्ड सप्तवर्षीय युद्ध (1756-1763) में ब्रिटेंन की जीत हुई थी फ़्रांस को अमेरिका के सारे कॉलोनी पर अपना अधिकार त्यागना पड़ा, और मिसीसिपी नदी के पूर्वी हिस्से का पूरा एरिया फ्रान्स ने इंग्लैंड को दे दिया ,वहीं फ़्रांस ने अपने साम्राज्य का दूसरा भाग स्पेन को दे दिया,इस प्रकार सप्तवर्षीय युद्ध के बाद फ्रान्स का दखल अमेरिका से पूरा समाप्त हो गया ,साथ में इंग्लैंड को फ़्रान्स के उसके 13 उपनिवेशों को हथियाने का डर भी खत्म हो गया , इस संधि के बाद अमेरिकी कॉलोनी के लोंगों को भी अपलेशियन पर्वत के बाहर विस्तार करने की जगह मिल गई क्योंकि अभी तक उस क्षेत्र में फ्रान्स का अधिकार था ,परंतु इंग्लैण्ड ने इन उपनिवेशों को पश्चिम में अपलेशियन पर्वत के उस पार नही जाने के लिए कानून बना दिया,जिसे '"प्रोक्लेएमशन ऑफ़1763" या सिर्फ "प्रोक्लेमेशन " कानून कहा गया ,इस कानून से अमेरिकी लोंगों का विस्तार का स्वप्न टूट गया ,परंतु ब्रिटेन के इस युद्ध के जीतने के बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका था , उसकी इकॉनोमी एक - तिहाई ही रह गई थी ,अब वह अपनी अर्थव्यव्यस्था को सुधारने के लिए कई क़ानून बना दिए जिससे उसने 1763 के बाद इंग्लैण्ड ने तस्करों पर रोक लगाने के कड़े उपाय किये , उन तस्करों को जेल भेज गया , जिससे अमेरिकी नाराज़ हुए ।
इसके अलावा अमेरिकी लोंगों पर कई टैक्स लगा दिए गए जैसे
शुगर एक्ट 1764--:) ,
स्टैम्प एक्ट-- 1764:)
शुगर एक्ट में अमेरिकी ,अब शुगर के लिए इंग्लैंड पर ही आस्रित हो गए ,वो शुगर किसी अन्य देश को नहीं बेंच सकते थे , चाहे अन्य देश उनको उनसे ज्यादा भाव दे रहे हों।
इसी तरह स्टाम्प एक्ट पास हुआ जिसमे किसी भी लीगल कार्यवाही या पेपर , मैगजीन के प्रसारण में स्टैम्प लगाना अनिवार्य कर दिया गया, जिसमें स्टैम्प सरकार लगाएगी और स्टाम्प शुल्क लेगी । जिससे वकील वर्ग नाराज़ हुआ ,साथ में अख़बार की कीमतें बढ़ गईं जब हर अख़बार के प्रति में एक स्टैम्प लगाना अनिवार्य कर दिया गया।
Quaterni act---(क्वाटर्नी एक्ट)--- इस एक्ट में ये प्रावधान किया गया कि जो भी सैनिक अमेरिका में तैनात हैं उनका खर्च अमेरिकियों को वाहन करना पड़ा ,साथ ये अनिवार्य किया गया कि यदि ब्रिटिश सैनिको की टुकडी किसी जगह रात को आश्रय लेना पड़ा तो इन सैनिको को घरों में रहने के लिए जगह देना पड़ेगा। इस तरह इस क़ानून से आम जनता गुस्से में थी।
Townshend act 1765--- (टाउन्सहेंड एक्ट)
इस एक्ट में चाय, कागज,लेड और पेंट में आयात शुल्क लगा दिया गया , चाय ,इंडिया और चाइना से आती थी ,चाय को ब्रिटेन और अमेरिका की जनता बेहद पसंद करती थी । इस क़ानून से ये भी प्रावधान किया गया की सेना किसी भी घर या जहाज में बिना वारंट के प्रवेश करके तलाशी ले सकती थी। इस कानून से भी नाराज हुई।
उपरोक्त शोषणकारी कानूनों से जनता नाराज़ हुई और विद्रोह शुरू हो गए , इसी तरह प्रोटेस्ट में बोस्टन 1770 में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा निहत्थे अमेरिकियों के ऊपर गोली चला दी , जिससे 5 अमेरिकी मारे गए , बहुत ज्यादा व्यक्ति तो नही मारे गए परंतु इस हत्याकांड को सैमुअल एडम्स और पॉल रेवेयर ने इस हत्याकांड को चित्रित करके 13 उपनिवेशों में जाकर प्रचारित किया और इस हत्याकांड संबधी पैम्फलेट बांटे किस प्रकार ब्रिटिश सैनिक क्रूर अत्याचार कर रहे हैं निर्दोष जनता के ऊपर , इस तरह लगातार ब्रिटिश सेना के ख़िलाफ़ जनता में रोष जगा ।
बोस्टन टी पार्टी----
1773 में लार्ड नार्थ प्रधानमन्त्री बना ,उसने पुराने सभी टैक्स को खत्म कर दिया सिर्फ चाय पर टैक्स लगे रहने दिया , चाय पर टैक्स बने रहने पर अमेरिकियों देशभक्तों (पैट्रियाट) ने फिर प्रोटेस्ट किया, हर जगह चाय के बण्डल, चाय की पेटियों के दुकानों , गोदामों से हटाया गया साथ में उन्होंने कहा कि हम चाय को अमेरिका के किसी बन्दरगाह से उतरने ही नही देंगे यदि उतर भी गया तो दुकानों में नही पहुँचने देंगे , इधर मैसाचुसेट्स नामक स्टेट के गवर्नर ने कहा की चाय को बोस्टन बन्दरगाह में लाया जायेगा और उतारा जायेगा चाहे जो हो जाय , जब 16 दिसंबर 1773 को चाय से लदा जहाज बोस्टन बन्दरगाह में आया तो , सैमुअल एडम्स क्रांतिकारी के नेतृत्व में देशभक्त अमेरिकियो ने नेटिव अमेरिकन (रेड इंडियन) के भेष में कपड़े पहनकर चाय की सारी पेटियां समुद्र में फेंक दी ,इस घटना को ही बोस्टन की चाय पार्टी कहते है। अमेरिकी क्रांति का ये महत्वपूर्ण पड़ाव है।
Intolerable act-- ( इंटोलेरबल एक्ट) बोस्टन की टी पार्टी के बाद ब्रिटिश सरकार नाराज़ हुई उसने intolrable act बनाया जिसमे टाउन हाल में होने वाले देशभक्तों की मीटिंग में प्रतिबंध लगा दिए , साथ में सैमुअल एडम्स को पकड़कर इंग्लैंड भेजने को कहा गया ,बोस्टन बन्दरगाह में हुए नुकसान का हर्जाना माँगा गया।
इस एक्ट के विरोध में देशभक्त लोंगों ने जंगल में मिलिट्री ट्रेनिंग कैम्प चलाकर आम व्यक्ति को युद्ध के लिए ट्रेनिंग करना शुरू कर दिया , क्योंकि patriots को लगने लगा था कि अब युद्ध हो सकता था ।
फर्स्ट कॉन्टिनेंटल कांग्रेस ( First Continental Congress ) ------
इस कांग्रेस में सितम्बर 1774 में पहली बार अमेरिका के सारे 13 कॉलोनी के जनप्रतिनिधि (representetivs) सम्मिलित हुए, जिन्होंने इंग्लैंड द्वारा थोपे गए निरर्थक कानूनों की तीव्र भत्सर्ना कि और ब्रिटिश सामान के लगातार बहिष्कार का निर्णय लिया , उसकी जगह स्वदेशी अमेरिकी उत्पादों के प्रयोग का निर्णय हुआ , और स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने का निर्णय हुआ , साथ में किसी भी प्रकार के ब्रिटिश व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया ।
Common Sence---ये 48 पेज का पैम्फलेट था जो फर्स्ट कांटिनेंटल कांग्रेस के बाद छपा ,इसके लेखक थॉमस पेन थे ,जिन्होंने बहुत ही तार्किक रूप से अमेरिकी लोंगों को समझाया कि क्यों जरूरी है अमेरिका की स्वाधीनता , इस बुक की लाखों प्रतियां बिक गईं ,लोग इसके लेखों को आम जनता के बीच पढ़कर सुनाते थे , जिससे आम जन में आजादी के विचार पैदा हुए ।
जार्ज वाशिंगटन और थॉमस जेफर्सन
युद्ध का प्रारम्भ ------ फर्स्ट कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के कुछ दिनों बाद ही ही युद्ध छिड़ गया जो पहली लड़ाई हुई वो अप्रैल 1775 में लेक्सिगन कॉनकॉर्ड में हुई , इसका नेतृत्व कर रहे थे जार्ज वाशिंगटन ,ये युद्ध छापामार पद्धति में हुआ , युद्ध ज्यादातर ग्रामीण इलाके में संगठित होकर शहरों में हमले पर आधारित था , इस युद्ध के बीच में ही फर्स्ट कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने ब्रिटेन के राजा जार्ज तृतीय को पत्र लिखा कि यदि ब्रिटिश सरकार सभी टैक्स वापस ले ले तो युद्ध बन्द किया जा सकता है ,परंतु जार्ज तृतीय ने इस युद्ध को क्रांति न मानकर ब्रिटिश पार्लियामेंट के ख़िलाफ़ विद्रोह माना और फर्स्ट कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के सभी सदस्यों को राष्ट्रद्रोही करार दिया गया।
इधर 1776 में 13 ब्रिटिश कॉलोनियों से ब्रिटेन के उच्च अधिकारी ,जजेस, और सैनिकों को हटा दिया गया था अब इन कॉलोनियों में अपने Legislature द्वारा चुने गए अधिकारी थे , इन कॉलोनी के लोंगों ने मिलकर खुद को state कहा यानी वो ब्रिटेन के आधीन बिलकुल ही नहीं हैं ।
द्वितीय कॉन्टिनेंटल कांग्रेस---
इस द्वितीय कॉन्टिनेंटल कांग्रेस का आयोजन फिलाडेल्फिया शहर में 4 जुलाई 1776 को हुआ ,जिसमे सभी 13 उपनिवेशों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए ,और यहां इस दिन आज़ादी की घोषणा (declaration of independece )की घोषणा की ,इस घोषणा पत्र को लिखने वाले थे थॉमस जेफर्सन 4 जुलाई को अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
इसी नई सरकार ने युद्ध के लिए कूटनीतिक सम्बन्ध बनाये उन्होंने फ्रान्स से सहायता मांगी , स्पेन ,नीदरलैंड ने भी अमेरिका की मदद की , फ्रान्स ने अमेरिका को गोला बारूद और सैन्य सहायता दी , फ्रान्स ने भरपूर सहायता कि ,उसने इतनी सहायता की कि फ़्रांस खुद कंगाल होते होते बचा ,परंतु फ़्रांस इस युद्ध में सप्तवर्षीय युद्ध में हुए हार का बदला ब्रिटेंन से लेना चाहता था और उत्तरी अमेरिका में ख़ुद अपना स्थान बनाना चाहता था ,जिसमे असफल रहा परंतु इससे अमेरिका को युद्ध में बहुत सहायता मिली और अक्टूबर 1781 में ब्रिटिश जनरल लार्ड कार्नवालिस ने यांग्स टाउन में ख़ुद को सरेंडर कर दिया और इस प्रकार अमेरिका की जीत हुई । इस युद्ध के बाद पेरिस की संधि 1783 में हुई जिसमें ,अमेरिका को स्वतंत्र देश के रूप में स्वीकृति हुई।
इस युद्ध में करीब एक लाख सैनिकों ने प्राण गंवाए।
इस प्रकार इंग्लैण्ड के राजा का अधिकार पूर्णतया समाप्त हो गया अमेरिकी जनता के ऊपर से ।
अमेरिकी क्रांति का महत्व----
इस अमेरिकी क्रांति । Amerika ki kranti से स्वतंत्रता की अलख अन्य उपनिवेशों के ऊपर भी जली।
रिपब्लिक यानी ऐसा राज्य जहां राजा भी चुना जाय ऐसी धारणा ,इसी क्रांति से जन्म लिया। ये अचंभित करने वाला कांसेप्ट था , क्योंकि यूरोप के देशों में हर जगह राजशाही ही था अभी तक।
स्वत्रंता ,समानता, व्यक्तिवाद जैसे सिद्धान्त का प्रयोग अमेरिकी क्रांति में दीखता है।
प्रश्न--अमेरिका की क्रांति में जार्ज वाशिंगटन का क्या महत्व था?
प्रश्न-अमेरिका की क्रांति का क्या महत्व है?
प्रश्न-अमेरिका को आज़ादी कैसे मिली?
प्रश्न-क्या अमेरिका भी ब्रिटेन का उपनिवेश रहा था?
प्रश्न-अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in this comment box