MACD Indicator क्या है?

लेखक: मनोज द्विवेदी | ब्लॉग: मनोज की आवाज़
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म की विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो पति की दीर्घायु, सुख, समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। यह व्रत पतिव्रता सावित्री की अमर कथा पर आधारित है, जिन्होंने यमराज से अपने पति सत्यवान का जीवन वापस पाया।
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वट वृक्ष में कच्चे धागे से फेरा लगाती हिंदू महिलाएं |
मास: ज्येष्ठ माह (वैशाख के बाद आता है)
तिथि: अमावस्या तिथि (ज्येष्ठ अमावस्या को यह व्रत किया जाता है)
कैलेंडर में पहचान:
आप ठाकुर प्रसाद पंचांग या अन्य किसी मान्य पंचांग में "वट सावित्री व्रत" या "वट अमावस्या" के दिन को देखें।
अमावस्या के दिन "वट वृक्ष की पूजा" और "सावित्री व्रत" लिखा होता है।
कुछ क्षेत्रों में यह पूर्णिमा को भी मनाया जाता है, परंतु उत्तर भारत में अमावस्या तिथि पर अधिक मान्य है।
यह पर्व मुख्यतः उत्तर भारत, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र में बहुत श्रद्धा से मनाया जाता है। विशेषकर बिहार और यूपी में यह सुहाग की रक्षा का अत्यंत पवित्र पर्व माना जाता है।
कैसा पेड़ होना चाहिए: बरगद (वट वृक्ष) का पेड़।
उम्र: कम से कम 10 वर्ष से पुराना होना चाहिए, परंतु 50-100 वर्ष पुराने वटवृक्ष को अधिक शुभ माना जाता है।
विशेषता:
वटवृक्ष को त्रिदेवों का स्वरूप माना जाता है: ब्रह्मा – जड़ में, विष्णु – तने में, और शिव – शाखाओं में।
यह अक्षय ऊर्जा और दीर्घायु का प्रतीक है।
क्रम | सामग्री | उपयोग |
---|---|---|
1 | वटवृक्ष के पास जाने योग्य पूजा स्थान | मुख्य अनुष्ठान के लिए |
2 | लाल या पीला वस्त्र | पूजा के दौरान पहनने हेतु |
3 | रोली, हल्दी, सिंदूर | तिलक व पूजन सामग्री |
4 | अक्षत (चावल) | पूजा में आवश्यक |
5 | जल से भरा लोटा | अर्घ्य और सिंचन हेतु |
6 | सुपारी, पान, बताशे | पूजा और भोग के लिए |
7 | फल, मिठाई, केला | नैवेद्य के रूप में |
8 | कच्चा सूत (काला/पीला धागा) | वटवृक्ष की परिक्रमा हेतु |
9 | दीया, घी, रुई | दीपक जलाने हेतु |
10 | धूप, अगरबत्ती | वातावरण को पवित्र बनाने के लिए |
11 | सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र | कथा श्रवण के समय पूजन हेतु |
प्रातः काल स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पति की लंबी उम्र की कामना के साथ संकल्प लें।
पूजन सामग्री लेकर वटवृक्ष (बरगद के पेड़) के पास जाएं।
वृक्ष को हल्दी, रोली, चावल, फूल, फल आदि अर्पित करें।
वृक्ष की 7 या 11 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा धागा लपेटें।
धूप, दीप जलाएं और सावित्री-सत्यवान की पूजा करें।
व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
अंत में ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा दें।
राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री अत्यंत सुंदर, बुद्धिमती और धर्मपरायण थी। उसने वनवासी सत्यवान से विवाह किया। जब यमराज सत्यवान का प्राण हरने आए, तो सावित्री उनके पीछे-पीछे चल दीं। उन्होंने अपने पतिव्रत धर्म, बुद्धिमत्ता और वाणी से यमराज को संतुष्ट कर लिया।
यमराज ने वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने पिता का वंश, सास-ससुर की आंखों की रोशनी, सौ पुत्र और अंत में पति सत्यवान का जीवन मांग लिया। यमराज ने उसकी अटल निष्ठा देखकर सब वरदान दे दिए।
परंपरागत वस्त्र जैसे साड़ी (विशेषकर लाल, पीली, हल्दी रंग की) पहनना श्रेष्ठ माना जाता है।
सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, बिछुआ, पायल आदि सुहाग के सभी चिन्ह पहनें।
श्रृंगार करना अनिवार्य है क्योंकि यह सुहागिन व्रत है।
पति के हाथ से मांग में सिंदूर भरवाना बहुत पुण्यदायक होता है।
पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य।
संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।
स्त्री का सौभाग्य और सौंदर्य बना रहता है।
जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और मानसिक शांति।
वट वृक्ष की वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्ता है। यह वातावरण को शुद्ध करता है, ऑक्सीजन अधिक मात्रा में छोड़ता है और इसकी छाया शांति देती है। यह व्रत स्त्री के संयम, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।वास्तव में सनातन संस्कृति में प्रकृति के पांच तत्व क्षिति,जल,पावक,गगन ,समीरा को प्रधान माना गया है,सनातनी ईश्वर का ध्यान में पूजा में वृक्ष को साथ में रखता है या तो उनके फूलों को लेगा,या उनके पत्तों का प्रयोग करेगा, जैसे केला और आम के पत्ते पूजा में प्रयोग होते हैं। या तो आम के टहनियों का प्रयोग पूजा में होता है, दूब जो घास है उसका प्रयोग पूजा में होता है ,तुलसी की पत्ती का प्रयोग पूजा में होता है।और भगवान के सामने विभिन्न फलों का भोग लगाया जाता है।हम सब पीपल बरगद के वृक्ष को पवित्र मानते है आंवला के वृक्ष के नीचे इच्छा नवमी के दिन महिलाएं बैठकर भोजन करतीं हैं।
वट सावित्री व्रत नारी शक्ति के आदर्श रूप "सावित्री" को समर्पित है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें परंपरा, आस्था और कर्तव्य सभी का संगम होता है। इस व्रत से जुड़ी समस्त विधियों और परंपराओं को जानना हर महिला के लिए उपयोगी है।
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