ए ए अलमेलकर ( A.A Almelkar) की जीवनी एक भारतीय चित्रकला परंपरा के सजग संरक्षक

 ए. ए. अलमेलकर (A. A. Almelkar) की जीवनी — एक भारतीय चित्रकला परंपरा के सजग संरक्षक


परिचय

ए. ए. अलमेलकर (A. A. Almelkar) भारतीय कला-जगत की एक ऐसी विलक्षण प्रतिभा थे, जिन्होंने पारंपरिक भारतीय चित्रशैली को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए एक विशिष्ट शैली का विकास किया। उन्होंने भारतीय जीवन, संस्कृति और लोक परंपराओं को अपनी कला का केंद्र बनाया और एक गहरी भारतीयता से भरपूर चित्रशैली को जन्म दिया।

भारतीय चित्रकार ए. ए. अलमेलकर की पारंपरिक शैली में बनाई गई कलाकृति



प्रारंभिक जीवन

  • पूरा नाम: अरुणा अनंतराव अलमेलकर

  • जन्म:  10 अक्टूबर, 1920  में शोलापुर महाराष्ट्र में

  • मृत्यु: 1982 में

अलमेलकर का जन्म एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें चित्रकला में थी, और सात साल की छोटी सी उम्र  से ही चित्रकारी शुरू कर दी ,इसी रुचि ने उन्हें आगे चलकर भारत के प्रमुख कलाकारों में शामिल किया।


शिक्षा :अपने समकालीनों से अलग उन्होंने कम उम्र में ही चित्रकारी शुरू कर दी और खुद की एक अलग कला शैली विकसित की । उनकी चित्रकला शैली अपने समकालीन कलाकारों से कहीं ज्यादा पारंपरिक थे ,उनकी  शैली में लघु चित्र कला का ज्यादा समावेश था। अलमेलकर ने प्राकृतिक दृश्यों को भी अपनी चित्रकारी में स्थान दिया वह  दृश्यों को बनाने के लिए खाली समय में विदर्भ(महाराष्ट्र)के जंगलों में घूमने निकल जाते थे ,वहां पर वह खूबसूरत पेड़ पौधों ,पशु ,पक्षियों को घंटों निहारते थे।वहां के आदिवासियों के साथ बैठते थे उनको समझते थे और चित्रकारी करते थे। आलमेलकर की चित्रकारी की एक विशेषता ये भी हैं कि उन्होंने उंगलियों के प्रयोग से  स्याही और अन्य माध्यमों के प्रयोग से सैकड़ों चित्र बनाए।

A. A. Almelkar द्वारा चित्रित ग्रामीण भारतीय जीवन का पारंपरिक दृश्य


ए. ए. अलमेलकर ने अपनी कला शिक्षा सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से प्राप्त की। उस दौर में यह स्कूल भारतीय और यूरोपीय चित्रकला परंपराओं का मिलाजुला केंद्र था। यहीं से उन्होंने पारंपरिक भारतीय लघुचित्र शैली और मांडलिक शैली की बारीकियां सीखीं, साथ ही उसमें नया आयाम जोड़ने की कोशिश की।


कलात्मक विशेषताएं

  • अलमेलकर की शैली में एक गहरी भारतीय लोकभावना दिखाई देती है।

  • उन्होंने फाइबर बोर्ड और टेम्परा तकनीक का प्रयोग कर चित्रों में गहराई और चमक का अद्भुत समन्वय किया।

  • उनके चित्रों में अक्सर गांव, ग्रामीण जीवन, लोकदेवता, और भारतीय संस्कृति के तत्वों को प्रमुखता दी गई।

  • रंगों का प्रयोग वे बहुत ही विचारशील और सांकेतिक रूप से करते थे।

  • उनकी रेखाएं पारंपरिक होते हुए भी आधुनिक प्रभाव से ओतप्रोत थीं।


प्रमुख कृतियाँ और विषयवस्तु

  • ग्राम्य जीवन, भारतीय मिथक, आदिवासी परंपराएं, और धार्मिक आयोजन उनके प्रिय विषय रहे।

  • उनके चित्रों में हमें रूपांकन की भारतीयता, ध्यान मुद्रा वाले साधु, नृत्यरत लोक कलाकार, और मंदिरों की दीवारों से प्रेरित रूप और आकृतियाँ मिलती हैं।

उदाहरण के तौर पर:

  • "Temple Dancer"

  • "Rural Women"

  • "Holy Man"
    इन चित्रों में एक प्रकार की मौन कविता देखी जा सकती है।


अंतरराष्ट्रीय पहचान

  • अलमेलकर की कला को भारत के बाहर भी सराहा गया, विशेष रूप से एशियाई देशों में।

  • उन्होंने जापान, श्रीलंका, म्यांमार (बर्मा) आदि देशों में भारतीय कला का प्रतिनिधित्व किया।

  • 1950–60 के दशक में उनकी कला ने भारतीय सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व को नई दिशा दी।


पुरस्कार और सम्मान

उन्होंने आर्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया और बॉम्बे आर्ट सोसाइटी में कई पुरस्कार जीते।
  • उन्हें ललित कला अकादमी, बॉम्बे आर्ट सोसाइटी और स्टेट आर्ट एक्ज़ीबिशन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से सम्मानित किया गया।

  • उनके कार्यों को सरकारी संग्रहालयों, निजी संग्रहों, और अंतरराष्ट्रीय गैलरीज़ में स्थान मिला।

  • 1968 में आप जे जे स्कूल ऑफ आर्ट के व्याख्याता बने।


विरासत

ए. ए. अलमेलकर ने भारतीय परंपरा और आधुनिकता के बीच की दूरी को पाटने का कार्य किया। उन्होंने दिखाया कि भारतीय चित्रकला केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान की सृजनात्मक शक्ति भी हो सकती है।

उनकी शैली आज भी भारतीय समकालीन कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो परंपरा में आधुनिकता की तलाश करते हैं।


निष्कर्ष

ए. ए. अलमेलकर एक ऐसे चित्रकार थे जिन्होंने भारतीय लोकजीवन की आत्मा को कैनवास पर जीवंत किया। उनकी कला में संवेदना, आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। वे न केवल एक कलाकार थे, बल्कि भारतीय आत्मा के सच्चे चित्रकार भी थे।



Comments

Popular posts from this blog

रसेल वाईपर की जानकारी हिंदी में russell wipers information in hindi

नव पाषाण काल का इतिहास Neolithic age-nav pashan kaal

हड़प्पा कालीन सभ्यता मे धार्मिक जीवन Religious Aspect of Hadappan Society