अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

15 नवंबर 2023 को जब मैंने UPL के 14 शेयर ₹678 प्रति शेयर की दर से खरीदे, तब मन में आशा थी—परिणाम मिला निराशा। दो साल तक घाटा सहना पड़ा, शेयर ₹400 तक गिरा, और धैर्य की परीक्षा होती रही।
आरती इंडस्ट्रीज़ में निवेश किया तो ₹735 पर खरीदकर देखते ही देखते शेयर ₹437 तक लुढ़क गया। ₹29,000 का घाटा झेलना आसान नहीं था।
सुदर्शन केमिकल भी मेरे भरोसे को नहीं सहेज सका—₹1218 की खरीद, और अप्रैल 2025 तक सिर्फ ₹1081।
पर क्या सिर्फ मेरे फैसले गलत थे? या कुछ बड़ा, वैश्विक खेल भी चल रहा था?
चीन विश्व का सबसे बड़ा केमिकल निर्यातक है। वह सरकार से सब्सिडी लेकर सस्ते में केमिकल बनाता है और फिर उन्हें दुनिया भर के बाजारों में डंप करता है – मतलब लागत से भी कम दाम पर बेचता है।
दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, और यूरोप के कई छोटे देशों में उसने भारतीय उत्पादों की मांग खत्म कर दी है।
इससे भारतीय कंपनियों की बिक्री घटी, मुनाफा घटा और नतीजा – शेयर गिरा।
भारत में केमिकल इंडस्ट्रीज पर पर्यावरण से जुड़ी पाबंदियाँ बढ़ी हैं।
प्लांट्स पर बंदी,
Green clearance में देरी,
और ESG मानकों के पालन की बाध्यता – जिससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ी।
केमिकल उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोकेमिकल बेस्ड होता है। जब कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो केमिकल उत्पादन महंगा होता है।
ये अस्थिरता कंपनियों के मार्जिन को खा जाती है।
कोविड के बाद की रिकवरी के बावजूद, चाइनीज़ लॉकडाउन, यूरोपियन मंदी और ग्लोबल अनिश्चितता के कारण मांग धीमी रही।
कंपनियों के पास माल पड़ा रहा, रेवेन्यू घटा।
भारतीय केमिकल सेक्टर बेहद विशाल है।
यहाँ निम्नलिखित उत्पाद बनते हैं:
प्रकार | उदाहरण | उपयोग क्षेत्र |
---|---|---|
अग्रोकेमिकल्स | UPL | खेती-बाड़ी |
स्पेशियलिटी केमिकल्स | Arti Industries, SRF | फार्मा, पेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स |
डायेस एंड पिगमेंट्स | Sudarshan Chemical | टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल |
पेट्रोकेमिकल्स | Reliance | प्लास्टिक, सिंथेटिक्स |
इंडस्ट्रियल केमिकल्स | Gujarat Alkalies | प्रोसेसिंग यूनिट्स |
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अग्रोकेमिकल कंपनी।
उत्पाद: कीटनाशक, बीज, जैविक खाद
फैक्ट्रियाँ: भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, यूरोप
वैश्विक ब्रांडों के साथ साझेदारी: ADAMA, Bayer से मुकाबला
2025 में सुधार: ब्राज़ील और लैटिन अमेरिका से रेवेन्यू में उछाल।
स्पेशियलिटी केमिकल्स में माहिर
फार्मा, पेंट, रबर, इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को सप्लाई
ग्राहक: BASF, Dow Chemicals, Syngenta
2024 के अंत में CAPEX बढ़ाया, पर मंदी ने मार दी।
भारत की प्रमुख पिगमेंट कंपनी
फोकस: कोटिंग्स, प्लास्टिक्स, ऑटोमोबाइल पेंट्स
यूरोपीय बाजार में मजबूत पकड़, पर चीन की सस्ती डंपिंग से असर
जर्मनी (BASF),
अमेरिका (Dupont, Dow),
जापान (Sumitomo, Mitsui)
यह सभी भारत के मुकाबले तकनीक, R&D और लागत नियंत्रण में तेज हैं।
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर हुए हालिया समझौते से भारतीय निर्यातकों को राहत मिल सकती है।
अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी,
डंपिंग से बचाव होगा,
और संभव है कि भारतीय कंपनियों का रेवेन्यू फिर उछले।
चीन की उत्पादन लागत अब बढ़ रही है
भारत में PLI (Production Linked Incentive) योजनाएं
ग्रीन केमिस्ट्री और बायोकेमिकल्स में भारत का बढ़ता योगदान
लंबी अवधि में भारत की मांग बढ़ेगी
अस्थिर क्रूड
वैश्विक मंदी
नीति आधारित बाधाएं
उछाल पर नहीं, स्थायित्व पर खरीदें
कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ें – सिर्फ चार्ट नहीं
समाचार और ग्लोबल घटनाओं को नजरअंदाज न करें
धैर्य रखें – निवेश एक रात की बात नहीं
डायवर्सिफिकेशन जरूरी है – सिर्फ एक सेक्टर पर न टिकें
UPL, Arti, और Sudarshan के घाटों ने मुझे सिखाया कि शेयर बाजार सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि भावनाओं और धैर्य का इम्तिहान है।
अगर आप भी केमिकल सेक्टर में निवेश करना चाहते हैं, तो पूरी तस्वीर देखें – सिर्फ भावनाओं से नहीं, जानकारी से फैसला लें।
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