अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

श्रेणी: पर्यावरण संरक्षण | अप्रैल 2025
अमराबाद टाइगर रिज़र्व, तेलंगाना राज्य नागरकुरनूल और नलगोंडा जिलों में स्थित नल्लमाला पर्वत श्रृंखला में स्थित एक विशाल और समृद्ध जैवविविधता से युक्त जंगल है, यह लगभग 2,611.4 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिससे यह भारत के सबसे बड़े टाइगर रिज़र्व में से एक है।
जो हैदराबाद से मात्र 140 किमी की दूरी पर फैला हुआ है। यह भारत के सबसे बड़े टाइगर रिज़र्व में से एक है और यहाँ आदिवासी जनजीवन, गहरे वन, दुर्लभ बाघ, तेंदुए, भालू, पक्षी, औषधीय पौधे और नदियाँ — सब एक पारिस्थितिक ताने-बाने में जुड़े हैं।
इस रिज़र्व में समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है, जिसमें कई स्थानिक प्रजातियाँ शामिल हैं। यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख स्तनधारियों में बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भारतीय भेड़िया, स्लॉथ भालू, नीलगाय, सांभर, चीतल, चौसिंगा और काला हिरण शामिल हैं।
अमराबाद टाइगर रिज़र्व में पर्यटन के लिए कई आकर्षण हैं, जैसे जंगल सफारी, ट्रेकिंग और पक्षी दर्शन। पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं और वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं। अधिक जानकारी और बुकिंग के लिए आप रिज़र्व की आधिकारिक वेबसाइट देख सकते हैं।
हैदराबाद के अमराबाद टाइगर रिज़र्व में वनों की कटाई के वीडियो हाल ही में वायरल हो रहे हैं, जिससे पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों में चिंता बढ़ गई है। तेलंगाना सरकार ने इस क्षेत्र में 1,500 हेक्टेयर जंगल को घास के मैदानों में बदलने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण के लिए उनके शिकार के आधार को मजबूत करना है।
लेकिन हाल ही में यह क्षेत्र एक विवादित योजना के चलते चर्चा में है – जिसमें सरकार द्वारा जंगल का बड़ा हिस्सा उजाड़ कर तेंदुओं के लिए घास के मैदान विकसित करने की योजना बनाई गई है।
केंद्र सरकार के अनुसार, तेंदुए (Leopards) खुले और घासयुक्त इलाकों में ज्यादा अच्छी तरह विकसित होते हैं, और जंगल की अत्यधिक घनता उनकी संख्या वृद्धि में बाधा डालती है। इस तर्क के आधार पर सरकार ने अमराबाद टाइगर रिज़र्व के एक विशाल हिस्से में जंगल साफ करके "ग्रासलैंड इकोसिस्टम" बनाने की योजना शुरू की है।
तेंदुए जंगलों के अनुकूलित शिकारी हैं और वे वृक्षों के सहारे शिकार और छिपने दोनों का कार्य करते हैं।
घास के मैदानों में केवल तेंदुए नहीं, बल्कि शिकार प्रजातियों की संख्या भी सीमित होती है जिससे पारिस्थितिकी असंतुलित हो सकती है।
इस "घास का मैदान" नीति के तहत लगभग 7000 हेक्टेयर जंगल साफ करने की आशंका जताई जा रही है, जिससे पेड़, झाड़ियाँ, और असंख्य जीव-जंतु प्रभावित होंगे।
बाघ (Tiger): जंगल का राजा अब खुद संकट में है।
स्लॉथ बियर, जंगली सूअर, हिरण, नीलगाय, और छोटे स्तनधारी।
350+ पक्षी प्रजातियाँ, जिनमें प्रवासी पक्षी और नन्हे कीटभक्षी पक्षी भी शामिल हैं।
जंगल काटे जाने से प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।
कई पक्षी घोंसले छोड़कर जा चुके हैं, और छोटे स्तनधारी शिकारियों के आसान शिकार बन रहे हैं।
कुछ जगहों पर वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से मिट्टी की गुणवत्ता और जलस्तर प्रभावित हो रहा है।
सरकार की योजनाओं में शामिल हैं:
ट्रांजिट कॉरिडोर (Wildlife Corridors) बनाने की बात।
इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना (परंतु इसके पीछे भी व्यावसायिक उद्देश्य हैं)।
कुछ जगहों पर कृत्रिम जलाशय और घास के मैदान बनाए जा रहे हैं।
लेकिन ये उपाय अपर्याप्त माने जा रहे हैं, क्योंकि:
अभी तक किसी भी विस्थापित प्रजाति के लिए वैकल्पिक वास-स्थल की योजना नहीं बनाई गई है।
बाघों के आवागमन के लिए कोई संरक्षित गलियारा (Protected Corridor) नहीं बनाया गया है।
जंगल काटने के पहले ईकोलॉजिकल इम्पैक्ट स्टडी नहीं करवाई गई, जिससे पारिस्थितिकी को भारी नुकसान हो रहा है।
🌡️ ग्लोबल वार्मिंग में और तेज़ी आएगी, क्योंकि पेड़ कार्बन सिंक का काम करते हैं।
🌊 जल स्रोतों का क्षरण – जंगल से निकलने वाली नदियाँ सूखने लगेंगी।
🐾 मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ेगा क्योंकि जानवर मानव बस्तियों की ओर पलायन करेंगे।
🧬 बायोडायवर्सिटी लॉस – जो एक बार खत्म हो गई तो कभी वापस नहीं आएगी।
जन-जागरूकता फैलाएं – सोशल मीडिया, ब्लॉग और यूट्यूब के ज़रिए।
ई-याचिका (e-petitions) और RTI दाखिल करें ताकि सरकार पर जवाबदेही बढ़े।
स्थानीय समुदाय और आदिवासियों को शामिल करें संरक्षण में।
विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की नीति की मांग करें।
अमराबाद टाइगर रिज़र्व एक राष्ट्रीय धरोहर है। तेंदुओं के नाम पर जंगल को उजाड़ना केवल तेंदुए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है। घास के मैदान बनाना अगर ज़रूरी है, तो उसे बिना जंगल काटे, वैकल्पिक ज़मीन पर किया जाए। जंगल केवल जानवरों का घर नहीं, बल्कि मानव जाति के लिए जीवनदायिनी है।
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