अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

ड्रिप इरीगेशन तकनीक: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका।Drip Irrigation Technique: A Complete Guide

 ड्रिप इरीगेशन तकनीक: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका

Drip Irrigation Technique: A Complete Guide

मित्रों इस ब्लॉग पोस्ट में आपसे बात करने जा रहे हैं ड्रिप इरीगेशन के बारे में जब आज हर किसान चाहता है कि वो भी अपने खेत में इस पद्धति का प्रयोग करे और कम पानी खपत में बेहतरीन पैदावार करे।आज हम  बिंदुवार   जानेंगे इस  ड्रिप इरीगेशन तकनीकी के बारे में क्या हैं इसके फायदे और किसान को कैसे सरकार द्वारा सहायता मिलती है।



1. ड्रिप इरीगेशन तकनीक क्या है?
ड्रिप इरीगेशन (टपक सिंचाई) एक ऐसी सिंचाई प्रणाली है जिसमें पानी को पाइप और एमिटर के माध्यम से सीधा पौधों की जड़ों में टपकाया जाता है। यह विधि पानी की बचत करती है और पौधों को आवश्यकतानुसार नमी प्रदान करती है।

2. ड्रिप इरीगेशन के फायदे

  • पानी की बचत: अन्य सिंचाई विधियों की तुलना में 30-70% पानी बचता है।

  • फसल की पैदावार में वृद्धि: पौधों को सही मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिलने से उत्पादन बढ़ता है।

  • खरपतवार नियंत्रण: केवल पौधों की जड़ों में पानी पहुंचाने से अनावश्यक खरपतवार कम होते हैं।

  • उर्वरकों की बचत: फर्टिगेशन तकनीक से पानी के साथ उर्वरक देने से उर्वरक की मात्रा कम लगती है।

  • ऊर्जा की बचत: यह प्रणाली कम दबाव पर काम करती है, जिससे बिजली या डीजल की बचत होती है।

3. ड्रिप इरीगेशन के नुकसान

  • प्रारंभिक लागत अधिक: छोटे और गरीब किसानों के लिए यह एक महंगी तकनीक हो सकती है।

  • पाइपलाइन बंद होने की समस्या: यदि पानी में मिट्टी, काई या अन्य कण हों तो पाइप बंद हो सकते हैं।

  • नियमित रखरखाव आवश्यक: ड्रिप प्रणाली को साफ और मरम्मत करते रहना पड़ता है।

4. किन फसलों के लिए लाभदायक है?

  • फल एवं बागवानी फसलें: आम, अनार, केला, अंगूर, संतरा, नींबू आदि।

  • मूल्यवान फसलें: गन्ना, मिर्च, टमाटर, प्याज, आलू, कपास आदि।

  • अनाज फसलें: धान, गेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि (विशेष परिस्थितियों में)।

5. ड्रिप इरीगेशन का प्रयोग कैसे करें?

  • पाइपलाइन बिछाना: खेत के अनुसार ड्रिप पाइपलाइन को व्यवस्थित करें।

  • फिल्टर सिस्टम लगाना: पानी को छानने के लिए उपयुक्त फिल्टर (सैंड फिल्टर, स्क्रीन फिल्टर) लगाएं।

  • उर्वरक और कीटनाशक देना: फर्टिगेशन तकनीक से उर्वरक और कीटनाशक को ड्रिप सिस्टम से मिलाएं।

  • सही समय पर सिंचाई: फसलों की जरूरत के अनुसार समय-समय पर ड्रिप सिस्टम चालू करें।

6. एक हेक्टेयर (5 बीघा) जमीन के लिए ड्रिप इरीगेशन का खर्च

  • छोटी फसलों के लिए: ₹35,000 - ₹50,000

  • बागवानी फसलों के लिए: ₹50,000 - ₹1,00,000

  • फर्टिगेशन सिस्टम सहित: ₹1,00,000 - ₹1,50,000

7. ड्रिप इरीगेशन के लिए सरकारी ऋण और सब्सिडी

  • सरकार 50-90% तक की सब्सिडी देती है।

  • ऋण NABARD, SBI, ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक से मिलता है।

  • ब्याज दर 4-7% तक हो सकती है।

  • आवेदन के लिए कृषि विभाग या PM-KISAN पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म भरें।

8. ड्रिप इरीगेशन के लिए आवश्यक सरकारी विभाग और अधिकारी

  • कृषि विभाग: जिले का कृषि अधिकारी संपर्क करें।

  • ब्लॉक स्तर पर: कृषि विस्तार अधिकारी सहायता प्रदान करते हैं।

  • किसान हेल्पलाइन: टोल-फ्री नंबर - 1800-180-1551

9. क्या ड्रिप इरीगेशन के लिए बोरवेल जरूरी है?

  • नहीं, लेकिन कोई जल स्रोत जैसे बोरवेल, कुआं, तालाब या नदी आवश्यक है।

10. ड्रोन से कीटनाशक और खाद का छिड़काव

  • ड्रोन का उपयोग बड़े खेतों में कीटनाशक छिड़काव के लिए किया जाता है।

  • PM-KISAN ड्रोन योजना के तहत सब्सिडी मिलती है।

  • ड्रोन कंपनियां: Kisan Drone, Garuda Aerospace, IoTechWorld Avigation

11. ड्रिप इरीगेशन से कौन-कौन से राज्य लाभान्वित हुए?

  • महाराष्ट्र: अंगूर और अनार की खेती में क्रांति आई।

  • गुजरात: कपास और मूंगफली में उत्पादन बढ़ा।

  • राजस्थान: कम पानी में भी खेती संभव हुई।

  • कर्नाटक और आंध्र प्रदेश: केले और गन्ने की खेती में उन्नति।

12. क्या कोई किसान ऐप है जिससे किसान अपडेट रह सकें?

  • PM-KISAN ऐप

  • Kisan Suvidha ऐप

  • AgriApp

13. क्या कोई प्राइवेट एजेंसी ड्रिप इरीगेशन सेटअप देती है?

  • Jain Irrigation Systems Ltd

  • Netafim Irrigation

  • Kothari Agritech Pvt Ltd

  • टोल फ्री नंबर: 1800-123-4567 (Jain Irrigation)

14. नहर और नदी किनारे की भूमि पर ड्रिप इरीगेशन का फायदा

  • बिना बोरवेल के सिंचाई संभव।

  • वर्षभर पानी की उपलब्धता रहती है।

  • उच्च गुणवत्ता वाली फसलें उगाना संभव।

15. फसल के साथ बागवानी में ड्रिप इरीगेशन का लाभ

  • सब्जियों और फलों के साथ मसाले जैसे काली मिर्च, इलायची की खेती में लाभदायक।

  • मल्चिंग के साथ ड्रिप अपनाने से जल संरक्षण में अधिक सफलता।

निष्कर्ष
ड्रिप इरीगेशन तकनीक जल संरक्षण का सबसे प्रभावी तरीका है, जिससे फसल उत्पादन बढ़ता है, लागत कम होती है और किसान की आमदनी बढ़ती है। सरकारी योजनाओं और प्राइवेट एजेंसियों के माध्यम से इसे अपनाकर किसान अपने खेत की सिंचाई व्यवस्था को आधुनिक बना सकते हैं।

 

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