अधिकतर सामान्य मामलों में जब लड़ाई झगड़ा होता है तो सामान्यतः पुलिस के आने पर वह दोनों झगड़ा करने वाले पक्षों पर शांति भंग की कार्यवाही करके बंद कर देती है ,इस स्थिति में SDM/डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस के यहां से जमानत मिल जाती है ,उस व्यक्ति को बॉन्ड भरवाकर छोड़ देती है परंतु यदि लड़ाई झगड़ा दो पड़ोसियों या अन्य दो पार्टियों में होता है तब हाथा पाई में 323 सेक्शन के तहत कार्यवाही होती है।परंतु जब कोई दोनों पक्षों में से एक किसी दूसरे के घर में बाकायदा पूरी तैयारी से हमला करने के नियत से घर में घुसता है उस पर हमला करता है या उसको बंधक बनाता है उसका रास्ता रोकता है तब 452 आईपीसी के तहत पीड़ित fir दर्ज करवाता है।चलिए जानते हैं सेक्शन 452आईपीसी क्या है BNS में इस सेक्शन में क्या बदलाव किया गया है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (IPC Section 452) – जबरन घुसपैठ और हमला
धारा 452 का विवरण:
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 452 उन मामलों से संबंधित है जहां कोई व्यक्ति:
- ग़ैरक़ानूनी रूप से किसी के घर या अन्य परिसरों में प्रवेश करता है या वहां मौजूद रहता है।
- इस उद्देश्य से कि वह कोई अपराध करे (जैसे चोट पहुँचाना, डराना-धमकाना, हमला करना, चोरी करना, आदि)।
- ऐसा व्यक्ति बल-प्रयोग या हमला करके इस कृत्य को अंजाम देता है।
सजा का प्रावधान:
धारा 452 के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर निम्नलिखित सजा दी जा सकती है—
- 7 वर्ष तक की सजा (कारावास)
- जुर्माना
- या दोनों
महत्वपूर्ण तत्व (Essential Ingredients)
- अभियुक्त ने अवैध रूप से किसी के घर, दुकान, कार्यालय आदि में प्रवेश किया।
- उसने यह कार्य कोई अपराध करने की मंशा से किया।
- उसने प्रवेश करने के दौरान या बाद में बल-प्रयोग, हमला या डराने-धमकाने का प्रयास किया।
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय (Case Laws)
1. Harpal Singh v. State of Haryana (2005)
तथ्य: इस मामले में अभियुक्त ने पीड़ित के घर में घुसकर उसे चोट पहुंचाई थी।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अभियुक्त के पास अवैध प्रवेश के दौरान हमला करने की मंशा थी, तो उसे IPC की धारा 452 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।
2. State of Karnataka v. Jaya Kumar (2003)
तथ्य: अभियुक्त जबरन किसी के घर में घुस गया और धमकी दी।
निर्णय: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ अवैध प्रवेश पर्याप्त नहीं है, अपराध की मंशा भी स्पष्ट होनी चाहिए।
3. Chotelal v. State of Madhya Pradesh (2011)
तथ्य: अभियुक्त ने महिला के घर में जबरदस्ती घुसकर उसे डराने-धमकाने का प्रयास किया।
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी के घर में जबरदस्ती घुसकर डराने या हमला करने का प्रयास करता है, तो यह धारा 452 के तहत दंडनीय होगा।
महत्वपूर्ण बिंदु:
✔️ अगर कोई बिना अनुमति किसी के घर में घुसकर हमला या डराने-धमकाने का प्रयास करता है, तो IPC धारा 452 लागू होगी।
✔️ केवल घर में प्रवेश करना पर्याप्त नहीं, अपराध करने की मंशा भी होनी चाहिए।
✔️ सजा कठोर है – अधिकतम 7 वर्ष की जेल और जुर्माना।
✔️ इस अपराध में गिरफ्तारी गैर-जमानती और संज्ञेय (Cognizable) होती है।
अगर आपको किसी विशिष्ट मामले पर जानकारी चाहिए, तो बता सकते हैं!
घर में घुसने और मारपीट करने का अपराध: IPC और BNS में कानूनी प्रावधान
किसी के घर में अनधिकृत रूप से घुसना और वहां मारपीट करना भारतीय कानून में एक गंभीर अपराध माना जाता है। इसे भारतीय दंड संहिता (IPC) और हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
1. घर में अनधिकृत प्रवेश (Criminal Trespass) का अपराध
IPC में प्रावधान:
धारा 441 IPC - किसी व्यक्ति का बिना अनुमति किसी के घर या संपत्ति में प्रवेश करना या जबरदस्ती घुसना, जिसे आपराधिक अतिक्रमण (Criminal Trespass) कहते हैं।
सजा:
- धारा 447 IPC के तहत यह अपराध संज्ञेय (Cognizable) नहीं है और जमानती (Bailable) अपराध है।
- इसमें अधिकतम 3 महीने की जेल या 500 रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
BNS में प्रावधान:
धारा 305 BNS - IPC की धारा 441 के समान प्रावधान, जिसमें अवैध रूप से किसी के घर में घुसना और वहां रहना अपराध माना गया है।
सजा:
- इस धारा के तहत अधिकतम 3 महीने की सजा या 5,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
2. घर में घुसकर मारपीट करने का अपराध
IPC में प्रावधान:
- धारा 452 IPC - जब कोई व्यक्ति हथियार लेकर या चोट पहुंचाने के इरादे से जबरन किसी के घर में प्रवेश करता है, तो यह अपराध गंभीर माना जाता है।
- धारा 323 IPC - साधारण मारपीट या चोट पहुंचाने के लिए।
- धारा 324 IPC - यदि हमले में किसी हथियार का इस्तेमाल किया गया हो।
- धारा 325 IPC - यदि हमले के कारण गंभीर चोट लगी हो।
- धारा 506 IPC - यदि धमकी दी गई हो।
सजा:
- धारा 452 के तहत 7 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों।
- धारा 323 में 1 साल तक की जेल या 1,000 रुपये जुर्माना या दोनों।
- धारा 324 में 3 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों।
- धारा 325 में 7 साल तक की जेल और जुर्माना।
- धारा 506 में 2 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों।
BNS में प्रावधान:
- धारा 313 BNS - जबरन घर में घुसकर हमला करना।
- धारा 127 BNS - सामान्य रूप से चोट पहुंचाने का अपराध।
- धारा 128 BNS - यदि हमले में हथियार या कोई अन्य घातक वस्तु इस्तेमाल हो।
- धारा 129 BNS - गंभीर चोट पहुंचाने का अपराध।
- धारा 356 BNS - यदि किसी को जान से मारने की धमकी दी गई हो।
सजा:
- धारा 313 BNS में 7 साल तक की जेल और जुर्माना।
- धारा 127 BNS में 1 साल तक की जेल या 10,000 रुपये जुर्माना या दोनों।
- धारा 128 BNS में 3 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों।
- धारा 129 BNS में 7 साल तक की जेल और जुर्माना।
- धारा 356 BNS में 2 से 7 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों।
3. FIR कैसे दर्ज कराएं?
यदि कोई व्यक्ति आपके घर में जबरन घुसकर मारपीट करता है, तो आपको तुरंत पुलिस में FIR दर्ज करानी चाहिए।
FIR दर्ज करने की प्रक्रिया:
- नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं।
- घटना का पूरा विवरण दें (समय, तारीख, स्थान, आरोपी का नाम आदि)।
- यदि कोई गवाह है, तो उसका विवरण भी दें।
- चोट के मेडिकल रिपोर्ट (अगर चोट लगी हो) को FIR में संलग्न करें।
- पुलिस द्वारा दी गई FIR की कॉपी लें।
महत्वपूर्ण:
- अगर पुलिस FIR दर्ज करने से मना करे, तो आप वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों (SP या DIG) से शिकायत कर सकते हैं।
- आप न्यायालय में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं (धारा 156(3) CrPC के तहत)।
निष्कर्ष:
- घर में अनधिकृत रूप से घुसने पर IPC की धारा 441/BNS की धारा 305 लागू होगी।
- जबरन घर में घुसकर मारपीट करने पर IPC की धारा 452, 323, 324, 325, 506 / BNS की धारा 313, 127, 128, 129, 356 के तहत मामला दर्ज होगा।
- अपराध की गंभीरता के आधार पर सजा 3 महीने से लेकर 7 साल तक हो सकती है।
अगर आपको इस तरह की किसी भी स्थिति का सामना करना पड़े, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और कानूनी सहायता ।
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