केमिकल सेक्टर में निवेश की पीड़ा और संभावना: एक निवेशक की सीख और वैश्विक विश्लेषण"

"केमिकल सेक्टर में निवेश की पीड़ा और संभावना: एक निवेशक की सीख और वैश्विक विश्लेषण" भूमिका: जब आँकड़े से ज़्यादा भावनाएं बोलती हैं 15 नवंबर 2023 को जब मैंने UPL के 14 शेयर ₹678 प्रति शेयर की दर से खरीदे, तब मन में आशा थी—परिणाम मिला निराशा। दो साल तक घाटा सहना पड़ा, शेयर ₹400 तक गिरा, और धैर्य की परीक्षा होती रही। आरती इंडस्ट्रीज़ में निवेश किया तो ₹735 पर खरीदकर देखते ही देखते शेयर ₹437 तक लुढ़क गया। ₹29,000 का घाटा झेलना आसान नहीं था। सुदर्शन केमिकल भी मेरे भरोसे को नहीं सहेज सका—₹1218 की खरीद, और अप्रैल 2025 तक सिर्फ ₹1081। पर क्या सिर्फ मेरे फैसले गलत थे? या कुछ बड़ा, वैश्विक खेल भी चल रहा था? केमिकल सेक्टर क्यों गिरा? वैश्विक और घरेलू कारणों की पड़ताल 1. चीन की नीतियाँ और वैश्विक डंपिंग का खेल चीन विश्व का सबसे बड़ा केमिकल निर्यातक है। वह सरकार से सब्सिडी लेकर सस्ते में केमिकल बनाता है और फिर उन्हें दुनिया भर के बाजारों में डंप करता है – मतलब लागत से भी कम दाम पर बेचता है। दक्षिण अमेरिका , अफ्रीका , और यूरोप के कई छोटे देशों में उसने भारतीय उत्पादों की मा...

Provision of Section 200 C.R.P.C.|सी. आर. पी. सी. की धारा200 में प्रावधान

सी.आर.पी.सी. की धारा 200 का प्रावधान।
Provision of Section 200 C.R.P.C.।

 आज हम समझने की कोशिश करतें हैं सी आर पी सी की धारा 200 के अंतर्गत क्या प्रावधान हैं.

सी. आर. पी. सी. की धारा 200  एक व्यक्ति को सीधे मजिस्ट्रेट को किसी मामले में  सीधे शिकायत का अवसर प्रदान करती है।कई बार जब पीड़ित पक्ष प्रतिवादी की शिकायत पुलिस के पास करने जाता है  और कोई घटना या अपराध के होने की जानकारी देता है तो पुलिस उस सूचना को  सुनने के बाद भी नजरअंदाज कर देती है । 

पुलिस के FIR या NCR दर्ज नहीं करने पर शिकायतकर्ता सीधे मजिस्ट्रेट के पास जा कर शिकायत करने का अधिकार सी आर पी सी की धारा 200 से प्राप्त करता है।इस धारा के अनुसार शिकायत करता यदि मजिस्ट्रेट को किसी अपराध के बारे में सूचना देता है तो परिवाद पर किसी अपराध का संज्ञान करने वाला मजिस्ट्रेट परिवादी(complainant) की शपथ(oath) पर परीक्षा(examine) करेगा ।और इसी तरह की परीक्षा परिवादी के साथ यदि कोई साक्षी(witness) भी परिवादी के साथ मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित है तो साक्षी की भी  शपथ पर परीक्षा मजिस्ट्रेट करेगा और इस  परीक्षा का सारांश लेखबद्ध करेगा  और इस लेखबद्ध परीक्षा के सारांश पर परिवादी के हस्ताक्षर होंगे उस साक्षी के हस्ताक्षर होंगे और मजिस्ट्रेट भी इस लेखबद्ध सारांश पर अपने हस्ताक्षर करेगा।

 परंतु यदि शिकायतकर्ता मजिस्ट्रेट को परिवाद (complaint) लिखकर देता है तो मजिस्ट्रेट को परिवादी या उपस्थित साक्षियों की परीक्षा करना आवश्यक नहीं होगा।

क)यदि परिवाद  किसी ऐसे लोकसेवक  के द्वारा किया जाता है जो  सरकारी ड्यूटी में लगा है अपने पदीय दायित्व के निर्वाहन कर रहा है।

ख) यदि मजिस्ट्रेट जांच (Inquiry )या  विचारण (Trial) के लिए मामले को किसी अन्य मजिस्ट्रेट के हवाले कर देता है। 

परंतु यदि मजिस्ट्रेट एक बार परिवादी की परीक्षा और उसके साथ उपस्थित साक्षियों की परीक्षा कर लेता है और उसके बाद वह सी. आर. पी. सी. की धारा 192 के अधीन मामले को किसी अन्य मजिस्ट्रेट के हवाले कर देता है  तो बाद वाला मजिस्ट्रेट परिवादी और साक्षियों की फिर से परीक्षा करना आवश्यक नहीं होगा।

निष्कर्ष--इस तरह कह सकते हैं कि कंप्लेंट केस जिसमें अपराध होने पर यदि पॉलिसी प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रार्थी के कहने पर दर्ज नहीं करती तो मजिस्ट्रेट के पास अधिकार होता है कि वह पीड़ित पक्ष की बात को सुनकर संज्ञान ले और परिवाद के विषय को जांच करने के बाद अभियुक्त को समन के बाद कोर्ट में हाजिर होने के लिए बुलाये ,और आगे की प्रक्रिया को पूरा करे।

इस प्रकार एक आम व्यक्ति को न्याय पाने के दरवाजे न्यायालय में सदैव खुले रहते हैं।


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