Jai Vijay sachan comedian। जय विजय सचान कॉमेडियन।Biography

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  जय विजय सचान (Jai Vijay Sachan) कॉमेडियन  जयविजय सचान : जयविजय सचान कॉमेडियन का जन्म उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में राठ  कस्बे में हुआ था,जयविजय सचान के पिता रणधीर सचान एक व्यापारी हैं  इनका पूरा नाम जयविजय सिंह सचान है ,जयविजय सचान की माता का नाम संगीता सचान एक ग्रहणी हैं,जयविजय के एक भाई थे जो आपथैलमोलॉजिस्ट थे जिनकी मृत्यु 2017 में एक रोड एक्सीडेंट में हो गई और बहन भी जिनका नाम अलका निरंजन है। जयविजय की हाइट 175 सेंटीमीटर है यानी 5 फीट 9 इंच है।       जयविजय  सचान की प्रारंभिक शिक्षा हमीरपुर जिला के एस.वी.एम.(सरस्वती विद्या मंदिर) इंटर कॉलेज में हुई थी इन्होंने B.A. राजनीतिशास्त्र में और एम.ए.(M.A.)यूरोपियन पॉलिटिक्स बुंदेलखंड विश्विद्यालय से किया  उसके बाद एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ से मास्टर इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन (2009) में किया।          जयविजय सचान भारत में एक चर्चित मिमिक्री आर्टिस्ट हैं ,जो करीब दो सौ फिल्मी और गैर फिल्मी लोगों की आवाज की हुबहू नकल करने नाटकीय प्रस्तुति करण में एक्सपर्ट हैं।वह बच...

नरेंद्र सिंह कपानी की जीवनी ( Narinder Singh Kapany )

 नरेंद्र सिंह कपानी की जीवनी--

Biography Of 

Narinder Singh Kapany

नरेंद्र सिंह कपानी (Narinder Singh Kapany)

का जन्म 31 अक्टूबर 1926 को सिख परिवार में पंजाब के मोगा नामक स्थान पर हुआ था,यह एक भारतीय मूल के अमेरिकी इंजीनियर थे ,इन्होंने आर्डिनेंस फैक्ट्री में ऑफिसर रैंक में काम किया था ,इनको भारत के पहले प्रधानमंत्री   जवाहर लाल नेहरू  के समय के रक्षा मंत्रालय वैज्ञानिक सलाहकार के पद के लिए भी आमंत्रण मिला था।

Narinder Singh Kapany

    इनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून से हुई और बाद में आगरा विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया ,बाद में वह लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से ऑप्टिक्स में PHD डिग्री प्राप्त की।कपानी ने1953 हेरोल्ड हापकिंस के साथ मिलकर   फाइबर के ढेर सारे बंडल में एक साथ प्रकाश के साफ सुथरा प्रेषण पर उन्नत तकनीकी को ईजाद किया ।

यह प्रारंभ से तेज इनटरनेट पर कई शोध किए ,इसी दौरान इन्होंने फाइबर ऑप्टिक्स शब्द का इस्तेमाल 1956 में किया जिसमें प्रकाश विधुत कणों के माध्यम से सूचना का आदान प्रदान एक प्लास्टिक नलिका से होता था।1960 में पहली बार साइंटिफिक अमेरिकन पत्रिका में एक लेख लिखा जिसमे  फाइबर ऑप्टिक्स शब्द का प्रयोग किया।फाइबर ऑप्टिक्स में उन्होंने कई अनुसंधान किये और करीब 120 पेटेंट करवाये।

उनके फाइबर ऑप्टिक्स  रिसर्च का अनुप्रयोग बायोमेडिकल रिसर्च ,प्रदूषण नियंत्रण ,सोलर ऊर्जा  के विकास में भी योगदान मिला।


    फार्च्यून मैगजीन पत्रिका ने 22 नवंबर 1999 के अंक में उनके आधुनिक तीव्रगामी इंटरनेट के बेहतरीन योगदान के लिए  "अनसंग हीरोज" के रूप में नामित कर उनका सम्मान किया।

इसीलिए इनको फाइबर ऑप्टिक्स का पितामह कहा  जाता है।

इनकी मृत्यु के बाद  सन 2021 में इन्हें भारत सरकार ने दूसरे सिविलियन अवार्ड पद्म विभूषण की उपाधि से  सम्मानित किया।



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