शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ

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  – शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ   प्रश्न : क्या ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा से किसी स्टॉक में इंट्राडे खरीदारी का सटीक संकेत उसी दिन सुबह या एक दिन पहले मिल सकता है? उत्तर है : हाँ, लेकिन कुछ शर्तों और विश्लेषण के साथ। 🔍 OI से इंट्राडे में संकेत कैसे मिलते हैं? ओपन इंटरेस्ट का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग में सपोर्ट-रेजिस्टेंस, ब्रेकआउट, और ट्रेडर सेंटिमेंट को पकड़ने के लिए किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 📈 1. OI और प्राइस मूवमेंट का संयोजन Price OI Interpretation भाव बढ़े बढ़े नया पैसा आ रहा है, ट्रेंड मजबूत Bullish संकेत घटे बढ़े शॉर्ट बिल्ड-अप हो रहा है Bearish संकेत बढ़े घटे शॉर्ट कवरिंग हो रही है Bullish लेकिन अल्पकालिक घटे घटे लॉन्ग अनवाइंडिंग हो रही है Bearish लेकिन अल्पकालिक उदाहरण: अगर किसी स्टॉक में प्री-मार्केट या पहले 15 मिनट में तेजी है और साथ में OI बढ़ रहा है , तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर नई लॉन्ग पोजिशन बना रहे हैं – इंट्राडे बाय का संकेत। ⏰ 2. OI का डे...

नरेंद्र सिंह कपानी की जीवनी ( Narinder Singh Kapany )

 नरेंद्र सिंह कपानी की जीवनी--

Biography Of 

Narinder Singh Kapany

नरेंद्र सिंह कपानी (Narinder Singh Kapany)

का जन्म 31 अक्टूबर 1926 को सिख परिवार में पंजाब के मोगा नामक स्थान पर हुआ था,यह एक भारतीय मूल के अमेरिकी इंजीनियर थे ,इन्होंने आर्डिनेंस फैक्ट्री में ऑफिसर रैंक में काम किया था ,इनको भारत के पहले प्रधानमंत्री   जवाहर लाल नेहरू  के समय के रक्षा मंत्रालय वैज्ञानिक सलाहकार के पद के लिए भी आमंत्रण मिला था।

Narinder Singh Kapany

    इनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून से हुई और बाद में आगरा विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया ,बाद में वह लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से ऑप्टिक्स में PHD डिग्री प्राप्त की।कपानी ने1953 हेरोल्ड हापकिंस के साथ मिलकर   फाइबर के ढेर सारे बंडल में एक साथ प्रकाश के साफ सुथरा प्रेषण पर उन्नत तकनीकी को ईजाद किया ।

यह प्रारंभ से तेज इनटरनेट पर कई शोध किए ,इसी दौरान इन्होंने फाइबर ऑप्टिक्स शब्द का इस्तेमाल 1956 में किया जिसमें प्रकाश विधुत कणों के माध्यम से सूचना का आदान प्रदान एक प्लास्टिक नलिका से होता था।1960 में पहली बार साइंटिफिक अमेरिकन पत्रिका में एक लेख लिखा जिसमे  फाइबर ऑप्टिक्स शब्द का प्रयोग किया।फाइबर ऑप्टिक्स में उन्होंने कई अनुसंधान किये और करीब 120 पेटेंट करवाये।

उनके फाइबर ऑप्टिक्स  रिसर्च का अनुप्रयोग बायोमेडिकल रिसर्च ,प्रदूषण नियंत्रण ,सोलर ऊर्जा  के विकास में भी योगदान मिला।


    फार्च्यून मैगजीन पत्रिका ने 22 नवंबर 1999 के अंक में उनके आधुनिक तीव्रगामी इंटरनेट के बेहतरीन योगदान के लिए  "अनसंग हीरोज" के रूप में नामित कर उनका सम्मान किया।

इसीलिए इनको फाइबर ऑप्टिक्स का पितामह कहा  जाता है।

इनकी मृत्यु के बाद  सन 2021 में इन्हें भारत सरकार ने दूसरे सिविलियन अवार्ड पद्म विभूषण की उपाधि से  सम्मानित किया।



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