Satish Gujral Artist की जीवनी हिंदी में
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सतीश गुजराल आर्टिस्ट की जीवनी--
Biography of Satish Gujral Artist --
सतीश गुजराल बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार,मूर्तिकार वास्तुकार,लेखक हैं जिनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को झेलम पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था।इनको देश के दूसरे सर्वोच्च सिविलियन अवार्ड पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।इनके बड़े भाई इंद्रकुमार गुजराल 1997 से 1998 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे है।जो भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे।
सतीश गुजराल का बचपन--
जब सतीश गुजराल मात्र 8 साल के थे तब उनके साथ एक दुर्घटना हो गई उनका पैर एक नदी के पुल में फिसल गया वह जल धारा में पड़े हुए पत्थरो से गंभीर चोट लगी पर उन्हें बचा लिए गया,इस दुर्घटना के कारण उनकी टांग टूट गई तथा सिर में गंभीर चोट आई,सिर में गंभीर चोट के कारण उनको एक सिमुलस नामक बीमारी ने घेर लिया जिससे उनकी श्रवण शक्ति चली गई। उनकी श्रवण शक्ति खोने,पैर में चोट लगने के कारण उनको लोग लंगड़ा,बहरा गूंगा समझने लगे।वह पांच साल बिस्तर में ही लेटे रहे,यह समय उनके लिए बहुत ही संघर्ष पूर्ण था।इसलिए वह अकेले में खाली समय बैठकर रेखाचित्र बनाने लगे।
हालांकि बाद में 1998 में उनके कान की सर्जरी ऑस्ट्रेलिया में हुई ,जिससे उन्होंने फिर से सुनना और बोलना प्रारंभ कर दिया।
एक बार एक पेड़ के नीचे बैठकर चिड़िया के एक्टिविटीज को देख रहे थे, एक दिन और उन्होंने एक चिड़िया को एक पेड़ की डाल में बैठे देखा और उनकी तस्वीर बनाई "।इस तरह उनकी कला जीवन की शुरुआत हुई।
उनकी कम सुनने की क्षमता के कारण कई स्कूल ने उनके एड्मिसन से इनकार कर दिया।बाद में उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए लाहौर के मेयो कॉलेज में एड्मिसन दिलाने का निश्चय किया।
बाद में उन्होंने 1939 में 14 साल की उम्र लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स में पांच वर्ष तक अध्ययन किया और डिप्लोमा प्राप्त किया,यहां पर उन्होंने रेखांकन, चित्रकला,मूर्तिकला,ग्राफिक डिज़ाइन तथा इंग्रेविंग में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
बाद में उन्होंने 1944 में जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया,परंतु दुर्भाग्य से अचानक बीमार पड़ जाने के कारण इनको जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी 1947 में वह दिल्ली वापस आ गए।
सतीश गुजराल 1952 में एक स्कॉलरशिप के द्वारा मैक्सिको चले गए। यहां पर आपने चार वर्ष तक एडवांस पेंटिंग में दो वर्ष तक म्यूरल टेक्नीक में डिप्लोमा प्राप्त किया।
यहाँ पर पेलसियों नेशनल डी. बेलाश आर्ट नामक संस्था मे कला का अध्ययन किया,यहां पर आपके डियोगो रिवेरा तथा डेविड सेकुएराइस जैसे फेमस आर्टिस्ट से कला की बारीकियां सीखने को मिली तथा डेविड एल्फरे के साथ मैक्सिको विश्वविद्यालय में म्यूरल बनाये।
इसके बाद यू. के. के इम्पीरियल सर्विस कॉलेज विंडसर में कला का गहन अध्ययन किया।
सतीश गुजराल की प्रारंभिक पेंटिंग में विभाजन की त्रासदी संबंधित बहुत से चित्र है,विभाजन के दौरान ट्रेन में हजारों परिवार ट्रेन के अंदर भरकर ट्रेन की छत पर चढ़े हुए स्टेशन में उतरते,चढ़ते लोग,बैलगाड़ी में गृहस्थी का समान लादे परिवार का परिवार चढ़े हुए बैल हांकते लोग,चीखते चिल्लाते लोग ,जलते हुए घर ,बिखरी हुई लाशों को चित्रित किया है।
सतीश गुजराल की कला यात्रा--
मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स में पांच साल तक आपने ग्राफिक डिज़ाइन का विशेष अध्ययन किया,सतीश गुजराल ने अपनी कला यात्रा में हर तरह के प्रयोग किये फिर वह चाहे काष्ठ कला हो या धातु कला हो या पाषाण कला हो।उन्होने बर्न्ट वुड यानी जलाई गई लकड़ी को खुरचकर बहुत ही खूबसूरत अमूर्त आकृतियाँ बनाईं है। बहुत से कोलाज बनाये।
सतीश गुजराल के चित्रों में आकृतियाँ मुख्य रूप से विशेष प्रकार की होती है, उन्होंने खुरदरी दीवार पर कई ऐसी कला कृतियाँ बनाईं है जो एक्रेलिक रंगों के प्रयोग से बनी हैं,ये आकृतियाँ एक दूसरे के साथ इतना मिल जातीं है कि ज्यामितीय आकृति की तरह प्रतीत होती हैं,बाइबिल की कहानियों पर आधारित कई चित्रों में उन्होंने यही टेक्नीक अपनाई है।
सतीश गुजराल की कला यात्रा में अनेक माध्यमों को अपनाया गया है उन्होंने पोर्ट्रेट भी बनाये,बाटिक पद्धति में भी कार्य किया है,आपके चित्रों के प्रतीक रोजमर्रा की घटनाओं और सामान्य जनजीवन से संबंधित थे आपको
मूड्स और मनःस्थिति का कलाकार कहा जाता है।
इनके प्रमुख चित्रों में शीर्षक,तूफान के तिनके ,दर्द का मसीहा, मोहनजोदड़ो संस्कृति,आंधी के अनाथ,अन्त का आरंभ,जश्न-ए-आज़ादी, मॉर्निंग आदि।
1952 से 1974 तक सतीश गुजराल ने पूरी दुनिया के विभिन्न शहरों ,न्यूयार्क ,मॉन्ट्रियल,टोकियो, आदि जगहों पर अपने म्यूरल्स,पेंटिंग,स्कल्पचर, ग्राफिक्स को प्रदर्शित किया।
1980 के बाद सतीश गुजराल आर्किटेक्ट की तरफ़ रुख किया ,आर्किटेक्ट में उनके द्वारा डिज़ाइन की गई इमारत भारत मे नई दिल्ली स्थित बेल्जियम दूतावास की इमारत थी।अत्यधिक आकर्षक विशाल इमारत को एक भारतीय प्राचीन इमारतों के डिज़ाइन से मिलती जुलती बनाई थी,इस इमारत के निर्माण के बाद इसकी प्रशंसा बेल्जियम के राजा के द्वारा की गई और पहली बार किसी गैर बेल्जियम निवासी को आर्किटेक्ट के बेस्ट अवार्ड आर्डर ऑफ द क्राउन ऑफ बेल्जियम इन आर्किटेक्ट प्रदान किया गया।
सतीश गुजराल के कुछ म्यूरल्स --
इसके अलावा आपके म्यूरल्स भारत मे हैंडलूम हाउस अहमदाबाद में ,पंजाब विश्विद्यालय चंडीगढ़(1962), हिसार (1970,1973 ,1986) ,लुधियाना, मद्रास ,ओबेरॉय होटल नई दिल्ली (1964)दिल्ली के विभिन्न होटलों में पालम हवाई अड्डे दिल्ली , नॉर्दर्न रेलवे नई दिल्ली (1966)में देखे जा सकते हैं।
आपके म्यूरल्स सिरेमिक ,टाइल्स,टेराकोटा,ब्रॉन्ज,एल्युमिनियम तथा काष्ठ द्वारा निर्मित है ,म्यूरल्स में लोक प्रतीकों के साथ परिचित भारतीय रंग एवं कल्पना का समावेश है।
सतीश गुजराल के द्वारा आर्किटेक्ट डिज़ाइन भवन--
सतीश गुजराल की गतिशीलता और बहुमुखी प्रतिभा का कोई अंत नहीं था, जो पेंटिंग, मूर्तिकला और वास्तुकला तक फैला हुआ था। एक वास्तुकार के रूप में, उन्होंने 1984 में नई दिल्ली में बेल्जियम के दूतावास, दिल्ली में यूनेस्को की इमारत, गोवा विश्वविद्यालय और रियाद में सऊदी शाही परिवार के लिए एक ग्रीष्मकालीन महल डिजाइन किया।
इनमें से अन्य प्रमुख इमारतें हैं गांधी संस्थान(1978-79) दतवानी हाउस (1979) भारत इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र,नई दिल्ली, इंदिरा गांधी भारतीय संस्कृति केंद्र, मॉरीशस, अल-मुतारा फार्म, रियाद, गोवा विश्वविद्यालय,गोवा, कंप्यूटर रखरखाव निगम कार्यालय, हैदराबाद और दूतावास भारत का, काठमांडू ,इंडियन एम्बेसडर हाउस जकार्ता
बेल्जियम दूतावास नई दिल्ली को आर्किटेक्ट के अंतरराष्ट्रीय फोरम द्वारा 20 वीं सदी की एक हजार सबसे बढ़िया इमारतों में एक का दर्जा दिया गया। यह इमारत भारत के आधुनिक बिल्डिंग स्ट्रक्चर में एक लैंडमार्क है।
कोलाज चित्रण--
सतीश गुजराल की कला का एक अन्य माध्यम भी रहा है ,गुजराल कागजो को भिन्न भिन्न प्रकार से चिपकाते हैं , जिसमें कई अमूर्त ज्यामितीय आकार दिखते हैं।
ऑटोबायोग्राफी--
सतीश गुजराल ने अपने जीवन संघर्ष को अपनी स्वलिखित जीवनी में दिया है।
जिसका नाम है-सतीश गुजराल:ब्रश विथ लाइफ।
प्रदर्शनी--
सतीश गुजराल के कला चित्रों का संग्रह नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली में है,पंजाब संग्रहालय, चंडीगढ़, स्टॉक होम ,लंदन, मैक्सिको,न्यूयार्क ,पिट्सबर्ग आदि जगहों में है
पुरुस्कार--
नेशनल अवार्ड ऑफ पेंटिंग 1956-1957
नेशनल अवार्ड ऑफ स्कल्पचर(1972)
आर्डर ऑफ क्राउन बेल्जियम इन आर्किटेक्ट(1983)
पद्म विभूषण(1999)
मृत्यु--
- सतीश गुजराल का निधन मार्च 2020 में 94 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में हो गया।
वेबसाइट,Website-http://www.satishgujral.com/
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Comments
Interesting Biography
ReplyDeleteSir aap bahut accha writing karte Hain mujhe aapka article bahut hi Pasand Aaya hai
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