शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ

Image
  – शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ   प्रश्न : क्या ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा से किसी स्टॉक में इंट्राडे खरीदारी का सटीक संकेत उसी दिन सुबह या एक दिन पहले मिल सकता है? उत्तर है : हाँ, लेकिन कुछ शर्तों और विश्लेषण के साथ। 🔍 OI से इंट्राडे में संकेत कैसे मिलते हैं? ओपन इंटरेस्ट का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग में सपोर्ट-रेजिस्टेंस, ब्रेकआउट, और ट्रेडर सेंटिमेंट को पकड़ने के लिए किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 📈 1. OI और प्राइस मूवमेंट का संयोजन Price OI Interpretation भाव बढ़े बढ़े नया पैसा आ रहा है, ट्रेंड मजबूत Bullish संकेत घटे बढ़े शॉर्ट बिल्ड-अप हो रहा है Bearish संकेत बढ़े घटे शॉर्ट कवरिंग हो रही है Bullish लेकिन अल्पकालिक घटे घटे लॉन्ग अनवाइंडिंग हो रही है Bearish लेकिन अल्पकालिक उदाहरण: अगर किसी स्टॉक में प्री-मार्केट या पहले 15 मिनट में तेजी है और साथ में OI बढ़ रहा है , तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर नई लॉन्ग पोजिशन बना रहे हैं – इंट्राडे बाय का संकेत। ⏰ 2. OI का डे...

भारतीय चित्रकला विशेषताएँ

  भारतीय चित्रकला की विशेषताएँ--

भारतीय चित्रकला की अपनी विशेषताएं निम्न हैं--

भारतीय चित्रकला विशेषताएँ

-धार्मिकता--

भारतीय कला की मुख्य विशेषता उसका धर्म से जुड़ाव था।भारत  धार्मिक कार्यों में वैष्णव मत में चित्र रचना का महत्वपूर्ण योगदान है और भगवान विष्णु कृष्ण राम के दर्शन को भक्ति का मुख्य अंग माना गया है,बौद्ध धर्म के धर्म के व्याख्याता के रूप में कला को माना गया है, बौद्ध धर्म को फैलाने में कल का ही योगदान था, पोथी चित्रण जैन धर्म की विशेषताएं है।

कल्पना--

भारतीय चित्रकला में कल्पना को आधार बनाया गया है ,कला में हर जगह देवताओं को एक मुकुट लगाए राजा नुमा सजाया जाता था ,ब्रम्हा विष्णु महेश और देवताओं के वाहन में कल्पना ही साकार होती है। अजंता के बौद्ध भिक्षुओं के चित्रों में जन्म जन्मांतर की कहानी कल्पना को ही दिखाती है।

प्रतीकात्मकता---

भारतीय कला में प्रतीक चिन्हों को समावेश किया गया है, ॐ चक्र,बृक्ष ,लक्ष्मी आदि का प्रमुख स्थान रहा है।

अलंकारिकता---

भारतीय कला में अलंकारिकता के दर्शन होते हैं। भारतीय कला में उपमा के द्वारा अलंकरण किया गया है जैसे कमल के समान नेत्र,चन्द्र के समान मुख , मुगल चित्र व राजपूत चित्रों में फूल पत्तियों व पशु पक्षियों का अलंकरण  है।

आदर्श वादिता --

भारतीय चित्रकला में एक आदर्श की कल्पना की गई है , जैसा कोई दिखता है वैसे चित्रण न करके कैसा होना चाहिए,जैसे राजा को आदर्श राजा के रूप में दिखाया जाता है। चित्र में क्या बनाना चाहिए क्या नहीं बनाना चाहिए इस पर चित्र लक्षण ग्रंथ ने बढ़िया से समझाया गया है।

रेखा व रंग---

भारतीय चित्रकला  रेखा प्रधान मानी जाती है ,रेखा द्वारा गोलाई परिप्रेक्ष्य आदि सभी कुछ प्रदर्शित है।रेखा गतिमय भाव और सूक्ष्म सौंदर्य को प्रकट करने में समर्थ है।आकृतियों में सपाट रंग का प्रयोग किया गया है।

उल्लासमय जीवन-- 

भारतीय चित्रकला की महत्वपूर्ण विशेषता उल्लासमय जीवन हर्ष आनंद के भाव फूट पड़ रहे हैं, प्रागैतिहासिक चित्रों से लेकर आज तक कि भारतीय कलाकृतियों में मानव मन मे उत्साह प्रेरणा आनंद के भाव हर जगह दिखते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

रसेल वाईपर की जानकारी हिंदी में russell wipers information in hindi

नव पाषाण काल का इतिहास Neolithic age-nav pashan kaal

हड़प्पा कालीन सभ्यता मे धार्मिक जीवन Religious Aspect of Hadappan Society