बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

RTPCR ka full form kya hai| RTPCR क्या है

RTPCR का full form क्या है।

R. T. P. C. R. का फूल  फॉर्म हिंदी में

 रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पालीमर चेन रिएक्शन

R-Reverse 

T-Transcription 

P-Polymer

C-Chain

R-Reaction

 आर टी पी सी आर परीक्षण क्या है-

R. T. P. C. R. टेस्ट में गले और नाक स्वैब को लैब में ले जाकर परीक्षण किया जाता है , इस परीक्षण में वायरस के सेल के अंदर एकल कड़ी  RNA (Single Helix)  को DNA डबल हेलिक्स  (Double  Helix) में बदला जाता है , इस प्रक्रिया को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं उसके बाद DNA की काउंटिंग की जाती है , इस प्रक्रिया को पॉलीमर चेन रिएक्शन कहते हैं।

  आरटी-पीसीआर किसी भी रोगज़नक़ में विशिष्ट आनुवंशिक सामग्री  और उसमे उपस्थित वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक परमाणु-व्युत्पन्न विधि है।

   मूल रूप से इस विधि ने निश्चित कर दिए गए आनुवंशिक सामग्रियों का पता लगाने के लिए रेडियोधर्मी आइसोटोप मार्करों का उपयोग किया था ।

    लेकिन बाद में  रिसर्च ने विशेष मार्करों के साथ प्रयोग होने लगे फ्लोरेसेंट रंजक का प्रयोग होने लगा।

   यह तकनीक वैज्ञानिकों को प्रक्रिया को जारी रखते हुए लगभग तुरंत परिणाम देखने की अनुमति देती है, जबकि पारंपरिक आरटी-पीसीआर केवल प्रक्रिया के अंत में परिणाम प्रदान करता है।

   वास्तविक समय RT-PCR COVID-19 वायरस का पता लगाने के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली प्रयोगशाला विधियों में से एक है। 

   जबकि कई देशों ने अन्य बीमारियों के निदान के लिए वास्तविक समय RT-PCR का उपयोग किया है, जैसे कि Ebola वायरस और Zika वायरस, कई को COVID-19 वायरस के लिए इस पद्धति को अपनाने में समर्थन की आवश्यकता है, साथ ही साथ अपनी राष्ट्रीय परीक्षण क्षमता बढ़ाने में भी।

वायरस क्या है?  आनुवंशिक सामग्री क्या है?

एक वायरस   प्रोटीन से बनी कोशिका झिल्ली  से घिरा हुआ आनुवंशिक पदार्थ का एक सूक्ष्म पैकेज है।  यह आनुवंशिक सामग्री या तो डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डीएनए) या राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) हो सकता है।


 डीएनए एक दोहरा -स्ट्रैंड अणु है जो सभी जीवों, जैसे कि जानवरों, पौधों और वायरस में पाया जाता है और जो कि इन जीवों को कैसे बनाया और विकसित किया जाता है, इसके लिए आनुवंशिक कोड या ब्लूप्रिंट रखता है।

     आरएनए आम तौर पर एक- लड़ी (single strand) अणु है जो आनुवंशिक कोड के कुछ हिस्सों को प्रोटीन के रूप में कॉपी करता है,  और  प्रसारित करता है ताकि वे जीवों को जीवित रखने और विकसित करने वाले कार्यों को व्यवस्थित और व्यवस्थित कर सकें।  आरएनए की विभिन्न विविधताएं नकल, प्रतिलेखन और संचारण के लिए जिम्मेदार हैं।

    RTPCR जांच कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है ,सामान्यता एंटीजन टेस्ट में जब कोरोना संक्रमण नही पता लग पता है और रिपोर्ट निगेटिव  आती है और मरीज़ की हालत में लक्षण दिखाई देते है तब RTPCR जांच की जाती है।

इसकी जांच के लिए नाक और गले से स्वैब निकाला जाता है ,उसको लैब में भेजा जाता है ,सामान्य अवस्था मे 8 घण्टे से दस घण्टे लगते हैं इसकी जांच करने में ,इसलिए मरीज को दो दिन बाद मालूम हो पाता है कि वो संक्रमित है या नहीं ,कोरोना का वायरस उसके शरीर में है या नहीं । कोविड के  दूसरी लहर में डबल म्यूटेंट वायरस तो RTPCR की जांच में भी चकमा दे रहा है करीब 30 प्रतिशत मामलों में देखा गया है कि कोरोना संक्रमण  के लक्षण उभर रहे हैं पर पर वायरस पकड़ में नहीं आ रहा है।

कई मरीजों के गले मे खराश,तेज बुख़ार तथा ऑक्सीजन सैचुरेशन (एस .पी .ओ .टू ) 90 से 80 के बीच होता है ,उनकी RTPCR जांच कराई जाती है तो सिर्फ 70 प्रतिशत में संक्रमण की पुष्टि होती है ,शेष 30 प्रतिशत में रिपोर्ट निगेटिव आ रही है।

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