धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

सात साल के बच्चे की सोंच और मनोविज्ञान क्या है?

सात साल के बच्चे की सोंच और मनोविज्ञान क्या है?

सात साल के बच्चे का मनोविज्ञान क्या है ?क्या  सोंचता  है ,सात साल का बच्चा!

सात साल के बच्चे का मनोविज्ञान क्या है क्या सोंचता है सात साल का बच्चा


छह साल क्रॉस करने के बाद जब बालक  सातवें साल में प्रवेश करता है तो ,उसके स्वभाव और उसके सोंच में क्या परिवर्तन होते हैं । ये मनोवैज्ञानिक कारण क्या है!
                सात साल क्रॉस करते ही बालक  की  बोल ने और बातचीत करने की क्षमता  में अधिक सुधार होता है  उसके द्वारा बोले जाने वाले शब्द ज्यादा स्पष्ट होते है वो अपने अंदर दस हजार शब्दों को वोकेबुलरी में रखता है उसकी grasping power अधिक होती है वो विभिन्न कार्टून में विभिन्न संवादों की बातों को अक्षरसः बोलने लगता है इस पर किसी दूसरे बन्दे को आश्चर्य भी हो सकता है क्योंकि बच्चा  अब  क्लिष्ट शब्द जो कार्टून का कलाकार बोलता है उसे स्वीकार कर लेता है।
              सात साल के  बालकमें तार्किक क्षमता का विकास होता है , बालक तुलनात्मक प्रश्न अपने माता पिता से पूंछता है क्योंकि  वो उनके बारे में सोंचता है , जैसे वो आपसे पूंछ सकता है  तालाब बड़ा होता है या झील, क्या क्रेन ट्रैन को घसीट सकती है , क्या बब्बर शेर टाइगर को हरा सकता है, हेलीकाप्टर ज्यादा आवाज करता है या हवाई जहाज वो जानना चाहेगा कि डायनासोर आपके घर के आकार से कितने बड़े या छोटे होते थे। क्या डायनासोर  मेगलाड्रोन को हरा सकता है? क्या कोई उल्का पिंड किसी शहर को खत्म कर सकता है। इसी तरह बालक को तुलनात्मक विषयों को सोंचने जानने की क्षमता विकसित होती है। बालक समय का ठीक कैलकुलेशन 7 वर्ष क्रॉस करते ही नही कर पाता बल्कि आठवीं वर्ष तक पहुंचते पहुंचते समय कुछ मिनट तक कैलकुलेट करके बता देता है ,वरना अभी वह सिर्फ बता पाता है कि छोटी सुई घण्टे की सुई किस अंक में है और उतना ही बजा है , जहां सात वर्ष के पूर्व बच्चों को अपने ड्रेस सेंस का अधिक ज्ञान नही होता वहीं बालक अब जान जाता है कि कौन सी ड्रेस आकर्षक है और उस पर फबती है। इसी तरह बालक खुद को सुंदर दिखाना चाहता है इसलिए वो अब अपने केश को सीसे में निहारता है कि उनमें कंघी (comb) ठीक से चली की नही , बालक सात साल पूर्व सार्वजनिक जगह में नग्न खड़े होने में शर्माता नही था ,पर सात साल क्रॉस करते करते वो बाहरी व्यक्तियों  आस पड़ोस के लोंगों के सामने पूरे कपड़े पहन कर आना पसंद करता है। बच्चे कपड़े खुद ही उतार सकते है पर खुद सभी कपड़े पहन नही पाते इसके लिए वो माता पिता का मुंह ताकते है , इस उम्र के बच्चे ख़ुद ही स्नान कर लेते है।
            सात साल क्रॉस करते ही बच्चे कुछ ज्यादा उछल कूद करते है वो अपने अंगों को लचीला बना लेते है वो जिम्नास्ट करते है ,योग और आसन कर लेते है क्योंकि उनके हांथों की ग्रिप पहले से मजबूत हो जाती है ,उसके पैरों के संतुलन मस्तिष्क से ठीक प्रकार से हो जाता है। वो कुछ आउटडोर खेल बैडमिंटन और और बैट -बाल भी खेल लेता है ,  Indoor गेम्स में बच्चे विभिन्न प्रकार के घर की वस्तुवों को एकत्र करके उनको अपने कल्पना द्वारा कुछ उन वस्तुवों का निर्माण करते है जो या तो वो कार्टून में देखते है या अपने आसपास कोई  वस्तु देखते है  ,बच्चे तर्कशील होते है इस उम्र में और ब्लॉक से कोई अपने कल्पना की वस्तुएं जोड़कर बनाते है जैसे घर का बेड बनायेगे जो कुछ सुपर  विशेषतायें लिए होगा , कोई सुपर byke बना देगा ,या सुपर कार बना देगा,इसी तरह ब्लॉक से कोई किला बना देंगे  बच्चे   अपनी कल्पना से घर के छोटे छोटे समान और कुछ पुराने खिलौनों का प्रयोग करके कोई काल्पनिक युद्ध स्थल भी बना सकते है और उस हर  वस्तु को जिसे बच्चे ने जमीन में अलग अलग सेट किया है उसमें उसकी कल्पना के हिसाब से कोई   न कोई   नाम होगा जैसे कोई फाइटर जेट होगा कोई टैंक होगा कुछ मिसाइल होंगी कुछ छावनी होगी बच्चे सब ये निर्माण किसी गेम की नक़ल करके करते है या फिर युद्ध वाले सीरियल के जरिये निर्माण करते हैैं। सात साल का बालक अब साईकल चलाने में संतुलित कर लेता है।
       बच्चों को इस उम्र में  कागज की जहाज बनाना और नाव बनाना बहुत पसंद है,शुरुआती सात साल में बच्चे कागज का जहाज और कागज की नाव खुद बनाने में कठिनाई महसूस करते है क्योंकि मस्तिष्क अभी इतना संयोजन नही कर पाता कि कि कागज को कितनी बार कैसे मोड़ना है ,इसलिए इन कागज की नौका और जहाज को बनवाने के लिए अपने बड़े भाई बहनों की मदद लेते है।
           बच्चे पानी मे नाव तैराना पसंद करते है , किसी प्रकार के कागजों को कैची से काटकर और गोंद लगा कर कुछ नया  क्रिएट करते हैं । इस उम्र में बच्चे बोर्ड या कागज में अच्छा रेखांकन करके अपने हिसाब से नई आकृतियां बना लेते हैं और उनको अपनी कल्पना से अलग अलग रंगों से रंग भी लेते है।
             इस उम्र में बच्चे को शतरंज या चेस का बेसिक बताकर धीरे धीरे खेलना चाहिए जिससे उसकी तार्किक क्षमता में अधिक विकास होगा यद्यपि वह चेस खेलने में अरुचि दिखा सकता है सात वर्ष के आखिरी में यानी सात वर्ष 11 महीने के बाद वह इन खेलों में थोड़ी बहुत अभिरुचि प्रकट करेगा।
          सात साल क्रॉस करने वाले बालक TV के कार्टून के विभिन्न चरित्र को नाम सहित याद रखते है।
          सात साल क्रॉस करने के बाद बच्चे समाज मे अन्य बच्चों से घुलते  है ,उनमे आपस मे थोड़ी बहुत प्रतिस्पर्धा होती है , खेल में सही ढंग से प्रस्तुत करने और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में वो उत्सुक होते है ,खेल में कई बदलाव करके नया खेल बना लेते है । जो भी हो इस उम्र में बच्चे ग्रुप में खेलना पसंद करते है सात साल के बच्चे के साथ बारह साल तक बच्चे ग्रुप में खेलने में आनंद का अनुभव करते हैं। इस उम्र के बच्चे जाती और धर्म मे कोई अंतर नही जान पाते , पर घर मे पूजा पद्धतियों को माता पिता के निर्देश में करते है और उसको वो खेल समझ कर करते हैं और आनंदित होते हैं। बच्चे विभिन्न कार्टून को देखकर हंसते है उछलते है और कभी कभी वो सोते समय भी इन्ही पात्रों को देख कर हँसते है।
वो अपने कुछ सगे संबंधियों को पहचान लेते है , इस उम्र के बच्चे ये जानने लगते है  कि एक अमीर आदमी और गरीब आदमी में अंतर होता है , ये जान लेते है कि कोई कार्य करने से ही ढेर सारे पैसे आते है ,पर इस उम्र में बच्चे अपनी इच्छाओं को अपने माता पिता की हैसियत के अनुसार खुद की इच्छाओं को कंट्रोल करना सीख जाते हैं।
              सात साल के बच्चों में यौन आकर्षण की शुरुआत होने लगती है , वो शादी विवाह के बारे में जानने को उत्सुक होते है कि शादी में जयमाल क्यों डाला जाता है , बारात क्यों आती है वो अपने पिता से पूंछ सकता है कि पिताजी! आपकी शादी कैसे हुई थी  , बारात कहाँ गई थी ,ये प्रश्न वो आपसे तब पूंछ सकता है जब आप बच्चे को किसी मैरिज फंक्शन में ले जाते हो , इसी तरह के प्रश्न बच्चे में कौतूहल प्रकट करेंगे तो वो अपनी मां से भी पूंछ सकता है।
               बच्चे के दिमाग़ के न्यूरॉन्स अभी भी बनते रहते है ,बच्चों को कभी कभी किसी खुद  के क्रियेटिविटी में कमी नज़र आती है तो वो झल्ला जाते हैं ,कभी कभी उनका गुस्सा बेकाबू हो जाता है ,कभी कभी यह बच्चा कुछ ऐसी ज़िद करेगा जिससे आपको ग़ुस्सा भी आएगा पर वो ज़िद में अड़ जाएगा ,जैसे अपने की क्रिएटिविटी द्वारा जब ब्लॉग्स से या अन्य विधि से उसके द्वारा बनी डिज़ाइन यदि टूट गई या किसी ने तोड़ दिया  तो वह पहले जैसे हूबहू डिज़ाइन के निर्माण की बात करेगा।
           बच्चे के अंदर क्रिएटिविटी develop हो जाती है , वो बोर्ड में कुछ एनिमल और फूल मछली और घर ,नाव,पतंग , कार , बाइक जैसी चीजें बनाने में सक्षम होता है क्योंकि कुछ भी देखने के बाद बालक उनको अपने मस्तिष्क में कई दिन तक संजो कर रख सकते है।
           बालक जो सात साल क्रॉस कर लेता है  उसकी पाचन शक्ति बढ़ जाती है अब वो सुबह शाम लगभग एक-एक रोटी और एक कटोरी दाल चावल खा सकता है एक गिलास दूध भी पी लेता है। इस उम्र में सामान्यता बच्चे 9 घण्टे तक सोते है।तभी स्वस्थ रह पाते है और रोग मुक्त हो पाते है। क्योंकि वो अब अधिक फिजिकल एक्टिविटी करता रहता है। इस उम्र में बच्चे स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक की अधिक डिमांड करते है जो उनके लिए नुकसानदायक है इसके कारण बच्चों में तेजी से मोटापा बढ़ रहा है । भारत मे इस मामले में अमेरिका चीन के बाद तीसरा स्थान है भारत मे एक करोङ बच्चे मोटापा से ग्रसित हो गए हैं।
           बालक को इस उम्र में सामान्य GK के प्रश्न बताना चाहिए जैसे ताज महल कहा है , कुतुब मीनार कहाँ है , अयोध्या में किसका मन्दिर है। बच्चे जो प्रश्न पूंछे उस प्रश्न का तार्किक उत्तर देना चाहिए, पहले महिलाएं घर से क्यों नही निकलतीं थी?? कई प्रश्न के उत्तर  गार्जियन नही दे पाते उन प्रश्न का जवाब नही देना चाहिए। 
बच्चो को इस उम्र में पहेलियां भी पूँछनी चाहिए जिससे उनके मस्तिष्क का विकास होता है,कुछ पज़ल भी बच्चों को हल करने को देना चाहिए। बच्चों को आउटडोर घुमाने सप्ताह में एक बार ले जाना चाहिए और आसपास की हर चीज के बारे में बताना चाहिए। आपके हर बात को बालक    अच्छी खबर रखता है।
(achhikhabar)
                हर बच्चे का विकास उसके अपने पर्यावरण उसके भावनात्मक विकास और उसके शारीरिक विकास जैसे प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है 
,इन बच्चों का व्यवहार निम्न कारकों पर निर्भर करता है।
 १-फिजिकल बेहैवियर---(physical development)
 इस उम्र में बच्चा ऊर्जा का पावर हाउस होता है ,वह अपनी बढ़ती शारीरिक शक्ति के कारण बहुत अधिक शारीरिक गतिविधियों में  संलग्न रहता है ,इसी काऱण बच्चे शाम को बुरी तरह थक जाते है और अत्यधिक उछलने कूदने और कुछ शैक्षिक कार्य करने के कारण जल्द सो जाते है ,इस उम्र में बच्चों को 10 से 12 घण्टे सोना चाहिए जिससे वो स्वस्थ रह पाते है, परंतु सात वर्ष की उम्र में अभी मोटर कौशल विकसित होने शुरू हुए होते है पूर्णतया विकसित नही हो पाते इसलिए जब बच्चा किसी प्रकार के पैसेज को लिखने या हिंदी इंग्लिश में कुछ लिखने में कठिनाई महसूस करेगा ,हो सकता है उसके अक्षर सुंदर हो पाए ,अक्षर में टेढ़ा मेधा होना कोई परेशानी नही क्योंकि मस्तिष्क से उसके हाँथ की उंगलियों से संपर्क का कौशल अभी विकसित हो रहा होता है।

२-Cognative behaviour(संज्ञानात्मक विकास)--
 सात साल का बच्चा अब पहले से अधिक ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होता है, वह अपने माता पिता और टीचर्स के दिये गए निर्देशों को ठीक तरह समझ लेगा ,और आपसे विस्तृत आदेश और निर्देश भी लेगा, वह अपना ज्ञान साझा करने और दूसरों से सीखी गईं बातों को लोंगों को बताना पसंद करेगा,वह अपने सहकर्मी समूह के आदतों को भी अपना सकता है।
३-सामाजिक व्यवहार---- (social development)
 सात वर्ष में बच्चा बहुत मिलनसार हो सकता है,और अपने दोस्तों के साथ खास जुड़ाव भी महसूस करता है,वह अपने कई दोस्तों को के बहुत करीब हो सकता है और कुछ दोस्तों के विशेष आदतों से दूर भी हो सकता है और ख़ुद को सावधान कर सकता है।

बच्चे के व्यवहार में बदलाव लाने वाले मुद्दे
 ४- अवहेलना-(defiance)--
बच्चे इस उम्र में अपने माता पिता की आज्ञा की अवहेलना करने लगते हैं ,ये बच्चे द्वारा आर्डर की अनसुनी इसलिए होती है कि बच्चा कभी कभी अपने पैरेंट्स के सीमाओं के परीक्षण का प्रयास करते हैं कि किस हद तक माता पिता की बात नही मानने पर डाँट नही पड़ती,या बच्चा इस अवहेलना द्वारा ये सिद्ध करने का प्रयास करता है कि पेरेंट्स उससे कितना करने की उम्मीद कर सकते है और बच्चा अपनी पसंद वाली बात को तो मान लेता है पर जो बात उसे पसंद नही है वो उस बात को बिल्कुल अनसुनी कर देता है।
५-      झूठ बोलना---
इस उम्र में बच्चों में झूठ बोलने की प्रवृत्ति विकसित हो जाती है ,झूठ बोलने की इस समस्या को पहचानने के लिए माता पिता को अन्वेषण करके जड़ तक पहुँचना जरूरी है,परंतु कुछ बच्चे इसलिए झूँठ बोलते है क्योंकि वो वास्तविकता और कल्पना के बीच के अंतर को नही पहचान पाते,इस स्थिति के माता पिता को बच्चे के साथ कि परिस्थिति और स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए जिनके कारण बच्चे में इस तरह का व्यवहारिक परिवर्तन होता ।
६-     गुस्सा करना--
इस उम्र के बच्चों में गुस्सा की प्रवृति भी विकसित हो जाती है बच्चा इस समय तब झल्लाता है जब वह अपने किसी कार्य को पूरा नही कर पाता या किसी क्रेटिविटी मे वह बार बार करने के बाद असफल हो जाता है,इस स्थिति में बच्चा तेज आवाज में चीख़ता और चिल्लाता है, कभी कभी वह अपने आसपास की चीजों को फेंकने लगता है ये बच्चों का एब्नार्मल बिहैवियर होता है परंतु इस स्थिति में  बच्चों को डांटने डपटने के बजाय उस कारण को समझना चाहिए जिसके कारण बच्चा झल्ला जा रहा है बच्चे को उसके उस कार्य को पूरा करने में मदद करनी चाहिए ,ज्यादा गुस्सा होने पर उसे दूसरी चीजों की तरफ़ ले जाना चाहिए जिससे उस ऑब्जेक्ट से ध्यान कुछ समय के लिए हट जाए।
   क्या बदलाव दिखते हैं बच्चे में---
1-शारीरिक और मानसिक कौशल विकसित होते है।
2-इस आयु वर्ग में बच्चे दुनिया और अपने आसपास की समझ अच्छी तरह विकसित कर लेते है मैप में  विभिन्न देशों और शहर के बारे में जान लेते है ,समाचारों के माध्यम से या अपने माता पिता के माध्यम से विश्व के राजनीतिक उथल पुथल को भी समझने लगते है।
3-इस उम्र में बच्चे अपने अनुभवों का वर्णन बेहतर तरीके से करने लगते हैं,और अपने विचारों और भावनाओं के बारे में बेहतर तरीक़े से समझ पाते हैं।
4- बच्चे उन जगहों में खुलकर बोलते हैं जहाँ सुविधा जनक समझतें है। बच्चा जो बोलता है वो  स्पष्ट बोलता है। बच्चे अच्छी तरह शब्द प्रोनाउंस करता है
5- सात साल के बाद बच्चे अपने लिंग के बच्चे से दोस्ती करते है।
6-सात साल के बच्चे किसी अज़नबी से डरते हैं उनसे सामान्यता दूर रहते हैं।
7- सात वर्ष के बच्चे जल्द ही नई जगह में जाने पर बदले वातावरण में खुद को उसी के अनुकूल कर लेते है परंतु पुराने  स्कूल को छोड़कर जब बच्चा दूसरे स्कूल में एडमिशन लेता है तो नए स्कूल के बच्चों और टीचर्स के साथ जल्दी एडजस्ट नही कर पाता जल्दी घुल मिल पाने में असहज महसूस करता है।
8- इस उम्र में बच्चा फिजिकल एक्टिविटीज  मैं अधिक कोआर्डिनेशन  करता है वह पेंड़ में चढ़ने का प्रयास करने लगता है वह तैरने का प्रयास करने लगता है।
 क्या करें पेरेंट्स--
1-अपने बच्चों से माता पिता स्नेह दिखाएं
2- बच्चे की उपलब्धियों को पहचानें
3-अपने बच्चे को जिम्मेदारी वहन करने में मदद करें
4-उसे घर के छोटे मोटे कार्यों में मदद करने को कहें
5-अपने बच्चे को ज़रूरत मन्द की मदद करने को प्रेरित करें
6-दूसरों का सम्मान करने के बारे में अपने बच्चे से कहें।
7-अपने बच्चे से उसके स्कूल के दोस्तों के बारे में बातें करें।
8- अपने बच्चे को बताए कि उसके अगले क्लास में पहुंचने पर उसे क्या क्या नया मिलेगा ,तब उसे क्या करना होगा।यानी भविष्य के बारे में सोंचने की ट्रेनिंग दें।
9- अपने बच्चों को स्वयं द्वारा बनाये गए उसके लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करें।
10-उसे हर कार्य मे गर्व करना सिखाइये जिसको उसने अपने प्रयत्न द्वारा पूरे किए गए कार्य मे गर्व महसूस होगा और वह दूसरों से अनुमोदन और इनाम पर कम भरोसा करेगा।
11-अपने बच्चे को धैर्य रखने या धीरज रखने की ट्रैनिंग देते रहें ,इसके लिए उसे  बाहर खेले जाने से पूर्व दिए गए होमवर्क को पूरा करने को कहें।
12- बच्चे  में अनुशासन विकसित करने के लिए TV और कार्टून देखने का निश्चित समय निर्धारित करें ,पढ़ने का निश्चित समय निर्धारित करें।
13- नई चुनौतियों का सामना करने के लिए बच्चे का समर्थन करें,और बच्चे की  समस्याओं को हल करने के लिए प्रोत्साहित करें।
14-अपने  बच्चे को सामुदायिक समुदायों में सम्मिलित करने को प्रोत्साहित करें , जैसे किसी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने को प्रोत्साहित करें ,स्कूल के होने वाले नाटक में  भाग लेने को प्रोत्साहित करें, स्कूल में हर कम्युनिटी में होने वाले किसी खेल में सम्मिलित होने को प्रोत्साहित करें।हर बच्चे में हर क्षेत्र में आत्मविश्वास पैदा करने का यही समय है
15-बच्चे के स्कूल और टीचर्स और अन्य स्टाफ से बीच बीच मे मिलते रहे । जिससे बच्चे स्कूल के वातावरण में ख़ुद  कितना फ़ोकस कर पाता है जानकारी मिलती है।

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