धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

कोरोना पर एक लेख , कैसे फैला ,कैसे बचें


कोरोना या kovid-19 पर एक आर्टिकल


कोरोना पर एक लेख , कैसे फैला ,कैसे बचें


कोरोना का प्रसार दुनिया के 110 देशों तक हो चुका है , दुनिया भर में करीब 2.00 लाख लोग  संक्रमित हैं और करीब 8 हजार व्यक्ति मारे जा चुके हैं  , हर देश में इसके प्रति भय व्याप्त है , चीन से होते हुए  इटली ईरान दक्षिण कोरिया ,जापान ,अमेरिका ,कनाडा, फ़्रांस,जर्मनी,पोलैंड, बेल्जियम स्पेन सहित पूरा यूरोप इसके कारण डरा हुआ है । पूरे दुनिया में इसी तरह की भयावह स्थिति आज से 100 साल पहले 1920 में प्रथम विश्व युद्ध के बाद फैली थी , इसका नाम था स्पेनिश फ़्लू ये भी खाँसी ,ज़ुकाम, बुख़ार, का रोग था ,इसमें दुनिया भर में इस रोग ने अपने पैर पसारे थे ,भारत के मुंबई से होता हुआ उत्तर भारत में फ़ैल गया था ,दुनिया भर में इस रोग से एक साल में डेढ़ करोङ से अधिक लोग मारे गए थे ,आज 100 साल बाद फिर वही आपदा ने दुनिया को अपने जाल में फंसा लिया है । हर देश बचने का प्रयत्न कर रहा है ,पर लगता है की कोविड -19 सभी को अपने शिकार में लेगा ,और जैसा की रिसर्चर ने अपनी रिपोर्ट दी है की ये रोग का वायरस भी एक साल तक अपने को समाप्त नही करेगा और क़रीब एक करोङ लोग मारे जा सकते हैं।
           कोविड-19 या कोरोना वायरस में संक्रमित होने के बाद रेस्पिरेटरी सिस्टम में दिक्कत आनी शुरू होती है ,इस में पीड़ित को बहुत तेज़ बुख़ार आता है ,और साथ में साँस लेने में  दिक्कत आती है ,थोड़ी दूर चलने में साँस फूलने लगती है ,पेसेंट को इस हालात में अस्पताल जाना पड़ता है एडमिट होना पड़ता हैं , ज्यादा संक्रमण होने पर निमोनिया जकड लेता है और फेफड़े में कफ़ इतना जम जाता है कि मरीज़ साँस नही  ले पाता ,      मरीज को  साथ में  डायरिया भी हो जाता है ,  फेफड़े के एक्सरे जब मरीजों के लिए गए तो दीखता है की फेफड़े की कोई भी वायु कोशिका खुली नही होती सभी जगह कफ़ जम जाता है  और साँस लेने में तकलीफ के बाद मरीज़ मारा जाता है
 (चीन में इस रोग से मारे गए  लोंगों के शरीर का पोस्टमार्टम  करने पर ये जानकारी   एकत्र हुई कि मृत व्यक्तियों के स्वास् नली और फेफड़ों में च्युंगम की तरह कफ़ जम गया है और खीचने में बढ़ रहा है)   फिर लीवर और किडनी फेल्यर  भी हो जाता है मरीज को  और  तब मारा जाता है मरीज। अभी भारत में 31 मार्च तक इस वायरस के फैलने के बहुत चान्स है दूसरे देशों को देखते हुए भारत में  सावधानियां बरती जा रहीं है ,हो सकता है की गर्मी बढ़ने से इस वायरस का प्रभाव कम हो जाये ,  पर   कोई   निश्चित नहीं है हो सकता है की गर्मी बढ़ने में और तेजी से फैले।
वैसे अमेरिका ने दावा किया है कि इसका टीका बन गया है  और पहला परीक्षण मनुष्य में किया जा चुका है , जून तक मनुष्य में  आखिरी  परीक्षण हो सकता है ,भाई टीका बनने में कम से कम छः महीने से एक साल  का वक्त तो लगता है साथ में  बहुत ज्यादा    इन्वेस्टमेंट भी होता है ।  उसके बाद इस टीके का क्लीनिकल ट्रायल होता है  बीस -  पचीस हजार लोंगों पर अलग अलग स्टेप में टेस्ट होते है तब जाकर मार्किट में टीका आ पाता है , अमेरिका इस मामले में सबसे आगे है।जो टीका खोज सकने में सक्षम है। वैसे अभी तक ब्रिटेंन   ने भी    टीके को विकसित करने में सबसे अधिक तेजी दिखाई है और सबसे अधिक इन्वेस्ट किया है      ,चीन भी टीका विकसित करने का दावा कर रहा है ,साथ में इजराइल और ऑस्ट्रेलिया ,फ़्रांस भी टीका बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

   भारत में भी जनवरी में पहला संक्रमण मरीज़  का मामला आया था आज दिनांक 27 मार्च को 850   मरीज़ संक्रमित पाये गए है ,  इनमे 67ठीक होकर घर आ चुके हैं ,भारत में अभी तक अच्छे प्रबंध से ज्यादा नही फैला ,पर ये नही कहा जा सकता की इसका प्रसार भारत में ज्यादा नही फैलेगा । भारत में ये अधिक फ़ैल सकता है क्योंकि भारत में crowd हर जगह है , लोग खुद को isolate  (आइसोलेट)नही कर पाते । वैसे भारत में हाँथ मिलाने की प्रथा नही है पर ज़ुकाम सर्दी को नजरअंदाज करने की आदत है , वैसे सामान्य फ्लू में भी हल्का बुख़ार आता है , जुकाम रहता है , छींके आती हैं , नाक से पानी आता है , बदन दर्द करता है ,  सामान्यता भारत में मौसम बदलाव के समय सर्दी ज़ुकाम हमेशा होता रहता है पर चार दिन बाद इसका प्रभाव खत्म हो जाता है और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है  क्योंकि  कोई भी वाइरस के खिलाफ शरीर में पांच दिन में इम्युनिटी बन जाती है ,और व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।
 आज जब दुनिया में कोरोना फैला है लोग सामान्य सर्दी से भी पैनिक हो रहे है। कोरोना बिना किसी संक्रमित व्यक्ति के टच के होता नही है ,ये तभी होगा जब दूसरा भी कोरोना से संक्रमित हो और आपको छू ले ,अभी भारत में ये मानव से मानव या कम्युनिटी में नही फ़ैल रहा । कोरोना का फैलाव  भारत में  अभी दूसरे स्टेज में है । तीसरा स्टेज कम्युनिटी ट्रान्सफर है जिसमे सोसाइटी में  संक्रमित व्यक्ति  दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करता हैं।
क्योंकि कुछ व्यक्ति जो विदेश से जैसे गल्फ कन्ट्रीज क़तर, यू ए ई , इराक,दुबई,  में जॉब करते हैं वहां से लौट कर आ रहे है ,भारत में कोलकाता और बिहार  के बहुत से लोग थाईलैंड में भी है कुछ मलेशिया और जापान में भी है ,कुछ विदेशी सैलानी हर साल भारत भ्रमण पर आते हैं ,भारत ने अपने नागरिक जो चीन और ईरान में रहते थे उन सबको 300 -300 को एक साथ जम्बो जेट में बैठाल कर भारत ले आये हैं। वैसे आप देखिये चीन की सीमा में मलेशिया ,दक्षिण कोरिया, जापान,थाईलैंड ,सिंगापुर में सबसे ज्यादा अवागमन होता है पर इन देशों ने अपने देश में पुख़्ता प्रबन्ध किया और देश में संक्रमण फैलने नही दिया क्योंकि इन देशों ने 2004 में  फैले सार्स के प्रकोप को झेला था जिसमे लाखों व्यक्ति मारे गए थे ,उसी तरह की समस्या आने पर सिंगापुर ,दक्षिण कोरिया ने अपनी सीमा चीन से पूरी तरह बन्द कर दिया। और अपने देश में हर चीज को  सैनेटॉइज किया ।
       ये विदेश यात्रा वाले या विदेशी सैलानी है ,   वो ही कोरोना ला सकते हैं ,अभी तक महाराष्ट्र में 40 सबसे ज्यादा और केरल में 22 उत्तरप्रदेश में 13 हरियाणा में   12 पंजाब में तीन ,  कश्मीर में  तीन  कर्णाटक,तेलंगाना में चार  राजस्थान में   6 केस देखे गए हैं , संक्रमित व्यक्ति को परिवार से अलग  आइसोलेशन सेंटर में रखा जाता है ,इसे   "क्वारंटाइन " कहते हैं। भारत में जो बन्दा एअरपोर्ट आता है उसकी थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है अभी तक 12 लाख लोंगों की थर्मल स्क्रीनिंग हो चुकी है । हर स्कूल कॉलेज ,जिम को 31 मार्च तक बन्द कर दिया गया है मुम्बई में धारा 144 लागू कर दिया ,गया है दिल्ली में 50 से ज्यादा व्यक्तियों की सामाजिक,धार्मिक,राजनैतिक, आंदोलन वाली सभी तरह की गैदरिंग यानी भीड़ इकट्ठा करने की मनाही है ,सिर्फ शादी विवाह में छूट है वो भी 100 से ज्यादा लोंगो को निमंत्रण देने से मना किया गया है ,शादी postponed  की अपील की गई है।
      भारत सरकार ने अब 22 मार्च के बाद सभी विदेश से आने वाली फ्लाइट को भारत में लैंडिंग से  रोक लगा दिया है । साथ में प्रधानमन्त्री मोदी ने देश के सभी लोंगों से 22 मार्च को सुबह सात बजे से रात 9 बजे तक घर से नहीं निकलने की अपील की है इसे जनता से स्वेच्छा से करने को कहा है इसे जनता कर्फ्यू नाम दिया गया है। इस तरह कुछ हद तक जनता घर से अति आवश्यक कार्य के लिए ही बहार निकलेगी अन्यथा वो घर में ही रहेगी,जिससे इस भयानक रोग को तीसरे स्टेज में जाने से रोका जा सके,साथ में 22 मार्च रविवार को दस वर्ष से छोटे बच्चों को और 65 वर्ष से अधिक आयु के लोंगों को घर से बहार निकलने को रोका गया है क्योंकि इस आयु वर्ग की इम्मुनिटी बहुत कम होती है।

           भारत में कुछ लोग और कुछ मामले ऐसे दिख रहे हैं जो विदेश से आये और बिना किसी सूचना के देश भर में कई जगह यात्रायें की पंजाब से इसी प्रकार के 117 लोंगों की तलाश कर रही है , ऐसे व्यक्ति जो विदेश यात्रा करके आये हैं उनमे कोरोना के इस समय कोई लक्षण नहीं है पर एक सप्ताह बाद तक ये लक्षण प्रकट होते है ऐसे व्यक्तियों को ख़ुद को अपने घर में 8 दिन तक क्वारन्टाइएन कर लेना चाहिए।

  गांव के लोग पूंछ रहे कि वो तो किसी माल या सिनेमा हाल नही जाते तो क्या उनको भी कोरोना हो सकता है क्या , क्या कोरोना का प्रभाव गांव में भी हो सकता है । भारत में अभी दो मरीज ही मरे हैं एक मरीज जो कर्णाटक में  , सउदिया से आया था 78 वर्षीय बृद्ध था उसके अंदर कई अन्य बीमारियाँ भी थीं । दिल्ली में एक 68 वर्षीय महिला की भी मृत्यु हुई है । आप यदि मोर्टेलिटी रेट की बात करें तो इस रोग में सिर्फ एक प्रतिशत है जब की 2004 में दुनिया भर में फैला सार्स वायरस की मृत्यु दर 10% थी ,यदि इस रोग से कोरोना की तुलना करें तो मृत्यु के कम चान्स है पर मरीज को ये रोग  वेंटिलेटर या ICU तक पहुंचा सकता है। यह रोग बच्चों को संक्रमित करने की सम्भावना सिर्फ .006% है तो 18 वर्ष से ऊपर वालों को 1% इसी तरह   40 वर्ष के ऊपर वालों को 3%   प्रतिशत और 60 वर्ष से ऊपर वाले जिनकी इम्युनिटी अत्यधिक कम होती है उनको कोरोना लपेटे में जल्द ले लेता है।  और 60 साल के ऊपर के   बृद्ध को लपेटे में लेने का प्रतिशत  6 % है    तो  70 वर्ष के ऊपर वाले 8 % और 80 वर्ष वालों को 14% ज्यादा इंफेक्ट होने का चान्स  है क्योंकि बृद्ध लोंगो के इम्युनिटी में लगातार कमी होती जाती है   बृद्ध को केयर करने की ज्यादा जरुरत है ।
  बचाव कैसे करें--
इस रोग से बचने के लिए जरुरी है की भीड़भाड़ वाली जगह में बिलकुल न जाये । लोंगों से हाँथ न मिलाएं , जिसको जुकाम खाँसी हो उससे डेढ़ मीटर का  फासला रखें,कोई भी चीज जिसके हर व्यक्ति छू रहा है उस जगह को न छुएं , क्योंकि प्लास्टिक में वायरस 24 घण्टे रहता है ,दफ़्ती का गत्ता में 4 घण्टे तक वायरस बना रह सकता है ,स्टील के रॉड में 24 घण्टे तक इफेक्टिव रहता है ,इसलिए माल , या अन्य जगह  जहां प्लास्टिक की कुर्सिया और स्टील की कुर्सी है वो जगह भी संक्रमण फैला सकता है।
यदि सर्दी जुकाम है तो मुंह में रुमाल बांध कर  रखें , मास्क खरीद लें ,सामान्य मास्क से भी दूसरे व्यक्ति को आप इंफेक्ट करने से बचा सकते हैं। जब भी छींक आये तो हाँथ की हथेली को मुंह के सामने न लाकर कोहनी के हिस्से को लाएं क्योंकि इस हिस्से में यदि छींक के साथ वायरस पहुंचे तो भी दूसरे को नहीं पहुंचाएंगे।
 दिन में जब भी किसी कूड़े करकट में हाथ लगाये ,या किसी पब्लिक प्लेस के हैंडल आदि को पकड़ लें तो साबुन से तीन मिनट तक साफ़ करें उगलियो के बीच की जगह को अच्छी तरह रगड़ें ,फिर बहते पानी से हाँथ धुल लें।
    सैनेटाइजर की डिमांड बढ़ गई है सैनेटाइजर एक लिक्विड है जिसमे 45% अल्कोहल होता है , जिसको दोनों हांथों में सिर्फ  सात या आठ बूंदे डाल कर दोनों हाँथ से रब करना पड़ता है । जिससे वाइरस खत्म हो जाये ,होता ये है की वाइरस के ऊपर एक फैट या वासा की एक परत होती है जैसे मनुष्य के ऊपर उसकी त्वचा होती है , और आप जानते हो की वासा या घी को पूरी तरह घोलने में पेट्रोल , ईथर या अल्कोहल सक्षम है जब आप हाँथ में अल्कोहल डालते हो , तो वाइरस भी खत्म हो जाता है । ये वाइरस सामान्य हवा में तीन घण्टे तक जीवित रहता है इस लिए इंफेक्ट व्यक्ति जब छींके तो उससे करीब दो मीटर दूर ही रहो। कानपुर के आम्बेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉर   टेक्नॉलजी  फ़ॉर हंडीकैपड( AITH) के बायो टेक्नोलॉजी विभाग ने चार महीने के रिसर्च के बाद    निष्कर्स   निकाला है कि   दालचीनी  में एंटी वायरल गुण पाये गये है इसके प्रयोग से इंफ्लुएंजा वायरस इन एक्टिव होता है ,दालचीनी के तेल से इंफ्लुएंजा वायरस इन एक्टिव करने में सफलता मिल चुकी है ,लौंग ,जीरा, दाल चीनी में एंटी फंगल ,और एंटीवायरस और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। अब इन मसालों से  सैनेटाइजर बनाया जायेगा जो फलों और सब्जियों को सेनेटाइज़ कर सकेगा। इसकी मदद से आम, संतरा,केला,पपीता, अनार,शिमला मिर्च  ,आलू , टमाटर ,बैगन को इसकी मदद से 15 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।


       यदि घर में किसी सदस्य को जुकाम बुख़ार है तो उस एक अलग कमरे में रखो नाक मुंह बन्द करें ,घर में हर दरवाजे के कुंडो या हत्थे को पेट्रोल से साफ कर दें घर को  फिनाइल से साफ करें ,घर में प्रयोग होने वाले बेडशीट ,पिलो कवर ,या अन्य चादर और पर्दे साफ करें । घर के आसपास कहीं खखार कर नहीं थूंकें।घर के आसपास कचरा कूड़ा एकत्र न करें क्योंकि इसमें वाइरस जगह बना लेता है , सारे कचरे को हटा देने ,कचरे के डब्बे को भी साफ रखें , कचरा साफ करने के बाद  साबुन से बीस सेकन्ड तक धोएं और नाक मुंह को रुमाल से बन्द रखें।
          घर से निकलें पर  मुंह में मास्क लगाकर उन जगह न जाये जहां ज्यादा लोग एकत्र होते हैं ,जिसे स्टेशन,बस अड्डे,  मैच देखने के लिए स्टेडियम ,सिनेमा घर,माल ,स्कूल,अस्पताल, आदि जगह।
         आप देख रहे हो 50 साल में भारत के  रेलवे ने एक एक डब्बे और उनकी  सीट को इतने बेहतर तरीके से नही साफ़ किया होगा जितना इस समय सभी  प्लेटफ़ॉर्म और एअरपोर्ट को साफ किया जा रहा है। इतना बड़ा सफाई अभियान पहली बार हो रहा है। ट्रेन ने हर यात्री से अपने चादर लाने को कहा है सिर्फ शताब्दी और कुछ  ट्रेन में ही कम्बल वितरित किये जा रहे हर कम्बल ,चादर को प्रॉपर वे से   सैटनाइजसन       किया जा रहा है।
       सोशल डिस्टेन्सिग बनायें , यानि बस की यात्रा ट्रेन की यात्रा से बचें, प्लेटफॉर्म , स्टेशन , मेला, मन्दिर , पार्क ,बाज़ार, क्लब, बिलकुल मत जाएँ , ऑफिस में जाये तो हर व्यक्ति से 6 फिट की दुरी बनाकर रखें ,नोट आदि को गिनने के बाद हाँथ क सैनेटाइजर से साफ़ करें।
 
        भारत में डॉक्टर्स मरीजों पर HIV की दवा और फ्लू की दवा  मलेरिया की दवा क्लोरोसीक्विन दोनों को मिलाकर दे रहे हैं जिससे मरीजों में कुछ सुधार हो रहा है,कुछ डॉक्टर्स एंटी इंफ्लामेटरी दवा दे रहे है ,पर कुछ भी फिट दवा नहीं है।

         शरीर में पानी की कमी न होने दें , हो सके तो गर्म पानी पीतें रहें। घर में भी हल्की फुल्की एक्सरसाइज करतें रहें । 
  कैसे फैला -- 


कोरोना!  मीट बाजार से फैला क्योंकि चीन के हुबेई प्रान्त में समुद्र के किनारे स्थित  युहान शहर के    युहानन मीट बाज़ार में हर जानवर का मांस मिलता था  सी फ़ूड   यानि समुद्री जीवों का मांस   मिलता था यहां  चमगादड़ का मांस भी लोग खाते थे , चमगादड़ से ही फैलाव हुआ क्योंकि इस वाइरस का घर चमगादड़ का शरीर है  और चमगादड़ के शरीर में रहने वाले वायरस से करोना वायरस में 96% समानता है  , पर सीधे  चमगादड़ में से मनुष्य में नही फैला बल्कि  एक  अन्य संवाहक पेंगुलिन     नामक जानवर है जिसके शरीर में शल्क लगे रहते है इसे चींटीखोर भी कहते हैं  । चीनी लोगों ने चमगादड़ का सूप पिया उन्ही से  अन्य मनुष्य  के सम्पर्क में आया ,या फिर किसी सांप से आया क्योंकि ये घातक कोरोना इन्ही जन्तुओं    में रहते हैं ,  चीनी लोग सांप को भी खाते हैं उसके सिर और पूंछ को अलग कर लेते हैं फिर उसके धड़ का सूप बना कर पीते हैं।
कहते हैं की चमगादड़ का शरीर तो 400 वाइरस को अपने शरीर में जगह देता है , चमगादड़ जो लगातार यात्रा करता रहता है तो उसके शरीर में ये वायरस सुप्तावस्था में ही पड़ा रहता है। इसके शरीर में कोई प्रभाव नही डालता बल्कि ये वाइरस गाय और एनी चौपायों में अतिसार पैदा कर देता है और मुर्गियों में श्वशन तंत्र फेल कर देता है।
      वर्तमान में जो वाइरस फैला है इसे नोवल कोरोना वाइरस कहा गया है। कोरोना वायरस का नाम है कोविड -19  ये पहली बार चीन में 26 नवंबर 1919 को मीट बाजार के लोंगो में देखा गया , इसमें 7 लोंगों को डॉक्टर ली ने अपने अस्पताल में  भर्ती किया , जिसको डॉक्टर ने समझा की ये सार्स वायरस है जिसके लक्षण उसी के तरह थे ये सार्स भी चीन में 2004 में फ़ैल चुका था जिसमे करीब एक लाख व्यक्ति इंफेक्ट हुए थे, डॉक्टर लीन जो इन 7 पेशेंट का इलाज कर रहे थे वो भी कोरोना से संक्रमित हो गए और जनवरी में उनकी मृत्यु हो गई। चीन की वुहान शहर में संक्रमण तीव्र गति से फैला जहां नवंबर 2019 में सिर्फ 100 लोग संक्रमित थे फरवरी तक आते आते 40 हजार संक्रमित हुए  इसमें क़रीब 6 हजार की मृत्यु हो गई कहा जाता है की चीन अपने इस बीमारी को छिपाता रहा जहां लाखों व्यक्तियों के मरने की आशंका है। जब चीन में वुहान लॉकड डाउन किया गया ,जब ये खबर उड़ रही थी की  चीन मृतको को दफनाने के बजाये जला रहा है । इतना सब होने के बाद जब चीन जैसे विकसित देश में हाहाकार मचा था अन्य  देश ये समझ रहे थे कि उनका देश में कोरोना हो ही नहीं सकता ,पर जल्द इटली के नागरिक कोरोना के शिकार हो गए क्योंकि इटली निश्चिन्त था जो लोग चीन से लौटे थे वो बिना किसी सावधानी के इटली में घूम रहे थे कई तो संक्रमित  होकर चीन से आये थे पर बेधड़क इटली के शहर मिलान में मौजमस्ती कर रहे थे ।इटली की सरकार बेखबर थी  ,जागी तब तक देर हो चुकी थी करीब पांच हजार संक्रमित हो चुके थे और हजार इटली के नागरिक मौत के आगोश में जकड़े जा चुके थे ,सरकार  आनन फानन में कई उपाय किये उसने भी मिलान शहर को वुहान की तरह लॉक्ड डाउन कर दिया।  इटली से स्पेन में तेजी से फ़ैल रहा है कोरोना , स्पेन के लोग महीने महीने भर का रासन खरीदने में लगे हैं कि कहीं उनके शहर मैड्रिड  को भी मिलान की तरह लॉकड डाउन न करना पड़े।

आज यूरोप में हर देश फ़्रांस ,बेल्जियम, स्पेन , जर्मनी ,इंग्लैंड , पोलैंड,  में कोरना विकराल रूप लेता जा रहा है जबकि यूरोप के हर देश में किसी भी सामूहिक भीड़ को एकत्र होने वाले सभी कार्यक्रम खत्म कर दिए हैं  , स्कूल,कॉलेज, माल बन्द हैं।
 ईरान भी इटली की तरह लॉक्ड डाउन है लोंगो को बहुत एमेजेंसी में ही घर से निकलने की इजाजत है।
   आयुर्वेद और उपचार--
कोरोना चूँकि वायरस है और वायरस जनित रोग की दवा नही बन पाती , इसलिए कोई दवा नहीं है कोरोना की , हाँ आयुर्वेद में कुछ चीजों का सेवन करते  रहे जिससे शरीर की इम्युनिटी कम न होने पाये , शरीर की इम्युनिटी के लिए  गिलोय  का तना लेकर उसको कूट कर उसे गरम पानी में डालें ,उसी पानी में तुलसी और कालीमिर्च के दस बराह दाने दाल लें और उसी में अदरख भी  कूट कर या पीसकर डाल  दे इस को  कुछ देर गर्म करते  रहे करीब 200 ग्राम बचे पानी को छान लें और इस काढ़े को पीते रहे तीन चार बार में खत्म करें। अन्य चीजों में खट्टे फल अनार,संतरा, सेब, टमाटर , अंगूर, नीबू ,आंवला लेते रहें ,अंकुरित  अनाज जरूर लें क्योंकि इसमें बिटामिन बी कॉम्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।,  शरीर की इम्मुनिटी बढ़ाने  के लिए अनुलोम विलोम, भ्रस्तिका, भ्रामरी करते रहें इसी तरह अन्य एक्सरसाइज करते रहें।
जनता कर्फ्यू और लाक डाउन---
 22 मार्च को पूरे देश में मोदी जी के आह्वाहन से जनता कर्फ्यू लगाया गया इसमें हर व्यक्ति को रविवार 22मार्च को सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक घर की बॉउंड्री वाल के अंदर रहना था ,जनता ने इस जनता  कर्फ्यू को सहजता से पालन किया ,जनता कर्फ्यू की समाप्ति से पूर्व पांच बजे शाम लोंगो ने ताली ,थाली,घण्टा ,घड़ियाल और शंख बजाकर कोरोना वालंटियर के साहसपूर्ण और हाई रिस्क और काम की सराहना की।परंतु इस कार्यक्रम की समाप्ति के समय कुछ नव जवानो ने अति उत्साह में रैली निकाल दी ,जो सोशल डिस्टेंसिंग का मख़ौल उड़ाना प्रतीत हुआ इसलिए प्रधानमन्त्री ने देश को कोरोना के दलदल से बचाने के लिए 24 मार्च को टोटल इंडिया में lockdown की घोषणा कर दी जो कर्फ्यू से 10%कम था यानि कुछ समय के लिए लोग मार्केटिंग कर सकते थे सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए।
        इस लाकडाउन के  चौथे दिन 27 और 28 मार्च को नोयडा दिल्ली और देश के मुख्य शहरों से मजदूर और प्राइवेट ठेके पर काम करने वाले डेली वेजर रोजगार के आभाव और लॉक डाउन के लंबा खींचने और असुरक्षा के कारण अपने गांव की तरफ पैदल ही 300 -300 किलोमीटर की दूरी को पार करने लिए एक जन समूह में एक साथ मेला के रूप में निकलने लगे ,न दिल्ली नोयडा की सीमा पार करने लगे जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ गया ,क्योंकि ज्यादातर संक्रमित मरीज़ दिल्ली और महारास्ट्र के ही थे , सरकार ने इस पलायन को रोकने के लिए सीमाएं सील कर दी और वहीं पर मजदूरों के लिए कैम्प लगवा दिए , साथ में कुछ माइग्रेंटस के लिए गांव तक पहुंचाने के लिए फ्री बस सेवा मुहैय्या करवा दी।
         22 अप्रैल 2020 की स्थिति----
आज भारत ने जब कोरोना वायरस के लिए लंबी लड़ाई के लिए कमर कस ली है और प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 14 अप्रैल 2020  को ख़त्म हुए लॉक डाउन को फिर से 19 दिन के लिए बढ़ा दिया है , क्योंकि तब्लीग़ी जमात के लोग जो  दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ में इज्तिमा के लिए एकत्र हुए थे 15 मार्च को जिनमे करीब 9 हजार तब्लीगी थे ,इनमे कई देशों इंडोनेशिया ,चीन,कज़ाकस्तान, ताजकस्तान, कतर,थाईलैंड ,मलेशिया के नागरिक थे ,ये जमाती इज्तिमा ख़त्म  होने के बाद देश के अन्य प्रदेश तेलंगाना, तमिलनाडु ,केरल, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश,राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश के सुदूर कस्बों तक प्रवास किया जिससे कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला कई मस्जिदों में मलेशिया ,इंडोनेशिया, ,थाईलैंड के विदेशी नागरिक छिपे थे  उनको पुलिस ने बहार निकाला। तब्लीग़ी ज़मात के लोग डॉक्टर्स की टीम पर हमला कर रहे है जो किसी संक्रमित  व्यक्ति के जाँच के लिए  डॉक्टर टीम जाती है ,दो घटनाये जो रूह कंपा देतीं हैं उनमे एक घटना इंदौर के टाट पट्टी एरिया की है जहाँ डॉक्टर्स के ऊपर पथराव हुआ उनको जान बचाकर भागना पड़ा, इसी तरह की दूसरी घटना मोरादाबाद की है जब संक्रमित एक मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद उसके एक लड़के में संक्रमण पाया गया जब दूसरे लड़के के संक्रमण की आशंका के आधार पर पुलिस वहां डॉक्टर्स के साथ गई तो उनके ऊपर बड़े बड़े पत्थरों से हमला कर दिया गया , अन्य घटनाये तब्लॉगियों ने कि जैसे वार्ड में थूंकना, महिला डॉक्टर्स से अभद्र टिप्पणियां, हर कार्य में असहयोग ,वार्ड की खिड़कियों से चोरी छिपे भागना ।इन घटनाओं से न सिर्फ मुस्लिम समाज बदनाम हुआ बल्कि कोरोना का प्रसार तेजी से हुआ आज भारत में 37% मामले  तब्लीग़ी ज़मात के कारण हैं तमिलनाडु में 90% मामले तब्लीग़ी ज़मात से ही फैले है और उत्तर प्रदेश में 55% मामले ज़मात के कारण हैं। इस प्रकार तब्लीग़ी जमात ने अविश्वास पैदा कर दहशत फैला दी है मौलाना साद जो    तब्लीग़ी जमात निजममुद्दीन का मुखिया है , के ऊपर कई धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है। जो अपने वीडियो में  जमातियों  को कोरोना में असहयोग करने का आह्वाहन कर रहा है।

          आज भारत में जब क़रीब 19  हजार लोग संक्रमित हैं और 600 लोंगों की मौत कोरोना से हो चुकी है , तब भी लोग lockdown को सख्ती से पालन नही कर रहे सब्जी मण्डियों में भीड़ लगाते है सोशल डिस्टेंसिंगनग का कोई पालन नही करते उल्टा रोकने पर पुलिस के ऊपर पथराव होता है ,21 अप्रैल को अलीगढ़ में सब्जी वालों ने पुलिस पर पथराव कर दिया।  
     2021 नया वर्ष प्रारम्भ हो गया एक नई आशा के साथ कि अब सभी कोरोना के विषैले जाल से मुक्त होंगे , इसके लिए अमेरिका ,ब्रिटेन,चीन , इजरायल, भारत ,रूश ने टीका विकसित कर लिए है , भारत ने तो दो दो टीके विकसित किये हैं।
         अमेरिका ,ब्रिटेन,रूश ने देश के नागरिकों के लिए दिसंबर 2020 में ही वैक्सीन विकसित कर लिया था , वहां वो सम्पूर्ण नागरिकों को वैक्सीन देने में एक साल का समय लगा सकते है ,जब उनकी आबादी भारत से एक चौथाई है भारत को भी जनवरी 2021 से डेमो परीक्षण की शुरुआत होने के बाद लगभग डेढ़ वर्ष में सम्पूर्ण आबादी के वैक्सीनेशन में डेढ़ से दो वर्ष लग सकते है ,चूंकि वैक्सीन को मिनिमम टेम्परेचर में रखने की बाध्यता है इसलिए ज़रा सी भी चूक की गुंजाइश नहीं , इसलिए आहिस्ता आहिस्ता कदम प्रशासन बढ़ा रहा है। 
   

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