CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण

  CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण भूमिका: क्यों जरूरी है BNSS 2023 की समझ? भारत की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), जो दशकों से देश की न्याय प्रणाली की रीढ़ थी, को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 से प्रतिस्थापित किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 ने IPC की जगह ली है। जूनियर डिवीजन कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ताओं के लिए यह बदलाव विशेष महत्व रखता है , क्योंकि यहाँ पुलिस कार्यवाही, गिरफ्तारी, जमानत, चार्जशीट, समन, और मुकदमे की सुनवाई जैसे मामलों से जुड़ी प्रक्रियाएं अधिक सक्रिय रूप से सामने आती हैं। 1. पुलिस कार्यवाही और गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधान पुरानी CrPC धारा BNSS 2023 धारा विषय मुख्य परिवर्तन 41 35 बिना वारंट गिरफ्तारी 7 वर्ष से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी के लिए सख्त शर्तें 41A 35(2) सूचना जारी करना गिरफ्तारी से पूर्व सूचना आवश्यक 41B 36 गिरफ्तारी की प्रक्रिया गिरफ्तारी में पारदर्शिता बढ़ाई गई 41D 39 वकील से मिलने का अधिकार अधिवक्ता की भूमिका क...

Tanaav kaise khtm kren ,तनाव को कैसे दूर भगाएं

Tanaav kaise khtm karen ,तनाव को कैसे दूर भगाएं?

Tanaav kaise khtm karen ,तनाव को कैसे दूर भगाएं

 वर्तमान समय में तनाव जीवन में घुल मिल गया है जिसके कारण लंबे समय तक तनाव बने रहने के कारण तन मन को बीमार कर रहा है ,ध्यान देने की बात ये है तनाव ग्रस्त व्यक्ति आसपास के लोंगो को भी तनाव ग्रस्त कर रहा है,जैसे जैसे तनाव बढ़ रहा है नए नए रोग पैदा हो रहे हैं,डॉक्टर्स का कहना है कि 90 % मरीज अपने स्वास्थ्य के लिए खुद जिम्मेदार हैं।

तनाव का तात्पर्य--

   चिकित्सकीय भाषा के अनुसार तनाव अर्थात शरीर की  होमियोस्टेटिक में गड़बड़ी ,यह वह अवस्था है जो किसी व्यक्ति की शारीरिक,मानसिक ,मनोवैज्ञानिक,कार्य प्रणाली को गड़बड़ा देती है,अनेक वैज्ञानिक शोध् के अनुसार तनाव के दरम्यान शरीर में कई तरह के जैविक बदलाव होते हैं जिसके कारण शरीर में  एड्रिनलिन  और कार्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बदल जाता है,जिसके कारण दिल की धड़कन बढ़ जाती है,रक्त का प्रवाह प्रभावित हो जाता है,नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाती है,इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है,अत्यधिक तनाव से शरीर स्ट्रेस हार्मोन बनाता है, जिससे शरीर में जैविक बदलाव होते हैं,तनाव के दरमियान नींद खानपान और शारीरिक सक्रियता में बुरा असर पड़ता है।

 तनाव के दुष्प्रभाव---

  तनाव अस्थमा की शुरुआत का कारण हो सकता है,तनाव के कारण अस्थमा के लक्षण गम्भीर हो जाते हैं, जो माता पिता अधिक तनाव लेते है,उनके बच्चों में दमा होने की आशंका बढ़ जाती है।
    तनाव रहने से पेट में मरोड़ रहता है,पेट फूलना, भूख न लगना, अपच जैसी समस्या बनी रहती है, तनाव रहने पर पाचक रस का स्राव अधिक होता है,जिसके कारण पेट का भीतरी त्वचा श्लेष्मा को क्षति पहुँचती है और अल्सर हो जाता है।
   तनाव बढ़ने से शरीर की  रक्त नलिकाएं भी संकुचित हो जाती हैं,जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता  है  ,और लगातार ब्लड प्रेशर से  स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है, तनाव के कारण शरीर के रोग प्रतरोधक तन्त्र  की कार्य प्रणाली गड़बड़ा जाती है,हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम एंड्रोकाइन् सिस्टम से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होता है इसलिए हार्मोन का स्राव भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, ।
    तनाव हमारे मस्तिष्क को शांत नही रहने देता ,जिससे नींद से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं ,नींद में व्यतिक्रम होने पर हमारा दिमाग पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता ,जिससे  व्यक्ति के सोंचने की क्षमता में भी असर पड़ता है,लंबे समय तक तनाव बने रहने से मस्तिष्क के उन रसायनों में प्रभाव् पड़ता है जिससे मनोदशा नियंत्रित होती है अधिक तनाव से अवसाद से ग्रसित होने की आशंका 80 प्रतिशत बढ़ जाती है ,लगातार तनाव रहने से मस्तिष्क की कोशिकाओं और हिप्पोकैम्पस हमारी याददाश्त वाला हिस्सा होता है ,इस पर बुरा असर पड़ने से डिमेंशिया का खतरा रहता है।

तनाव कम करने के उपाय--

      तनाव को खत्म करने के लिए या कम करने के लिए योग,प्राणायाम, ध्यान, रिलैक्सशन तकनीक तनाव को दूर करने में सहायक हैं।
  रिलैक्सेशन तकनीक में एक सरल तकनीक है -प्रोग्रेसिव रिलैक्सेशन तकनीक जो बहुत ही सरल है,इसमें व्यक्ति बहुत ही आरामदायक  शांत होकर बैठ जाता है  , लेट जाता है और अपनी आँखें बन्द कर ले और अब दस सेकंड तक अपने पैरों की उंगलियां  जितना  अधिक अंदर की ओर मुड़ सकतीं हैं मोड़ें और फिर ढीला छोड़ दें,अपने पैरों की उंगलियों के बाद, अपने ,पंजो , टांगों , हाँथ की उँगलियों ,उसके बाद गर्दन व चेहरे पर अधिक से अधिक खिंचाव दें फिर उन्हें ढीला छोड़ दें ,और यह भावना करें कि पूरी प्रक्रिया के माध्यम से तनाव हमारे पैरों की उँगलियों से सिर तक होते हुए शरीर के बहार निकल रहा है।
      तनाव से निपटने के लिए स्वयं से कहे जाने वाले सकारात्मक कथन  भी बहुत मददगार होते हैं इसलिए ख़ुद को सकारात्मक रखने के लिए किसी शांत स्थान पर बैठकर आँखे बन्दकर गहरा  श्वास लें और जब श्वास  छोड़े तो तो मन में दोहराएं " सब ठीक है " " जो होगा अच्छा होगा"  " हमारे अंदर असीम ताकत है"
"हम सब कुछ करने की क्षमता रखते हैं"। नकारात्मक सोच व्यक्ति को एक ऐसे  चक्रव्यूह में फंसा देती है जहां व्यक्ति को अपनी कमियां नहीं दिखती बल्कि वह अपने जीवन में आई कठिनाइयों के लिए अन्य व्यक्तियों को जिम्मेदार ठहराता हैं ,जिससे व्यक्ति तनाव में रहता है । इसलिए व्यक्ति के  परिस्थितियों  के अनुसार सकारात्मक सोंच रखने से तनाव कम होता है।

          संगीत भी तनाव को को कम करता है ,इसलिए अपने मनपसंद संगीत को सुनते रहें ,ये मनपसंद गीत संगीत कुछ समय में ही भरपूर ऊर्जा से भर देता है ,जिससे हम अपने तनाव को कम कर सकते हैं।
           तनाव कम करने के लिए कुछ प्रेरक किताबों को पढ़ते रहना चाहिए , महान विचारको,दार्शनिको , नेताओं की जीवन की कहानी पढ़ना चाहिए कि वो किस प्रकार इतने महान बने , नकारात्मकता को बढ़ाने वाली पुस्तको से दूर रहना चाहिए।
            कुछ धार्मिक और प्राकृतिक जगहों पर जाने से भी असीम ऊर्जा मिलती है ,खुद को आध्यात्मिक बनाने ईश्वर से  जुड़ने के लिए ध्यान ,प्राणायाम भी तनाव को समाप्त कर  देता है। 
    पक्षियों की सुबह शाम की चहचाहट, सुबह की सैर , प्रकृति को निहारने उसका चिंतन करने ,हरे पेंड पौधों को  छूने  से तनाव खत्म होता है। सुबह की सैर करें ,किसी ऐसे स्थान पर बैठें जहां एक साथ कई पेंड पौधे हों ,नीम, बरगद, पाकड़  पीपल,शीशम, गुलेर, आदि बृक्ष के नीचे कुछ देर बैठें गहरी गहरी साँस लें , पेड़ों से आ रही चिड़ियों की चहचाहट को ध्यान से सुनो ।
 गौ पालन करने से तनाव कम होता है,आप रोज गौ सेवा में सुबह वक्त देते है ,उसके शरीर को सहलाते हैं ,उसको चारा पानी देतें है ,उसका दूध दुहतें हैं तो तनाव नहीं होता।
       तनाव खत्म करने के लिए छः से आठ घण्टे  नियमित नींद की जरुरत पड़ती है ,सोने से एक घण्टे पहले  इलेक्ट्रॉनिक उपकरण TV ,कंप्यूटर ,मोबाइल आदि को बन्द कर दें। क्योंकि आज के युग में स्मार्टफोन ने इस समस्या को और अधिक जटिल बना दिया है, लोग स्मार्ट फ़ोन में दिन रात लगे रहते हैं ,सोशल मीडिया एडिक्शन हो गया है ,जब तक वो अपने पोस्ट के लाइक कमेंट को नहीं देख लेते ,बार बार सर्च करते रहते हैं,बच्चे स्मार्ट फ़ोन में गेम में बिजी रहते हैं , इस मानसिक तनाव को खत्म करने के लिए डिजिटल डिटॉक्सिकेशन केंद्र खोले जा रहे हैं।
      संतुलित और सुपाच्य भोजन ग्रहण करें , खान पान की बिगड़ी आदतें मनः स्थिति को प्रभावित करती है,क्योंकि अन्न के अनुरूप मन का सूक्ष्म विज्ञान होता है, अन्न का स्थूल अंश हमारे शरीर को गढ़ता है किन्तु इसका सूक्ष्म अंश हमारे मन को गढ़ता है। इसलिए सुपाच्य भोजन ही करना चाहिए।
       25 से 91 साल के 8600 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों पर अस्ट्रिलिया के एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने  फलों और सब्जियों के सेवन और तनाव स्तरों के बीच जुड़ाव को समझाअपने किये गए शोधपत्र को  क्लीनिकल न्यूट्रियशन पत्रिका में प्रकाशित किया। इसमें निष्कर्ष ये निकला कि जो लोग फलों और सब्जियों अधिक सेवन करते हैं उनको तनाव कम होता है और जो फलों और सब्जियों का कम सेवन करते हैं वो अधिक तनाव में रहते हैं, फलों और सब्जियो में बिटामिन और मिनरल होते है ये इंफ्लामेशन और ऑक्सिडेशन स्तर को कम कर सकते हैं।
   इसके साथ ही शरीर में पानी की कमी न होने दे क्योंकि पानी की कमी से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा कम होती है ,प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पियें।
     सुव्यवस्थित दिनचर्या ,समय पर अपने हर कार्य को करने से तनाव कम होता जाता हैं। 
अपने दिनचर्या में कुछ समय अपने परिवार दोस्तों के लिए भी निकालें,छोटे बच्चों से तोतली आवाज में बात करने उनको गोद में उठाने दुलार करने से तनाव खत्म होता है, जो व्यक्ति तनाव में हैं या किसी कारण से परेशान है यदि आप उनकी शारीरिक या मानसिक स्तर पर मदद करते है तो आपका तनाव खत्म होगा।
          घर में किसी कोने में हरे पौधे लगाने से पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है , और तनाव कम होता है ।
         घर के मुख्य कमरे में अपने परिवार के सदस्यों के साथ ख़ुश रहने वाली  तश्वीर लगाने से तनाव कम करने में मदद मिलती है ।
          घर के  खिड़कियों को दिन में खोल देना चाहिए जिससे सीधे सूर्य का प्रकाश हर जगह पहुंच सके ,इस प्रक्रिया से घर में पॉज़िटिव ऊर्जा का संचार होता है और तनाव कम होता है।

   इस तरह जीवन में सिस्टमैटिक दिनचर्या से  तनाव को कुछ कम किया जा सकता है।

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