बथुआ को कुछ जगह चिल्लीशाक भी कहते है ,संस्कृत में भी इसे चिल्लिका कहते हैं। जो गेंहू के खेतों में खरपतवार के रूप में भी अपने आप उग जाता है ,पर इसके अत्यधिक लाभ के कारण किसान सीधे भी खेतों में लगाते हैं।
बथुआ एक पत्तेदार सब्जी है जो भारतीय थाली में जाड़े में बथुआ का रायता के रूप में और स्वादिष्ट बथुआ के पराठे के रूप में हर घर में मिलता है, स्वास्थ्य के दृष्टीकोण के रूप में भी फायदेमंद होने के साथ ये औषधीय गुण से भरपूर होता है।
बिटामिन ए का स्रोत--
बथुआ बिटामिन ए का महत्वपूर्ण स्रोत है,शोध से पता चला है की सबसे अधिक बिटामिन ए बथुआ में ही पाया जाता है,इसके अलावा बिटामिन बी और बिटामिन सी भी बथुआ में पाया जाता है।
इम्यून सिस्टम करे मजबूत---
रोग प्रतिरोधक तंत्र के कमजोर होने पर कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं भथुआ की सब्जी में सेंधा नमक मिलाकर मट्ठा के साथ सेवन करना चाहिए जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
त्वचा रोग में लाभदायक---
बथुआ त्वचा रोग दूर करने में भी सहायक है, इसमें रक्तशोधक गुण होता है,रक्त शोधक गुणों के कारण इसको उबालकर पीने और इसकी सब्जी खाने से सफ़ेद दाग,दाद,खुजली,फोड़े कुष्ठ रोग खत्म होता है।
शरीर के किसी भाग में फंगस होने पर उस जगह में बथुआ का रस लेकर लगाने से फंगस खत्म हो जाता है।
चुस्ती फ़ुर्ती के लिए--
भथुआ में कैल्शियम,आयरन,मैग्नीशियम आदि सभी तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं,इसके प्रयोग से शरीर चुस्त दुरुस्त रहता है।
हीमोग्लोबिन की कमी दूर करता है--
बथुआ में आयरन और फोलिक एसिड पाया जाता है, यह आयरन का अच्छा स्रोत है, इसलिए ये हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करता है , इसके सेवन से शरीर में खून की मात्रा संतुलित रहती है, जो शरीर में थकान को कम करने में मदद करता है
,महिलाओं में होने वाले मासिकधर्म के कारण हुई रक्ताल्पता की कमी को दूर करता है।।
गुर्दे रोग में लाभदायक --
बथुआ खाने से गुर्दे में पथरी होने के चाँस कम हो जाते हैं,किडनी के इन्फेक्शन को भी इससे फायदा मिलता है। मूत्र में इन्फेक्शन होने पर बथुआ के 50 ग्राम रस में मिस्री मिलाकर नियमित सेवन से इन्फेक्शन ख़त्म हो जाता है।साथ में यदि गुर्दे में छोटी मोटी पथरी भी है तो वो भी बथुआ और मिसरी के मिश्रीत सेवन से धीरे धीरे टूटकर निकल जाती है।
पीलिया में फायदेमंद---
बथुआ का साग पीलिया रोग में भी लाभदायक है, बथुआ पीलिया में बचाव करता है।पीलिया रोग हो जाने पर गिलोय का रस और बथुआ के रस को मिलाकर रोजाना 25 से 30 मिलीग्राम लेने से पीलिया खत्म हो जाता है।
पेट में लाभदायक--
बथुआ का प्रयोग से पेट के गैस संबंधी,ऐठन ,मरोड़ जैसी समस्याएं नही रहतीं। भूख में कमी आना,खाना देर से पचना, खट्टी डकार आना आदि समस्याओं को दूर करने में बथुआ फ़ायदेमन्द है।
बथुआ के एक चम्मच रस में थोडा सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।बथुआ में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है जिसके कारण इसके प्रयोग से कब्ज़ से छुटकारा मिलता है।
जोड़ों के दर्द में सहायक---
बथुआ शरीर के विभिन्न जोड़ो में लाभदायक है,इसलिए जो लोग जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैं,उन्हें बथुए का सेवन करना चाहिए।
ख़ूनी बवासीर में लाभदायक-
बथुआ के पत्तों के रस को बकरी के दूध के साथ लेने से ख़ूनी बवासीर से छुटकारा मिलता है।
दांत में कीड़े मुंह की दुर्गन्ध को खत्म करे--
दांत में यदि कीड़े लगें हो और मुंह से बदबू आती है तो ,बथुआ के रस में कुछ पत्तियां नीम की लेकर रस बानाएं दोनों रस मिलाकर गर्म पानी के साथ कुल्ला करने से मुंह की दुर्गन्ध ख़त्म होती है।
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आठ चीजें रखें जाड़े में सेहतमंद
bahut hi achchhi jankari diya hai aapne sir ji
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