The paleolithic Age|Old Stone Age|पुरापाषाण युग
:पुरापाषाण युग:
मनुष्य अपने जीवन का सबसे लंबा समय इसी युग के अन्तर्गत व्यतीत किया ,वह लगातार प्रकृति से संघर्ष करता रहा , जाड़ा , गर्मी ,बरसात ,सभी मे वह अपने जीवन को बचाने के उपाए खोजता रहा । इस युग के मानव का जीवन हिम युग मे बीता , इस युग मे उसने क्रमशः प्रगति द्वारा उसने कई पाषाण उपकरण बनाये। जो आज उत्खनन से प्राप्त होते हैं , जिनके आधार पर पुरातत्वविदों नें पुरा पाषाण काल को निम्न आधार पर वर्गीकृत करके मानव सभ्यता का विकास वर्णित किया है।
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(पुरा पाषाण काल का मानव अग्नि प्रज्ज्वलित करते हुए) |
निम्न या पूर्व पूरा- पाषाण काल (Lower Paleolithic Age)----
इस युग में मानव का जीवन अस्थिर था , मानव प्रारम्भ में समूह में शिकार करके भोजन का इंतजामात करता था , इस युग मे ही मनुष्य ने कुछ दिन बाद अग्नि का अविष्कार किया और गुफाओं में रहने लगा ,आखेट करने के लिए उसने पत्थरों के टुकड़ों का इस्तेमाल किया ,जो क्वार्टजाईट पत्थरों के बने होते थे आरंभिक हथियार टेढ़े मेढ़े थे,बेडौल थे, इस युग के हथियारों में कुल्हाड़ी ,खंडक उपकरण (Chopping tools) , कोर (Core) एवं फलक उपकरण (flake) और विदारणियां (Cleavers) भारत मे इस संस्कृति के दो केंद्र थे उत्तर पश्चिम में सोहन नदी (पाकिस्तान) के किनारे सोहन नदी घाटी में पेबुल-चॉपर चॉपिंग संस्कृति और दक्षिण भारत की कुछ अलग सी संस्कृति को हैंड एक्स क्लीवर संस्कृति या मद्रासियन कहा गया,इन सभी संस्कृतियों का विकास किसी न किसी नदी घाटी के किनारे हुआ था ,उत्तर प्रदेश में बेलन नदी के किनारे विकसित संस्कृति पूर्व पुरा पाषाण कालीन थी , मध्य प्रदेश में भीमबेटका ( जिला रायसेन) में पुरा पाषाण क़ालीन गुफ़ा में मानव के समूह में गुफ़ा के अंदर रहने के प्रमाण मिलते हैं।
मध्य पुरा पाषाण काल--
इस काल मे मनुष्य ने पहले से बेहतर हथियार बनाये जो पहले से ज्यादा ,सुडौल, नुकीले,पैने थे,इस काल मे अब तक प्रयोग होने वाले क्वार्टजाइट की जगह जैस्पर चर्ट इत्यादि चमकीले पत्थरों की सहायता से फलक हथियार बनाये गए , इसीलिए इस काल को फलक संस्कृति भी कहा गया,इस काल मे मुख्यता बेधक,खुरचनी( Scrapper),वेधनियाँ(Points) इत्यादि बनाये गये, इस काल मे मुख्य स्थल, -बेलन घाटी, बेतवा नदी घाटी(मध्य प्रदेश),कृष्णा घाटी(कर्नाटक),सोन घाटी,नेवासा(मध्य प्रदेश),इस काल मे मानव ने अग्नि की खोज कर ली थी इसलिए भोजन पका कर खाता था, मानव धूप ,वर्षा से बचने के लिए सुरक्षित ठिकाने गुफा कन्दरा में रहना शुरू कर दिया था।
मध्य पाषाण काल middle tone age की पोस्ट पढ़े इस लिंक से--
मध्य पाषाण काल-middle stone age
उत्तर पुरा पाषाण काल----(the upper paleolithic age)----------
हिमयुग के अंतिम चरण के दौरान उत्तर पुरा पाषाण कालीन संस्कृति का उदय हुआ , इस युग में मनुष्य पहाड़ी ढलानों नदी घाटियों के किनारे और गुफाओं में रहता था, इस युग में ही होमोसेपियंस का उदय हुआ,इस युग मे पत्थर के फ़लक के पतले भाग किये गए जिन्हें ब्लेड कहा गया ,पत्थर के ब्लेड से उपकरण बनाये गए, ब्लेड चाकू,छिद्रक ,स्क्रैपर, आदि बनने लगे।हड्डी के औजार,हांथीदान्त के औजार भी बनने लगे थे ,हांथी दांत से बनी सुइयाँ भी मिलतीं है जो चमड़े को सिलने के काम मे आती होंगीं।
इस काल मे बेलन घाटी,रेनीगुंटा,सोनाघाटी(मध्यप्रदेश) पटणे इनाम गांव(महाराष्ट्र),सोनघाटी(मध्यप्रदेश).
इस युग मे मानव जीवन के कुछ परिवर्तन दृष्टि गोचर होते है,मनुष्य ने समूह में रहना सीख लिया था, स्त्री पुरुष के कार्यों में बंटवारा हो चुका था,पुरुष शिकार के कार्य के लिए जाता था महिलाएं बच्चों की देखभाल, भोजन निर्माण,अन्य निर्माण जैसे कार्य करने लगीं थीं क्योंकि इस काल मे गुफ़ा में आवास के साथ साथ झोपड़ियों में भी निवास करने लगा था,
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(पुरा पाषाण काल के मानव की पेंटिंग्स) |
भीमबेटका से प्राप्त चित्रों के आधार पर ये अनुमान लगाया जा सकता है, मनुष्य अब धर्म और संस्कृति का विकास हो रहा था,हड्डी के कई उपकरणों में सुंदर नक्कासी बनी दिखती है जिससे मूर्तिकला के चिन्ह दिखते हैं,उत्तर प्रदेश की बेलन घाटी(इलाहाबाद) में हड्डी की बनी मातृ देवी की सुंदर मूर्ति मिलती है, इस समय के मानव ने हड्डियों और जानवरों के दांतों से आभूषण भी बनाये थे
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