धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक...

Olga tokarjuk and peter haindke , nobel prize winner 2018,2019 of literature

Olga tokarjuk and peter haindke

Nobel prize winner 2018,2019।

Olga tokarjuk and peter haindke Nobel prize winner 2018,2019।


पोलैंड की लेखिका ओल्गा तोकार्जुक को वर्ष 2018 का और ऑस्ट्रिया के  विवादित  लेखक पीटर हैण्डके को वर्ष 2019 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा हुई है।।                                               ज्ञात हो कि नोबेल पुरस्कार प्रत्येक वर्ष स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में नोबेल फाउंडेशन द्वारा दिए जाते है।
अभी तक 15 महिलाओं को नोबेल साहित्य पुरस्कार मिल चुका है, 2018 में बोर्ड में विवाद के कारण किसी नोबल पुरस्कार नहीं दिए गए थे।

Olga tokarjuk and peter haindke Nobel prize winner 2018,2019।


         ओल्गा तोकार्जुक-----

1962 में पोलैंड में जन्मी ओल्गा तोकार्जुक उपन्यासों, कहानियों और निबन्ध संग्रहों के साथ साथ  एक राजनीतिक कार्यकर्त्ता और पर्यावरणविद के रूप में जानी जाती हैं। इन्होंने अपने साहित्यिक रचनाओं को मुख्यता पोलिश भाषा में  ही लिखा है। 
         इन्होंने कई रचनाऐं की और उनको उन पर पुरस्कार भी मिले ,जैसे इनको नाइक लिटररी प्राइज़, एम् पी ए सी लिटरेरी अवार्ड, ब्राकफेस अवार्ड, प्रिक्स लारे बटैलेंन पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
       पोलिश भाषा में लिखित और अंग्रेजी में अनुवाद किया हुआ उपन्यास "फ्लाइट्स" पर प्रतिष्ठित  मैन बुकर प्राइज प्राइज भी मिल चुका है    50 वर्ष के इतिहास में 56 वर्षीय  पोलैंड लेखिका  को पहला मैन बुकर अवार्ड मिला है  मैन बुकर प्राइज की शुरुआत 1969 से हुई थी  ,इस उपन्यास में 17 वीं शताब्दी से 21वीं शताब्दी के मध्य के जीवन और आधुनिक यायावरी जीवन पर एक दार्शनिक चिंतन है, इसे अनामिक महिला यात्री के द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
           किशोरावस्था से ही कविता लिखने वाली तोकार्जुक का पहला काव्यसंग्रह " सिटीज इन मिरर्स" नाम से 1989 में प्रकाशित हुआ, इनकी  कहानी संग्रह में तीन संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं ,इनमे तीन लंबी कहानी - संग्रहों की बात करें " द वार्डरोब',प्लेइंगऑन मेनी ड्रम्स" और " बीज़ारे स्टोरीज" शामिल हैं , इन किताबों का हिंदी अनुवाद भी हुआ है हिंदी अनुवादक मारिया पुरी द्वारा तोकार्जुक की तीन कहानियाँ अलमारी,कमरे और ऊपर वाले हाँथ ,कमरे और अन्य कहानियाँ शीर्षक से प्रकाशित हो चुकी है।

      साहित्य के प्रति  ओल्गा तोकार्जुक का स्नेह--

ओल्गा तोकार्जुक के मातापिता के माता पिता दोनों शिक्षक थे , साहित्य के प्रति उनका लगाव बचपन से ही था, इनको  उच्च शिक्षा मनोचिकित्सा  में ग्रहण किया , जब वो एक  मनोविज्ञानी के रूप में अपने व्यावसायिक जीवन को शुरुआत कर रहीं थी तब उन्होंने कई व्यक्तियों के जीवन उनके व्यवहार का  गहन अध्ययन किया ,  उन्होंने  शरणार्थियों  के कैंप में  किशोरों के व्यव्हार का अध्ययन किया उन्हें जाना,
    इन्हें साहित्य में रूचि  बचपन से पैदा हुई  साहित्यिक अभिरुचि का जब  मनोविज्ञान से मिलन हुआ तब इनके इस साहित्य का प्रस्फुटन हुआ ,इनके  साहित्यिक रचनाओं में मनोवैज्ञानिक  कार्ल युंग का प्रभाव स्पष्टता से देखा जा सकता है, उनका मानना है  कि तेजी से परिवर्तनशील संसार में मिथक और पौराणिक कथाओं को अलग नही किया जा सकता ,उनका अस्तित्व व्यक्ति की अन्तसचेत्ना में है ,और उसका प्रभाव मानव जाति के रोज के जीवन शैली में होता है उसको अलग करना मुश्किल है,हमारे मनोजगत का निर्माण इनसे ही होता है , इनसे व्यक्ति प्रभावित होता है ,समाज प्रभावित होता है ,प्रशासन प्रभावित है और सरकार देश भी प्रभावित है , ये चेतना पहले भी थी और आगे भी चलती रहेगी। 
       तोकार्जुक की रचनाओं में  ज्योतिष ,इतिहास, देशों की सीमाओं ,संस्कृतियों और भाषाओँ के मुद्दे ,शरणार्थियों से जुड़े विषय आदि प्रमुखता से देखे जाते हैं।

     पीटर हैण्डके--

1942 में सदर्न ऑस्ट्रिया में जन्मे उपन्यासकार ,नाटककार, अनुवादक, के रूप में जाने जाते हैं,इनके पिता सेना में अधिकारी थे ,, ऑस्ट्रिया में बसने से पहले इनका जीवन युद्धग्रस्त बर्लिन में बीता, ये छात्र जीवन में ही लेखन करने लगे और लेखकों की संस्था द  ग्रेज़  ऑथोर्स असेंबली नामक संस्था से जुड़कर साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 1965 में जर्मन प्रकाशन संस्था द्वारा इनके द्वारा लिखे गए उपन्यास 'द हार्नेस्ट' को स्वीकार कर लिए जाने के कारण इन्होंने अपनी विधि(law)की पढाई को तिलांजलि दे दी, इनके एक और उपन्यास ने छाप छोड़ी जिसका नाम था' द सॉरो बियॉन्ड ड्रीम्स' ,,, इस उपन्यास को आत्म कथात्मक शैली में  1972 में लिखा जब वो अपनी माता के अचानक आत्महत्या से बहुत व्यथित हुए, इन्होंने इस उपन्यास में आत्महत्या के पीछे मानव के मानसिक तनाव ,मानसिक रुग्णता , उसके व्यवहार में बदलाव , उसके चेतावनी पूर्ण  बातें  ,आदि का विश्लेषणात्मक विवरण किया है ,जिससे व्यक्ति के मनोभावों को समझने और मानसिक द्वंद्व से गुजरने वाले व्यक्ति के साथ व्यवहार करने जैसे कई बातों का पता भी चलता है।

     Peter haindke का नाट्य लेखन-

पीटर हैण्डके ने       नाटककार के रूप में भी हाँथ आजमाया इन्होंने   नाट्य परंपरा से अलग हटकर लेख लिखे, सन् 1966 में इन्होंने अपने प्रमुख नाटक 'अफेन्डिंग द ऑडिएंस'  में रंगमंच आलोचकों का ध्यान खींचा, इस नाटक में चार रंगमंच के कलाकारों द्वारा परिचर्चा में ख़ुद के अभिनय को बेहतरीन साबित किया जाता है परंतु दर्शको को ही अपमानित किया जाता है कि उन्हें अच्छे नाटक को समझने ,जानने की अक्ल नही है, इसी प्रकार पीटर हैण्डके ने कई चरित्रों को गढ़कर नाटकों की रचना की।।
    सिनेमा के क्षेत्र में पीटर हैण्डके द्वारा फिल्मों के लिए पटकथा -लेखन,निर्देशन, आदि कार्य भी किये ,कई रूपक, संस्मरण, विधाओं की रचना की।
  आपको कई पुरुस्कार मिल 'द अमेरिका अवार्ड',फ्रेंज फफ्का प्राइज' ,, इंटरनेशनल  इब्सन अवार्ड. मिल चुके हैं।

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