Arun Jaitly|अरुण जेटली|Biography
राष्ट्रीय राजनीति के एक पुरोधा,प्रखर वक्ता,सफल अधिवक्ता, कुशल संगठनकर्ता ,पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली जी का निधन 24 अगस्त 2019 को एम्स नई दिल्ली में हृदय गति रुक जाने से हो गया वो 66 साल के थे और लंबे अर्से से बीमार चल रहे थे ,अरुण जेटली तबियत 9 अगस्त सुबह ; नाश्ते के बाद अचानक खराब हो गई उन्हें साँस लेने में तकलीफ़ बढ़ गई , इसके बाद उन्हें एम्स नई दिल्ली में कार्डियक न्यूरो सेंटर के आई सी यू में भर्ती करवाया गया और उन्हें वेंटीलेटर में रखा गया ,डॉक्टरों ने उन्हें 14 अगस्त को ट्रैकियोस्टोमी करके वेंटीलेटर से बहार निकाला गया , तब उनके श्वसन में ज्यादा दिक्कत आ गई उनके फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण संक्रमण हो गया ,हालात लगातार बिगड़ती गई और 24 अगस्त दोपहर को उन्होंने शरीर त्याग दिया ।
ज्ञात हो कि अरुण जेटली जी ने अपने बढ़ते हुए वजन को कम करने के लिए दो सितम्बर 2014 बैरियाटिक सर्जरी मैक्स अस्पताल नई दिल्ली में करवाई थी ,इसके बाद वो अचानक स्लिम ट्रिम दिखने लगे थे और चर्चा का विषय बन गए थे अचानक दुबलेपन को लेकर, इसी तरह मई 2018 में उनके किडनी का भी प्रत्यारोपण एम्स में हो चुका था ।
भाजपा के लिए उनका जाना अपूरणीय क्षति है क्योंकि उनके जैसा संकटमोचन नेता भाजपा में मिलना मुश्किल है । अभी बीजेपी एक माह पहले पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन के शोक से उभर नही पाई थी कि ये दूसरा बड़ा झटका था क्योंकि ये दोनों नेता 67-68 साल की उम्र में ही स्वर्ग सिधार गए , दोनों की जरूरत थी बीजेपी और देश को उनके नेतृत्व शैली, वक्तृता शैली , राष्ट्रभक्ति के लिए ।
अरुण जेटली के प्रारंभिक जीवन -
अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता महाराज किशन जेटली एक वकील थे और माता रतन प्रभा जेटली एक गृहिणी थीं। उन्होंने 1957 से 1969 तक सेंट जेवियर्स स्कूल, दिल्ली में अध्ययन किया। उन्होंने1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से
वाणिज्य, बीकॉम में ऑनर्स की डिग्री के साथ स्नातक किया। उन्होंने वर्ष1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से एल.एल.बी. डिग्री प्राप्त की।
जेटली सत्तर के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेता थे और 1974में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष बने। आंतरिक आपातकाल की घोषणा की अवधि के दौरान (1975-1977) जब मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था, तब उन्हें भी 19 महीने की अवधि के लिए जेल में रखा गया था। वह राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा वर्ष 1973 में शुरू किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन के प्रमुख नेता थे। वह जय प्रकाश नारायण द्वारा नियुक्त छात्र और युवा संगठन के लिए राष्ट्रीय समिति के संयोजक थे।
वह नागरिक अधिकारों के आंदोलन में भी सक्रिय थे और सतीश झा और स्मितु कोठारी के साथ पी. यू .सी. एल. बुलेटिन को खोजने में मदद की। जेल से छूटने के बाद वह जनसंघ में शामिल हो गए।
1997 में, लोकतांत्रिक युवा मोर्चा के संयोजक होने के नाते, जब कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, जेटली को दिल्ली ए. बी. वी. पी. का अध्यक्ष और ए. बी. वी. पी. का अखिल भारतीय सचिव नियुक्त किया गया।
1980 में पार्टी में शामिल होने के कुछ ही समय बाद उन्हें भाजपा की युवा शाखा का अध्यक्ष और दिल्ली इकाई का सचिव बनाया गया।
अरुण जेटली जी का राजनीतिक सफ़र----
25 जून 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गए का विरोध करने के कारण उन्हें 19 महीने जेल में बन्द रहना पड़ा ,जेल के जिस सेल में अरुण जेटली को रखा गया उसमे अटल बिहारी बाजपेई और लाल कृष्ण आडवाणी भी बन्द थे , जेल से छूटने के बाद वो जनसंघ में सम्मिलित हुए । 1980 में जेटली जी ने दिल्ली हाइकोर्ट में वकालत करने लगे और कुछ साल वकालत में आगे बढ़ते हुए मात्र 37 साल की उम्र में अडिशनल सोलिस्टर जनरल बनाये गए,1982 में उनका विवाह कश्मीर के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले गिरधारी लाल डोंगरा की पुत्री संगीता से हुआ । गिरधारी लाल डोंगरा 25 साल तक शेख अब्दुल्ला सरकार में वित्त मंत्री रहे थे ,वो अपनी पत्नी का बहुत अधिक सम्मान करते थे ,उनके एक बेटा रोहन और एक बेटी सोनाली है जो परिवारवाद की राजनीति के दौर में कभी राजनीति में आने का प्रयास नही किया ,अरुण जेटली 1999 के आमचुनाव के पहले वो भाजपा के प्रवक्ता रहे ।
13 अक्टूबर 1999 को वो अटल बिहारी बाजपेई सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाये गए।2009 में वो राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने गए।
अरुण जेटली का वकालत का अनुभव---------
अरुण जेटली ने 1977 में वकालत की शुरुआत की , उन्होंने देश भर के कई हाइकोर्ट में वकालत की ,सुप्रीम कोर्ट में वकालत की ,1989 में वी पी सिंह सरकार ने सोलिस्टर जनरल नियुक्त किया ,उनको 1990 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया ,बोफोर्स घोटाले के सुनवाई के लिए कागजी कार्यवाही को पूरा किया ,आप लालकृष्ण आडवाणी,शरद यादव और माधवराव सिंधिया जैसे दिग्गज नेताओं के वकील रहे ,इन्होंने क़ानून पर कई लेख लिखे , जून 1988 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित हुए ,जहां उन्होंने ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कानूनों को मन्जूरी दी गई थी । 2004 में जेटली राजस्थान हाइकोर्ट में कोकाकोला के वकील के रूप में पेश हुए। मुकुल रोहतगी से उनकी अभिन्न मित्रता थी दोनों हाइकोर्ट में कभी कभी आमने सामने होते थे परंतु 1978 से 1998 तक दोनों लोग रोजाना साथ साथ लंच करते थे,उनके मित्रों में हरीश साल्वे, सोली जी सोहराब जी जैसे जाने माने वक़ील थे। अरुण जेटली किसी भी केस की सारी तैयारी ख़ुद करते थे क़ानूनी बारीकियों के साथ केस के तथ्यों को ख़ुद तैयार करते थे और स्वयं पेज का एक एक पन्ना पढ़कर नोट्स तैयार करते थे, वह बहस के दौरान ख़ुद तैयारी करते थे जूनियर्स की मदद नही लेते थे। संवैधानिक विषयो में उनकी गहन पकड़ थी । वो देश के सबसे हाई टैक्स पेयी वकील थे ,उनकी एक दिन की वकालत से कमाई लगभग एक करोङ रुपये थी । उन्होंने एक बार राजस्थान में अपनी ही भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ में मुकदमा लड़ा। अरुण जेटली और संसद-----
जेटली जी को अटल जी की सरकार और नरेंद्र मोदी की सरकार में जो दायित्व मिले उन्हें इन्होंने सफलता पूर्वक निर्वहन किया , बाजपेई सरकार में विधि मंत्री रहते हुए इन्होंने ग्राम न्यायालय ,फ़ास्ट ट्रैक न्यायालयों और राज्यसभा में मतदान में सुधार जैसे महत्वपूर्ण क़दम उठाये,उन्होंने बाजपेई सरकार में विधि मंत्री ,कॉर्पोरेट मंत्री ,शिपिंग मंत्रालय भी संभाला ।
मोदी सरकार में वित्तमंत्री रहते हुए इन्होंने जनधन योजना ,मुद्रा योजना और जी .एस. टी. जैसे बड़े आर्थिक सुधार किये और आई बी सी जैसे क़ानून बनवाये, उन्होंने सदैव नए विचारों का स्वागत किया, विभिन्न राजनीतिक दलों से संवाद रखना और नेताओं से सम्बन्ध रखना जेटली के कार्यशैली की विशेष ख़ासियत थी। संसद में इनके द्वारा दिए गए कई भाषण सहजने योग्य है ,वो संसद में जटिल क़ानूनी विषय को सरल ढ़ंग से समझा देते थे जो उनके संवाद प्रिय व्यक्तित्व को दिखाता है।
अरुण जेटली अपने सहयोगियों के साथ मिलकर संसद में वाम बुद्धि जीवियों और कांग्रेसियो को अपने तार्किक संवाद से पस्त किया क्योंकि अभी तक भाजपा को वामदल और कांग्रेस ने कम्यूनल कहकर घेर रखा था।
नरेंद्र मोदी जब पहली बार 2012 में प्रधानमन्त्री बने तब अरुण जेटली ही मोदी को प्रधानमन्त्री पद के लिए सबसे ज़्यादा प्रभावी और मज़बूत दावेदार माना था ,गुजरात में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे तब अरुण जेटली गुजरात राज्य के प्रभारी हुआ करते थे ,अरुण जेटली उस वक्त भी नरेंद्र मोदी के साथ जोरदारी से खड़े हुए जब गोधरा काण्ड के बाद गुजरात में 2002 में दंगे हुए , जब दंगे के समय मोदी पर राजनीतिक हमले हो रहे थे ,जब अटल बिहारी बाजपेई तत्कालीन प्रधनमंत्री ने उन्हें धर्मसंगत आचरण की बात कही तब अरुण जैटली ही नरेन्द्र मोदी तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात के बचाव में पुरजोर तरीके से खड़े हुए थे ,उन्होंने पूरे मामले को तर्क की कसौटी में कस के मीडिया के सामने रखने की जिम्मेदारी संभाल रखी थी जब दंगे के बाद उनका मुख्यमंत्री पद छिनने की आशंका थी , इस प्रकार मोदी को प्रधानमन्त्री बनाने वाले सच्चे साथियों में एक थे जेटली । अरुण जेटली ने 2014 में मोदी सरकार में वित्त, रक्षा, कॉर्पोरेट मंत्रालय की जम्मेदारी दी गई। नोटेबन्दी (2014 )और GST (2017) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों में अरुण जेटली की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी.
वो सिर्फ एक बार 2014 अमृतसर से लोकसभा से चुनाव लड़े लेकिन हार गए वो हर बार राज्यसभा से चुने गए ,2009 में वो राज्यसभा से विपक्ष के नेता चुने गए ,2019 के चुनाव में लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की जम्मेदारी जेटली को सौंपी गई थी ,बिहार में नितीशकुमार के साथ गठजोड़ में इनकी अहम भूमिका थी , यही इनकी खूबी थी कि वो अन्य पार्टियों के नेताओं से से तालमेल बना कर रखने वाले मध्यममार्गीय शैली अपनाने वाले नेता थे। भले ही संसद में वो विरोधी दलों के नेताओं को कठघरे में खड़ा करने में कोई कोर कसर न छोड़ते हों पर जब व्यक्तिगत मित्रता की बात आती थी तो वो अपने विपक्षी दलों के मित्रों के साथ खड़े दीखते थे।
अरुण जेटली को कपडे पहनने का बहुत शौक था वो , कहीं बहार जाने पर कई ड्रेस साथ लेकर जाते थे ,खाने का उनको बहुत ज्यादा शौक था ,वो दिल्ली में हर प्रकार के डिश के लिए प्रसिद्ध रेस्टोरेंट को जानते थे ,उनको पुराने गाने सुनने का बहुत ज्यादा शौक था, उनको साहिल लुधियानवी के लिखे गीत बहुत पसंद थे,गोपाल दास नीरज की कविताये जबानी याद थीं ,वो किसी बात को किस्से कहानियों के माध्यम से समझ देते थे किस्से सुनाने का शौक था , क्रिकेट का ज़्यादा शौक था ,वो ब्लॉग ट्विटर में लगातार लिखकर अपने और पार्टी के विचार प्रकट करते रहते थे जन संवाद कायम रखते थे ,जब वो किडनी के ट्रांसप्लांट के समय सबसे अलग अस्पताल में थे तब भी ब्लॉग लिखते थे या फिर अमेरिका में अपने कैंसर की बीमारी के लिए भर्ती होते हुऐ भी ब्लॉग ट्वीटर में लिखकर विपक्षियों को जवाब देते रहते थे। इस तरह वो बहुआयामी प्रतिभाशाली व्यक्ति थे।
25 अगस्त 2019 को निगमबोध घाट में 3:30 बजे उनका अंतिम संस्कार हुआ। बीजेपी का हर कैडर का नेता उपराष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू ,लोकसभा अध्यक्ष ॐ जी बिरला , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ,नितिन गडकरी , पियूष गोयल ,जे प पी नड्डा,मुख्तार अब्बास नकवी , मनोज तिवारी सभी ने अरुण जेटली को अंतिम विदाई दी बड़ा नेता हो या छोटा सभी के आँखों में आँशु थे अपने प्रिय संगठनकर्ता , महान नेता के बिछुड़ने के कारण छोटा हो या बड़ा सभी स्तब्ध थे ,जब उनके बेटे रोहन ने जब उनको मुखाग्नि दी तब सभी के आँखों में आंसू थे ,अरुण जेटली जी ने चार दशक तक राजनीति के मटमैले पन को उन्होने खुद को छूने नही दिया। दोस्तों के लिए हमेशा खड़े रहने वाले व्यक्तिव के बारे में जितना भी कहा जाए कम है।
इस प्रकार आज हमारे बीच से हर घटना के ,हर पहलू को देखने और उसको समझाने की क्षमता रखने वाले संवाद के कुशल खिलाड़ी ,सौम्य ,व्यक्तिव के धनी, तीक्ष्ण स्मरणशक्ति ,प्रखर मेधा के धनी ,अरुण जेटली हमारे बीच में नही रहे पर उनकी हर कार्यशैली को देश अनुसरण करेगा। आगे देश के लिए तैयार होने वाले नेता उनसे बहुत कुछ सीखेंगे ।
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