MACD Indicator क्या है?

ब्लॉग लेख:
कल कौन सा शेयर इंट्राडे में अचानक बढ़ेगा, यह सटीक रूप से पहचानना बहुत ही कठिन कार्य है क्योंकि शेयर बाजार की चाल कई कारकों पर निर्भर करती है। फिर भी कुछ तकनीकी और विश्लेषणात्मक तरीकों की मदद से हम संभावनाओं का अनुमान लगा सकते हैं कि कौन-से स्टॉक्स अगले दिन अच्छी चाल दिखा सकते हैं।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि किस तरह से पिछले दिन का डेटा, तकनीकी संकेतक, समाचार और सेक्टर ट्रेंड्स का विश्लेषण कर आप संभावित तेज़ी वाले स्टॉक्स की पहचान कर सकते हैं।
NSE या BSE की वेबसाइट पर टॉप गेनर्स और लूज़र्स की सूची देखकर ऐसे स्टॉक्स की पहचान करें, जिनमें पहले से तेज़ चाल देखी गई हो। इनमें अगले दिन भी मोमेंटम जारी रह सकता है।
वह स्टॉक्स देखें जिनमें सामान्य से अधिक वॉल्यूम दर्ज हुआ हो। इससे यह संकेत मिलता है कि वहां निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है, जो अगले दिन की चाल का आधार बन सकता है।
अगर कोई स्टॉक अपने दिन के उच्चतम (High) या न्यूनतम (Low) स्तर के पास बंद हुआ है, और उसमें अच्छा वॉल्यूम भी है, तो अगले दिन भी वह ट्रेंड जारी रख सकता है।
किसी स्टॉक के चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पहचानें। अगर कोई स्टॉक रेजिस्टेंस को तोड़ने की स्थिति में है, तो वह अगले दिन ब्रेकआउट दे सकता है।
ऐसे स्टॉक्स पर नज़र रखें जो कंसोलिडेशन फेज़ से निकलने वाले हों। वॉल्यूम के साथ ब्रेकआउट एक मजबूत संकेत होता है।
बुलिश एंगलफिंग, हैमर, मॉर्निंग स्टार जैसे पैटर्न संभावित रिवर्सल और अगली तेजी का संकेत देते हैं।
9-दिवसीय EMA का 50-दिवसीय EMA के ऊपर जाना (गोल्डन क्रॉस) एक तेज़ी का संकेत माना जाता है।
RSI, MACD, OBV जैसे टूल्स से यह पता चलता है कि किसी स्टॉक में खरीदारी का दबाव कितना है और वह ओवरबॉट या ओवरसोल्ड है या नहीं।
कमाई की रिपोर्ट, कॉन्ट्रैक्ट जीतना, मर्जर या कोई अन्य बड़ी खबर आने वाले दिन की तेज़ चाल का संकेत दे सकती है।
पूरे सेक्टर का प्रदर्शन भी ज़रूरी है। कभी-कभी पूरा सेक्टर ही बुलिश हो जाता है, जिससे संबंधित कंपनियों के स्टॉक्स में उछाल आता है।
ब्याज दरों में बदलाव, बजट घोषणाएं, या वैश्विक बाज़ारों की चाल भी भारत के स्टॉक्स को प्रभावित कर सकती हैं।
सुबह 9:00 से 9:15 के बीच NSE/BSE के प्री-ओपन सेशन में शेयर की कीमतों और वॉल्यूम का आकलन करें, जो दिन की संभावित दिशा बता सकता है।
हमेशा ऐसे शेयरों को चुनें जिनमें अधिक वॉल्यूम और लिक्विडिटी हो ताकि एंट्री और एग्जिट में आसानी हो।
इंट्राडे ट्रेडिंग में जोखिम अधिक होता है, इसलिए हमेशा स्टॉप-लॉस लगाएं।
बहुत अधिक वोलाटाइल स्टॉक्स में अचानक बड़ा नुकसान हो सकता है।
डर और लालच के बजाय नियम आधारित ट्रेडिंग रणनीति अपनाएं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे TradingView, Chartink, Screener.in पर उपलब्ध इंट्राडे स्क्रीनर का इस्तेमाल करके आप ब्रेकआउट या हाई वॉल्यूम स्टॉक्स की पहचान कर सकते हैं।
शेयर बाज़ार एक जटिल और गतिशील प्रणाली है, जिसमें कोई भी तरीका 100% निश्चित नहीं होता। लेकिन यदि आप सही विश्लेषणात्मक टूल्स, तकनीकी संकेतक और समाचार स्रोतों का उपयोग करते हैं तो आप संभावित उछाल वाले स्टॉक्स की बेहतर पहचान कर सकते हैं। अनुशासन, अनुभव और सतत अध्ययन ही इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता की कुंजी हैं।
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